astroradiance.com
Menu
  • Blog
  • About Us
  • Contact Us
  • Stotra/ Stuti
  • Astrology Hindi
  • Terms of Service
  • Services Offered
  • Consultation
Menu
Dasha kya hai

Dasha in Jyotish Shastra-ज्योतिष शास्त्र में दशा को जानिए

Posted on February 18, 2023October 3, 2023 by santwana

Dasha-दशा

वैदिक ज्योतिष में दशा का उपयोग ग्रहों की अवधि को दर्शाने के लिए किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रहों को एक निश्चित अवधि दी गई है जिसमें वह ग्रह सबसे ज्यादा प्रभाव डालते हैं। जैसे सूर्य को 6 वर्ष, मंगल को 7 वर्ष।
कोई ग्रह अपनी महादशा में सबसे ज्यादा प्रबल होता है। इसका अर्थ है जातक के जीवन में जिस भी ग्रह की दशा चल रही होती है वह ग्रह जातक की कुंडली में अपनी स्थिति के अनुसार अच्छे या बुरे रूप से जातक को प्रभावित करता है।

जिस ग्रह की दशा चल रही होती है वह ग्रह जातक के व्यवहार और जीवन को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है।
जन्म कुंडली में उपस्थित योगों के द्वारा जहाँ हमें यह ज्ञात होता है कि जातक के जीवन में कोई घटना होगी या नहीं वहीं दशा हमें इस बात की जानकारी देती है कि वह घटना जीवन में कब घटित होगी।

विषय-सूचि
  1. Dasha-दशा
  2. Dasha Ke Prakar-दशा के प्रकार  
  3. Vimshottari Dasha Kaise Nikalen-विंशोत्तरी दशा कैसे निकालें
  4. Dasha Ka Kram-दशा का क्रम 
  5. Janam Nakshtra Kaise Nikalen-जन्म नक्षत्र कैसे निकालें
  6. Janam Samay Se Mahadasha Ki Shesh Awadhi Nikalne Ki Ganna- जन्म समय से महादशा की शेष अवधि निकालने की गणना करना
  7. Mahadasha, Antardasha, Pratyantar Dasha, Sukshm Dasha Aur Pran Dasha-महादशा, अन्तर्दशा, प्रत्यंतर, सूक्ष्म और प्राण दशा
  8. Reference Books-संदर्भ पुस्तकें

Dasha Ke Prakar-दशा के प्रकार  

दशा पद्धति में मुख्य रूप से विंशोत्तरी दशा प्रचलित है जो कि जातक के जन्म नक्षत्र पर आधारित है और अच्छे परिणाम भी देती है। विंशोत्तरी दशा के साथ-साथ योगिनी दशा और चर दशा अन्य प्रचलित दशा पद्धति हैं। 

बृहतपराशर होराशास्त्र के अनुसार दशाएं 42 प्रकार की हैं -1) विंशोत्तरी दशा, 2)षोडशोत्तरी दशा, 3)द्वादशोत्तरी दशा, 4)अष्टोत्तरी दशा, 5)पंचोत्तरी दशा, 6)शतसमा दशा, 7)चतुरशीतसमा दशा, 8)द्विसप्ततिसमा दशा, 9)षष्टिसमा दशा, 10)षड्विंशतिसमा दशा,

11)नवमांशनव दशा, 12)राश्यंशक दशा, 13)काल दशा, 14)कालचक्र दशा, 15)चक्र दशा, 16)चरपर्याय दशा, 17)स्थिर दशा, 18)उत्तर दशा, 19)ब्रह्मग्रह दशा, 20)केन्द्रादि दशा, 21)कारकादि दशा, 22)मांडूकी दशा, 23)शूल दशा, 24)योगार्धदशा, 25)दृग्दशा,

26)त्रिकोण दशा, 27)राशि दशा,28) तारा दशा, 29)वर्णद दशा, 30)पंचस्वर दशा, 31)योगिनी दशा, 32)पिंड दशा, 33)अंश दशा, 34)नैसर्गिक दशा, 35)अष्टवर्ग दशा, 36)संध्या दशा, 37)पाचक दशा। 

Vimshottari Dasha Kaise Nikalen-विंशोत्तरी दशा कैसे निकालें

वैदिक ज्योतिष में सबसे ज्यादा प्रचलित विंशोत्तरी दशा निकालने के लिए सबसे पहले जातक की कुंडली में जन्म नक्षत्र (जन्म कालीन चन्द्रमा का नक्षत्र) ज्ञात करते हैं। जातक के जन्म नक्षत्र का स्वामी ही जन्म के समय मिलने वाली महादशा को निर्धारित करता है।
जातक के जन्मकालीन चन्द्रमा के नक्षत्र स्वामी की ही दशा जातक को जन्म के समय मिलती है। जैसे यदि जातक का जन्म पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में हुआ हो तो जातक को जन्म के समय शुक्र की महादशा मिलेगी।

विंशोत्तरी दशा में मनुष्य की आयु 120 वर्ष ली गई है जिसमें नौ ग्रहों के कालखंड निर्धारित किये गए हैं। इन नौ काल खंड को प्रत्येक ग्रह की महादशा कहते हैं।

निम्न तालिका द्वारा यदि आपको जातक का जन्म नक्षत्र ज्ञात हो तो आप जन्म कालीन दशा को ज्ञात कर सकते हैं।

janm nakshtra ke anusar dasha
Nakshtra Aur Unke Swami

Dasha Ka Kram-दशा का क्रम 

हम जानते हैं कि विंशोत्तरी दशा पद्धति में जातक के जन्म नक्षत्र के अनुसार दशा निर्धारित होती है। विंशोत्तरी दशा पद्धति में दशा एक निश्चित क्रम में आती हैं। 

जैसे यदि जातक का जन्म सूर्य के नक्षत्र (कृत्तिका, उत्तरा फाल्गुनी या उत्तराषाढ़ा ) में हुआ हो जातक के जन्म के समय सूर्य की दशा होगी तत्पश्चात चन्द्रमा की दशा आएगी फिर मंगल की। दशा का यह क्रम निश्चित होता है। दशा का क्रम और समयावधि निम्न सारणी में दी गई है।

Dasha Kram/ Dasha Sequence
Dasha Kram

Janam Nakshtra Kaise Nikalen-जन्म नक्षत्र कैसे निकालें

हम जानते है किसी जातक की जन्म कालीन दशा निकलने के लिए जन्म नक्षत्र पता होना आवश्यक है। जन्म नक्षत्र निकालने के लिए निम्न विधि का प्रयोग कर सकते हैं।

जन्म नक्षत्र निकालने के लिए सबसे पहले चंद्र स्पष्ट(degree of moon) ज्ञात करें। तत्पश्चात उसे एक नक्षत्र के मान से भाग करें।

उदहारण के लिए यदि चन्द्रमा कन्या राशि में 15°36′ का हो तो –
चंद्र स्पष्ट = 5राशि15°36’ (कन्या राशि में 15°36′)
चंद्र स्पष्ट मिनट्स में = 5×30×60+15×60+36 =9936’ (1 राशि= 30°, 1°=60′)
एक नक्षत्र का मान= 13°20′ =13×60+20= 800′
जन्म नक्षत्र गणना = चंद्र स्पष्ट/ एक नक्षत्र का मान
                           =9936’/800′  = 12.42
भागफल =12, शेषफल = 336

12 नक्षत्र पूरे हो गए। अतः 13वां नक्षत्र जन्म नक्षत्र होगा। अर्थात उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का दूसरा चरण होगा।

(0-200′- पहला चरण, 200′-400′- दूसरा चरण, 400′-600′- तीसरा चरण, 600′-800′- चौथा चरण)

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। अतः जन्म के समय सूर्य की महादशा होगी।

Janam Samay Se Mahadasha Ki Shesh Awadhi Nikalne Ki Ganna- जन्म समय से महादशा की शेष अवधि निकालने की गणना करना

जिस नक्षत्र में जातक का जन्म होता है उस नक्षत्र के भोगांश पर दशा की शेष अवधि निर्धारित की जाती है।

1 नक्षत्र का मान =13°20’=800′

उदहारण-यदि चंद्र स्पष्ट 5रा 8° 31′ है। जिसका अर्थ है जातक का जन्म उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में हुआ है। हम जानते हैं की कन्या राशि में 0° से 10° तक उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र होता है।

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। अतः जन्म के समय जातक की सूर्य की दशा चल रही होगी। उ फा नक्षत्र में 1°29′ शेष होगा। आठ शेष नक्षत्र भोग 89 कला का होगा।

नक्षत्र समाप्ति अंश =10°

नक्षत्र भोगांश           =  8° 31′

शेष नक्षत्र अंश         = 10°- 8° 31’=1°29‘=89’

जन्म नक्षत्र का स्वामी सूर्य है जिसकी दशा 6 वर्ष की होती है। एक नक्षत्र का मान 800 कला होता है।

800 कला सूर्य की अवधि = 6 वर्ष

1   कला सूर्य की अवधि = 6/800

89कला सूर्य की अवधि =6/800×89

                                   =8 माह 8 दिन

अब जो जन्म तारीख दी गई है उसमें शेष अवधि जोड़ देने पर दशा का समाप्ति काल आ जायेगा। यदि जन्म तारीख 01 /01 /1988   है और सूर्य की शेष दशा 8 माह 8 दिन है। इसलिए जन्म की तारीख में शेष अवधि जोड़ दें।

वर्षमाह दिन
जन्म तारीख  19880101
सूर्य के शेष वर्ष00000808
सूर्य दशा की समाप्ति19880909

          

अतः सूर्य की दशा 9 सितम्बर 1988 को समाप्त होगी।सूर्य की दशा समाप्त होने के पश्चात् जातक को अगली महादशा चन्द्रमा की मिलेगी जो की 10 वर्ष की होगी।

Mahadasha, Antardasha, Pratyantar Dasha, Sukshm Dasha Aur Pran Dasha-महादशा, अन्तर्दशा, प्रत्यंतर, सूक्ष्म और प्राण दशा

हम जानते है महादशा की अवधि कई वर्षों की होती है। सबसे छोटी महादशा जो कि सूर्य की होती है वह भी 6 वर्ष की होती है। अतः महादशा इतने लम्बे अंतराल की होती है परन्तु हमें इतने लम्बे समय तक एक ही प्रकार के फल नहीं प्राप्त होते हैं।

जिसका कारण है कि महादशा को पुनः अन्तर्दशा में विभाजित किया जाता है। अन्तर्दशा को पुनः प्रत्यंतर दशा में विभाजित किया जाता है। पुनः प्रत्यंतर दशा को प्राण और सूक्ष्म दशा में विभाजित किया जाता है।

Mahadasha Antar Dasha Pratyantar Dasha
Dasha Flowchart

विंशोत्तरी दशा में मनुष्य की आयु 120 वर्ष ली गई है जिसमें नौ ग्रहों के कालखंड निर्धारित किये गए हैं। इन नौ काल खंड को प्रत्येक ग्रह की महादशा कहते हैं।

हम जानते हैं कि सूर्य को 6 वर्ष, चन्द्रमा को 10 वर्ष, मंगल को 7 वर्ष, राहु को 18 वर्ष, बृहस्पति को 16 वर्ष, शनि को 19 वर्ष, बुध को 17 वर्ष, केतु को 7 वर्ष और शुक्र को 20 वर्ष का कालखंड दिया गया है।

इन सब कालखंडों का योग 120 वर्ष आता है।
ग्रहों की महादशा को पुनः इसी अनुपात से अन्तर्दशा और प्रत्यंतर दशा में बांटा जाता है।

जब किसी ग्रह की महादशा शुरू होती है तो सबसे पहले उसी ग्रह का अंतर प्रत्यंतर आता है तत्पश्चात दशा क्रम के अनुसार ही दूसरे ग्रह का अंतर आता है। जैसे सूर्य की महादशा में सबसे पहले सूर्य का अंतर आएगा फिर चन्द्रमा का, फिर मंगल का।

Reference Books-संदर्भ पुस्तकें

  • Brihat Parashara Hora Shastra –बृहत पराशर होराशास्त्र
  • Phaldeepika (Bhavartha Bodhini)–फलदीपिका
  • Saravali–सारावली
  • Laghu Parashari–लघु पाराशरी
Category: Astrology Hindi

5 thoughts on “Dasha in Jyotish Shastra-ज्योतिष शास्त्र में दशा को जानिए”

  1. Nidhi Singh says:
    May 17, 2023 at 9:51 am

    In such ways I am speechless I feel just honoured by guiding❣️🕉🙏❣️

    Reply
    1. santwana says:
      May 19, 2023 at 7:28 am

      Thanks for liking our content and appreciation.

      Reply
  2. Vinod Kumar says:
    June 23, 2023 at 5:02 am

    अद्भुत जानकारी के लिए बहुत बहुत आभार

    Reply
  3. Vinod Kumar says:
    June 23, 2023 at 5:04 am

    अद्भुत जानकारी के लिए बहुत बहुत आभार, आपके द्वारा दी गए जानकारी बहुत ही अच्छे व् सरल तरीके से समझाई गए है।

    Reply
    1. santwana says:
      June 23, 2023 at 6:14 am

      जी धन्यवाद।

      Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

About Me

Santwana

Raksha Bandhan Quotes For Brothers And Sisters​

Moon in Vedic Astrology: Impact and Interpretations

Moon in Vedic Astrology: Impact and Interpretations

Radha Ji Ke 16 Naam Hindi Arth Sahit

Radha Ji Ke 16 Naam Hindi Arth Sahit

Ashwani Nakshatra: A Guide to Its Personality Traits and Career Pathways

Ashwani Nakshatra: A Guide to Its Personality Traits and Career Pathways

Decoding Planetary Strength: Vimshopaka Bala

Decoding Planetary Strength: Vimshopaka Bala

  • Aarti
  • Astrology English
  • Astrology Hindi
  • English Articles
  • Festival
  • Quotes
  • Sprituality English
  • Sprituality Hindi
  • Stotra/ Stuti
  • Vrat/Pauranik Katha

Disclaimer

astroradiance.com is a participant in the Amazon Services LLC Associates Program, an affiliate advertising program designed to provide a means for website owners to earn advertising fees by advertising and linking to Amazon.

Read our Privacy & Cookie Policy

  • Our Services
  • Privacy Policy
  • Refund & Cancellation Policy
  • Terms & Conditions
  • Disclaimer
  • Home
  • Blog
  • About Us
  • Contact Us
  • Donate Us
© 2025 astroradiance.com | Powered by Minimalist Blog WordPress Theme