Shodash Varga
बृहत् पराशर होरा शास्त्र में वर्ग कुंडलियों के चार भेद बताए गए हैं- षड्वर्ग, सप्तवर्ग, दशवर्ग और षोडश वर्ग(Shodash Varga)। इस लेख का उद्देश्य षोडश वर्ग में सम्मिलित वर्ग कुंडलियों की उपयोगिता पर प्रकाश डालना है। यदि आप वर्ग कुंडली के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो निम्न लेख पढ़ें –
Varg Kundali-वर्ग कुंडली
Shodash Varga Kundali-षोडश वर्ग कुंडली
षोडश वर्ग कुंडली के अंतर्गत सोलह वर्ग कुंडलियां आती हैं-
1) राशि कुंडली(D-1) , 2) होरा(D-2), 3) द्रेष्काण (D-3), 4) चतुर्थांश (D-4), 5) सप्तमांश (D-7), 6) नवमांश (D-9), 7) दशमांश (D-10), 8) द्वादशांश (D-12), 9) षोडशांश (D-16), 10)त्रिशांश (D-30), 11) चतुर्विशांश (D-24), 12)सप्तविशांश (D-27), 13) त्रिंशदशांश (D-30), 14) खवेदांश/चत्वार्यांश (D-40) , 15) अक्षवेदांश/ पंच चत्वार्यांश (D-45), 16) षष्टियांश (D-60)
- Shodash Varga Kundali-षोडश वर्ग कुंडली
- 1) Rashi Chart/Janam Kundali-राशि कुंडली(D-1)
- 2)Hora Kundali -होरा(D-2)
- 3)Dreshkan Kundali-द्रेष्काण(D-3)
- 4)Chaturthansh Kundali-चतुर्थांश(D-4)
- 5)Saptmansha Kundali-सप्तमांश(D-7)
- 6)Navmansha Kundali-नवमांश(D-9)
- 7)Dashmansha Kundali-दशमांश(D-10)
- 8)Dwadashmansha Kundali-द्वादशांश(D-12)
- 9)Shodashansha Kundali-षोडशांश(D-16)
- 10)Vimshansha-विशाँश कुण्डली(D-20)
- 11)Chaturvishansh Kundali -चतुर्विशांश(D-24)
- 12)Saptavishansh Kundali-सप्तविशांश(D-27)
- 13)Trishansh Kundali-त्रिशांश(D-30)
- 14) Khavedansh Kundali -खवेदांश/चत्वार्यांश(D-40)
- 15) Akshavedansh Kundali-अक्षवेदांश/ पंच चत्वार्यांश(D-45)
- 16)Shashtiyansh Kundali-षष्टियांश(D-60)
- Shodash Varg Kundali Ka Mahatva-षोडश वर्ग कुंडली की उपयोगिता
- Reference Books-संदर्भ पुस्तकें
1) Rashi Chart/Janam Kundali-राशि कुंडली(D-1)
जन्म कुंडली को ही राशि कुंडली भी कहते हैं। राशि कुंडली द्वारा यह ज्ञात होता है कि जन्म के समय कोई ग्रह किस राशि में था। जन्म कुंडली के 12 भाव जीवन के विभिन्न पहलुओं के विषय में बताते हैं। जैसे- प्रथम भाव किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के विषय में बताता है। इसी प्रकार द्वितीय भाव व्यक्ति के कुटुम्ब और धन की स्थिति को दर्शाता है।
2)Hora Kundali -होरा(D-2)
होरा अत्यंत महत्वपूर्ण वर्ग कुंडली है।होरा चार्ट में एक राशि के 2 भाग किए जाते हैं और प्रत्येक भाग 15° का होता है। होरा चार्ट का प्रयोग धन की स्थिति और दशा कैसी जाएगी इसके लिए प्रयोग होता है। होरा कुंडली में दो होरा होती हैं- सूर्य की होरा और चंद्र की होरा। चंद्र की होरा मृदु संज्ञक और सौम्य होती है तथा सूर्य की होरा को क्रूर माना जाता है। यदि कोई ग्रह चंद्र की होरा में होती है तो उसकी दशा मृदु होकर परिणाम देता है इस कारण काम मेहनत में अच्छे परिणाम मिलते हैं। यदि कोई ग्रह सूर्य की होरा में हो तो संघर्ष के बाद सफलता मिलती है।
3)Dreshkan Kundali-द्रेष्काण(D-3)
द्रेष्काण कुंडली तीसरे भाव का बृहत् रूप है। द्रेष्काण कुंडली में एक राशि के 3 भाग किये जाते हैं और प्रत्येक भाग 10° का होता है। कुल 30 द्रेष्काण होते हैं। द्रेष्काण कुंडली द्वारा जातक के पराक्रम और भाई-बहनों का विचार किया जाता है। D-3 चार्ट द्वारा किसी भी ग्रह का साहस ज्ञात किया जा सकता है।
4)Chaturthansh Kundali-चतुर्थांश(D-4)
चतुर्थांश कुंडली में एक राशि के चार भाग किये जाते हैं और प्रत्येक भाग 7°30′ का होता है।इसे पदांश/तुरियांश कुंडली भी कहते हैं। चतुर्थांश कुंडली का प्रयोग माता का सुख, स्थायी सुख, विदेश यात्रा,मकान बनाना, मकान में धोखा आदि के लिए किया जाता है।
5)Saptmansha Kundali-सप्तमांश(D-7)
सप्तमांश कुंडली में एक राशि के सात भाग किए जाते हैं और प्रत्येक भाग 4°17’7” का होता है।। सप्तमांश कुंडली द्वारा संतान सुख को देखा जाता है। इस कुंडली के प्रयोग से संतान की प्राप्ति कब होगी, कैसी होगी और उससे सुख प्राप्त होगा या नहीं यह सब जाना जा सकता है। अतः कुंडली विश्लेषण करते समय संतान सुख के लिए पंचम भाव, बृहस्पति और सप्तमांश कुंडली का विचार करना चाहिए।
6)Navmansha Kundali-नवमांश(D-9)
नवमांश कुंडली सभी वर्ग कुंडलियों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है।जन्म कुंडली यदि शरीर है तो नवमांश उसका हृदय। यदि कोई ग्रह जन्म कुंडली में कमजोर या नीच का भी क्यों न हो परन्तु यदि वह नवमांश कुंडली में अच्छी स्थिति में हो तो अच्छे परिणाम देता है और यदि जन्म कुंडली में ग्रह अच्छी स्थिति में हो परन्तु नवमांश में अच्छी स्थिति में न हो तो विशेष अच्छे परिणाम नहीं दे पाता है। नवमांश कुंडली में एक राशि के नौ भाग किये जाते है और प्रत्येग भाग 3°20′ का होता है। नवमांश कुंडली द्वारा यह ज्ञात हो जाता है कोई ग्रह किस नक्षत्र के कौन से चरण में होगा।
नवमांश कुंडली का प्रयोग ग्रहों का बल देखने, जीवनसाथी का विचार करने के लिए विशेष रूप से किया जाता है।
7)Dashmansha Kundali-दशमांश(D-10)
दशमांश कुंडली में एक राशि के 10 भाग किए जाते हैं और प्रत्येक भाग 3° का होता है। D-10 चार्ट का प्रयोग कार्य क्षेत्र ज्ञात करने में किया जाता है। नौकरी, व्यवसाय और कार्यक्षेत्र में सफलता के लिए किया जाता है।
8)Dwadashmansha Kundali-द्वादशांश(D-12)
द्वादशांश कुंडली में एक राशि के 12 भाग किये जाते हैं और प्रत्येक भाग 2°30′ का होता है। इस कुंडली द्वारा माता-पिता का विचार किया जाता है। माता-पिता के सम्बन्ध और उनका स्वास्थ्य कैसा होगा का अध्ययन किया जाता है। D-12 चार्ट में माता की स्थिति के लिए चन्द्रमा और चतुर्थ स्थान तथा पिता की स्थिति के लिए सूर्य और नवम भाव की स्थिति का विचार किया जाता है।
9)Shodashansha Kundali-षोडशांश(D-16)
षोडशांश कुंडली में एक राशि के 16 भाग किये जाते हैं और प्रत्येक भाग 1°52’30” का होता है।। इस कुंडली का प्रयोग वाहन सुख और अचल सम्पत्ति देखने के लिए किया जाता है। इस कुंडली में शुक्र की स्थिति महत्वपूर्ण होती है।
10)Vimshansha-विशाँश कुण्डली(D-20)
विशाँश कुण्डली में एक राशि के 20 किए जाते हैं और प्रत्येक भाग 1°30′ का होता है। इस कुंडली का प्रयोग जातक का धार्मिक और आध्यात्मिक झुकाव देखने के लिए किया जाता है। व्यक्ति को किस देवी या देवता की उपासना में आसक्ति होगी यह D-20 चार्ट द्वारा जाना जा सकता है। इस कुंडली में पंचम, नवम और द्वादश भाव तथा बृहस्पति,शुक्र और केतु की स्थिति महत्वपूर्ण होती है।
11)Chaturvishansh Kundali -चतुर्विशांश(D-24)
चतुर्विशांश कुंडली में एक राशि के 24 भाग किए जाते हैं और प्रत्येक भाग 1°15′ का होता है। इस कुंडली का प्रयोग जातक की शिक्षा देखने के लिए किया जाता है। D-24 चार्ट के लग्न के साथ पंचम भाव की स्थिति महत्वपूर्ण होती है। इस कुंडली में बृहस्पति, शुक्र और बुध की महत्वपूर्ण होती है। व्यक्ति किस प्रकार की शिक्षा प्राप्त करेगा, शिक्षा प्राप्ति में बाधा, जातक का मानसिक स्तर देखने के लिए किया जाता है।
12)Saptavishansh Kundali-सप्तविशांश(D-27)
सप्तविशांश कुंडली में एक राशि के 27 भाग किए जाते है और प्रत्येक भाग 1°6’40” का होता है।इसे भंश भी कहा जाता है। इस कुंडली का प्रयोग जातक का बल देखने के लिए किया जाता है। जातक की शारीरिक और मानसिक क्षमता तथा उसकी तनाव को झेलने की क्षमता कैसी होगी इसके लिए इस वर्ग कुंडली का प्रयोग किया जाता है।
13)Trishansh Kundali-त्रिशांश(D-30)
त्रिशांश कुंडली में एक राशि के 30 बराबर भाग किए जाते हैं और प्रत्येक भाग 1° का होता है। इस कुंडली का प्रयोग जातक के जीवन में अरिष्ट, बुरे प्रभाव, संकट , बाधा और दुर्भाग्य को देखने के लिए किया जाता है।
14) Khavedansh Kundali -खवेदांश/चत्वार्यांश(D-40)
खवेदांश वर्ग कुंडली में एक राशि के 40 भाग किए जाते है और प्रत्येक भाग 45′ का होता है। इस वर्ग कुंडली का प्रयोग ग्रहों की शुभता और अशुभता देखने के लिए किया जाता है।
15) Akshavedansh Kundali-अक्षवेदांश/ पंच चत्वार्यांश(D-45)
अक्षवेदांश वर्ग कुंडली में एक राशि के 45 भाग किए जाते है और प्रत्येक भाग 40′ का होता है। इस वर्ग कुंडली का प्रयोग जातक के जीवन की सामान्य ख़ुशी और कल्याण देखने के लिए किया जाता है। कुछ ज्योतिषी इस वर्ग कुंडली को पिछले जन्म के शुभ कर्मों से भी जोड़कर देखते हैं।
16)Shashtiyansh Kundali-षष्टियांश(D-60)
षष्टियांश वर्ग कुंडली में एक राशि के 60 भाग किए जाते है और प्रत्येक भाग 30′ का होता है। इस वर्ग कुंडली के द्वारा सभी परिणाम देखे जा सकते हैं। इस कुंडली में एक राशि के 60 भाग में से प्रत्येक भाग के विभिन्न देवता होते हैं। यदि कोई ग्रह अच्छे भाग में पड़ता है तो वह अपनी दशा अन्तर्दशा में अच्छे परिणाम देता है।