Dashmansh Kundali
दशमांश कुंडली जातक की जन्म कुंडली के दशम भाव का विस्तार होता है। इसके द्वारा किसी जातक के कर्मों और करियर का निर्धारण किया जा सकता है। इस कुंडली का प्रयोग जातक की सामाजिक स्थिति, सम्पन्नता, शक्ति आदि जानने के लिए किया जाता है।
Dashmansh Kundali Kaise Banayen
दशमांश कुंडली बनाने के लिए एक राशि के 30° को 3° के 10 बराबर भागों में बाँटते है तो इन भागों से दशमांश कुंडली का निर्माण होता है।
1 दशांश =एक राशि का दसवां भाग = 30°/10 = 3°
Dashmansh Kundali Banane Ka Niyam-दशमांश कुंडली बनाने का नियम
सबसे पहले ग्रह किस दशमांश में गया है यह ज्ञात करते है।
यदि विषम राशि में ग्रह स्थित हो तो उसी राशि से गणना प्रारम्भ करते हैं जबकि यदि सम राशि में ग्रह स्थित हो तो जिस राशि में ग्रह स्थित हो तो उससे नवम राशि से गणना प्रारम्भ करते हैं।
इसका तात्पर्य है कि यदि ग्रह मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु या कुम्भ राशि में स्थित होगा तो गणना उसी राशि से शुरु करेंगे और यदि कोई ग्रह वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर या मीन राशि में होगा तो गणना उससे नवम राशि से शुरु करेंगे।
विषम राशि में उसी राशि से ग्रह जिस दशमांश में गया हो उतनी राशि आगे गिनने पर दशमांश कुंडली में ग्रह की स्थिति पता चलेगी। सम राशि में ग्रह जिस राशि में हो उससे नवम राशि से ग्रह जिस दशमांश में गया हो उतनी राशि और आगे ग्रह स्थित होगा।
Dashmansh Kundali Udaharan-दशमांश कुंडली बनाने का उदहारण
हम दशमांश कुंडली बनाने के लिए निम्न कर्क लग्न की कुंडली को लेंगे।
सर्वप्रथम हमे दशमांश कुंडली का लग्न निकालना है। जन्म कुंडली 27°1′ कर्क लग्न की है जो कि एक सम राशि है। अतः हम गणना कर्क राशि से नवम राशि से शुरु करेंगे। कर्क से नवम में मीन राशि आएगी तथा यहाँ से हमें 10 राशि और आगे बढ़ना है क्योंकि लग्न दसवें दशमांश में है। अतः मीन से दसवीं राशि धनु होगी इसलिए दशमांश कुंडली का लग्न धनु राशि का होगा।
इसी प्रकार से हम अन्य ग्रहों की दशमांश कुंडली में स्थिति ज्ञात करेंगे।
सूर्य सूर्य मीन राशि में 26° का है। मीन राशि सम राशि है। अतः गणना मीन से नवीं राशि से होगी। मीन से नवम में वृश्चिक राशि आएगी। क्योंकि सूर्य नवें दशमांश में गया है अतः वृश्चिक से नवीं राशि में सूर्य स्थित होगा। अतः सूर्य कर्क राशि में होगा।
चंद्र चंद्र धनु राशि में 20°2’ का है। धनु राशि विषम राशि है। अतः गणना धनु राशि से ही शुरु होगी। चंद्र सातवें दशमांश में गया है। अतः चंद्र मिथुन राशि में होगा।
मंगल मंगल मकर राशि में 7°57’ का है। मकर राशि सम राशि है। अतः गणना मकर से नवीं राशि से होगी। मकर से नवम में कन्या राशि आएगी। क्योंकि मंगल तीसरे दशमांश में गया है अतः कन्या से तीसरी राशि में मंगल स्थित होगा। अतः मंगल वृश्चिक राशि में होगा।
बुध बुध मीन राशि में 14°23’ का है। मीन राशि सम राशि है। अतः गणना मीन से नवीं राशि से होगी। मीन से नवम में वृश्चिक राशि आएगी। क्योंकि बुध पांचवें दशमांश में गया है अतः वृश्चिक से पंचम राशि में बुध स्थित होगा। अतः बुध मीन राशि में होगा।
बृहस्पति बृहस्पति मेष राशि में 13°23’ का है। मेष राशि विषम राशि है। अतः गणना मेष राशि से ही शुरु होगी। बृहस्पति पांचवें दशमांश में गया है। अतः बृहस्पति सिंह राशि में होगा।
शुक्र शुक्र वृषभ राशि में 11°41’ का है।वृषभ राशि सम राशि है। अतः गणना वृषभ से नवीं राशि से होगी। वृषभ से नवम में मकर राशि आएगी। क्योंकि शुक्र चौथे दशमांश में गया है अतः मकर से चतुर्थ राशि में शुक्र स्थित होगा। अतः शुक्र मेष राशि में होगा।
शनि शनि धनु राशि में 8°51’ का है।धनु राशि विषम राशि है। अतः गणना धनु राशि से ही शुरु होगी। शनि तीसरे दशमांश में गया है। अतः शनि कुम्भ राशि में होगा।
राहु राहु कुम्भ राशि में 28°12’ का है। कुम्भ राशि विषम राशि है। अतः गणना कुम्भ राशि से ही शुरु होगी। राहु दसवें दशमांश में गया है। अतः राहु वृश्चिक राशि में होगा।
केतु केतु सिंह राशि में 28°12’ का है। सिंह राशि विषम राशि है। अतः गणना सिंह राशि से ही शुरु होगी। केतु दसवें दशमांश में गया है। अतः केतु वृषभ राशि में होगा।
D-10 Chart ke Karak Grah-दशमांश कुंडली के कारक ग्रह
हम जानते है कि जन्म कुंडली में दशम भाव के कारक ग्रह सूर्य, बुध, बृहस्पति और शनि होते है। दशमांश कुंडली में भी यह ग्रह कारक होते है। इन ग्रहों के द्वारा हमे निम्न चीजों की जानकारी हो सकती है
Surya-सूर्य
सूर्य शक्ति, पद, प्रतिष्ठा और अधिकार का स्वामी होता है। यह नेतृत्व क्षमता भी देता है। सूर्य के द्वारा राजनैतिक क्षेत्र में करियर को भी देखा जाता है।
Budh-बुध
बुध ग्रह किसी जातक की बुद्धिमता, तार्किक शक्ति और संवाद कौशल को दर्शाता है। व्यापार करने के लिए बुध ग्रह का अच्छा होना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त यह गणित ,बैंकिंग आदि में करियर को भी दर्शाता है।
Brihaspati-बृहस्पति
बृहस्पति ग्रह ज्ञान का कारक ग्रह है। यह किसी व्यक्ति की सलाह देने की क्षमता को भी दर्शाता है। अच्छे बृहस्पति वाले जातक अच्छे सलाहकार हो सकते हैं।
Shani-शनि
शनि दशम भाव का नैसर्गिक कारक है। शनि ग्रह हमारे हर प्रकार के कर्म और कठिन परिश्रम का कारक ग्रह है।
दशमांश कुंडली कैसे देखें
जैसा कि हम जानते हैं कि दशमांश कुंडली का प्रयोग मुख्यतः जातक के कार्यक्षेत्र के निर्धारण हेतु किया जाता है। दशमांश कुंडली का प्रयोग जन्म कुंडली के साथ किया जाना चाहिए। तात्पर्य यह कि दशमांश कुंडली को जन्म कुंडली के साथ सहायक कुंडली की तरह प्रयोग करना चाहिए। दशमांश कुंडली हमें जातक के कर्म और कार्यक्षेत्र में विषय और विस्तृत जानकारी देती है। हमें दशमांश कुंडली देखते समय निम्न बिंदुओं को देखना चाहिए –
जन्म कुंडली
लग्न और लग्नेश
लग्न किसी भी कुंडली का सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाव होता है। यह जातक के रंग-रूप,स्वास्थ्य ,जातक के जीवन और व्यवहार आदि को दर्शाता है। लग्न के स्वामी को लग्नेश कहते हैं। यह हम स्वयं होते हैं। किसी भी कार्य को करने के लिए जातक के लग्न और लग्नेश का मजबूत होना आवश्यक है। यदि जातक के लग्न पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो जातक को जीवन में कष्ट और संघर्ष का सामना करना पड़ता है। लग्नेश के कमजोर होने पर जातक प्रयत्न कम करता है वहीं बली लग्नेश जातक को जुझारू बनाता है।
दशम भाव और दशमेश
हम जानते हैं कि किसी जातक की कुंडली में दशम भाव कर्म का होता है। दशम भाव और दशमेश की स्थिति जातक के कार्यक्षेत्र के विषय में बताती है। हमें यह देखना चाहिए कि दशम भाव और दशमेश पर किन ग्रहों का प्रभाव है।
दशमांश कुंडली
लग्न और लग्नेश
दशमांश कुंडली में भी हमें लग्न और लग्नेश को अवश्य देखना चाहिए। दशमांश कुंडली का लग्न या दर्शाता है कि जातक अपने कर्मों और कार्यक्षेत्र के प्रति कितना ईमानदार है।
दशम भाव और दशमेश
दशमांश कुंडली का दशम भाव और दशमेश जातक के कार्यक्षेत्र के विषय और विस्तृत जानकारी देते हैं। दशम भाव पर जिन ग्रहों का प्रभाव होता है उसके अनुसार जातक का कार्यक्षेत्र होता है।