Ekadashi Vrat Ka Khana
हिंदू पञ्चाङ्ग की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं। यह तिथि मास में दो बार आती है – पूर्णिमा में उपरान्त कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के उपरान्त शुक्ल पक्ष की एकादशी इन दोनों प्रकार की एकादशियोँ का हिन्दू धर्म में बहुत महत्त्व है।
एकादशी के दिन व्रत रखना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन अन्न का निषेध होता है विशेषकर चावल का। जो लोग व्रत नहीं भी रखते हैं उन्हें भी इस दिन चावल नहीं खाना चाहिए।
इस लेख के माध्यम से हम एकादशी व्रत में किए जाने वाले भोजन के विषय में जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं।
Ekadashi Vrat Ke Prakar-एकादशी व्रत प्रकार
भक्त अपनी इच्छा शक्ति और शारीरिक शक्ति के अनुसार संकलप के दौरान एकादशी उपवास के प्रकार का फैसला कर सकते हैं। धार्मिक ग्रंथों में चार प्रकार के एकादशी व्रत का उल्लेख किया गया है।
1. निर्जला व्रत
इस प्रकार के व्रत में जल भी ग्रहण नहीं किया जाता है। अधिकांश भक्त निर्जला एकादशी के दौरान इस उपवास को करते हैं। हालांकि भक्त सभी एकादशी उपवास प्रकार कर सकते हैं। पर क्योंकि निर्जला व्रत अत्यंत कठिन होता है। अतः इस व्रत को सामान्य गृहस्थ लोगों को नहीं रखना चाहिए। जिन लोगों को किसी भी प्रकार का रोग है उन्हें निर्जला व्रत नहीं रखना चाहिए।
2. क्षीरभोजी
क्षीरभोजी अर्थात् सिर्फ क्षीर पर एकादशीव्रत। क्षीर दूध और पौधों के दूधिया रस को दर्शाता है। लेकिन एकादशी संदर्भ में यह सभी उत्पादों को दूध से बने होना चाहिए।इस प्रकार के व्रत में दूध, दूध की बनी मिठाई, दही, छाछ आदि का सेवन करना चाहिए। यदि देशी गाय के दूध का उपयोग किया जाए तो यह सर्वश्रेष्ठ होता है।
3.फलाहार
फलाहार यानी एकादशी केवल फलों पर उपवास करना। आम को आम, अंगूर, केला, बादाम और पिस्ता आदि जैसे फलों के केवल उच्च वर्ग का उपभोग करना चाहिए और पत्तेदार सब्जियां नहीं खाना चाहिए।
4. नक्तभोजी
नक्त भोजन का अर्थ होता है पूरे दिन कुछ न खाकर सूर्यास्त के बाद तीन घड़ियों (संध्याकाल) को छोड़कर रात्रि में एक बार भोजन करना। इस भोजन में बीन्स, गेहूं, चावल और दालों सहित किसी भी तरह के अनाज और अनाज नहीं होने चाहिए, जो एकादशी व्रत के दौरान निषिद्ध हैं।
एकादशी व्रत के दौरान नक्तभोजी के लिए आहार में साबूदाना, सिंघाड़ा , शकरकंद , मखाना, आलू , रामदाना और मूंगफली शामिल हैं।
कई लोग कुट्टू अट्टा और समक (बाजरा चावल) भी लेते हैं। हालांकि एकादशी भोजन के रूप में दोनों वस्तुओं की वैधता बहस का विषय है क्योंकि उन्हें अर्ध-दाने या छद्म अनाज माना जाता है। अतः उपवास के दौरान इन वस्तुओं से बचना बेहतर है।
Ekadashi Vrat Ka Khana-एकादशी व्रत खाना
हम कुछ ऐसे खाद्य वस्तुओं के विषय में बता रहें हैं जिन्हें व्रत में खाया जा सकता है तथा ये पौष्टिक भी होती हैं।
Sabudana-साबूदाना
साबूदाना एक खाद्य पदार्थ है। यह छोटे-छोटे मोती की तरह सफ़ेद और गोल होते हैं।भारत मे यह कसावा/टेपियोका की जडों से व अन्य अफ्रीकी देशों मे सैगो पाम नामक पेड़ के तने के गूदे से बनता है।
भारत में जब लोग में साबूदाने के विभिन्न प्रकार के व्यंजन जैसे साबूदाना खिचड़ी, साबूदाना पापड़, साबूदाने की खीर, साबूदाना वड़ा आदि बनाकर खाते हैं।
साबूदाने में मुख्यतः कार्बोहिड्रेट्स और कैल्सियम होता है। यह आसानी से पच जाता है और जल्दी ऊर्जा देता है।
Makhana-मखाना
मखाना के बीज का उपयोग उत्तर भारत में विशेष रूप से होता है और इसे विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजनों जैसे मखाने की खीर, रोस्टेड मखाना आदि में उपयोग किया जाता है। मखाना गुणकारी होता है और कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह उच्च प्रोटीन, लो वसा, कार्बोहाइड्रेट्स, फाइबर, विटामिन, और खनिजों का भंडार होता है।
मखाने का उपयोग व्रत के भोजन में होता है, क्योंकि यह व्रती भोजन के लिए स्वस्थ और पौष्टिक विकल्प प्रदान करता है।
Rajgira-रामदाना/राजगिरा
रामदाना (Ramdana) को राजगिरा भी कहा जाता है। व्रत में राजगिरी के आटे (rajgiri ka Atta) का परांठा या हलवा बनाकर खाया जाता है। व्रत में रामदाने का लड्डू (rajgira ladoo) और खीर भी बनाकर खाई जाती है। रामदाना पौष्टिकारक होने के कारण इसके अनगिनत फायदे हैं, इसलिए उपवास के समय ज्यादातर इसका सेवन किया जाता है। इसके सेवन से शरीर में प्रोटीन की कमी पूरी होती है एवं शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।
Singhara-सिंघाड़ा
सिंगाड़ा (Singhara) एक ऐसा फल है जो त्रिकोण आकार का और दो सिंग वाला होता है। लेकिन इसके अनोखे आकार की तरह फायदे भी अनगिनत होते हैं। सिंगाड़ा (Water caltrop, Water Chestnut) मूल रुप से सर्दी के मौसम में पाया जाता है। इसको छील कर इसके गूदे को सुखाकर और फिर पीसकर जो आटा बनाया जाता है उस आटे से बनी खाद्य वस्तुओं जैसे- सिंघाड़े की पूरी , सिंघाड़े का हलवा, सिंघाड़े की कतली आदि का भारत में लोग व्रत उपवास में सेवन करते हैं क्योंकि इसे एक अनाज नहीं वरण एक फल माना जाता है।
Shakarkand-शकरकंद
शकरकंद(Sweet Potato) खाना सेहत के लिए फायदेमंद है और इसे व्रत में खाया भी जा सकता है। शकरकंद पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसकी भूनकर खाया जा सकता है। इसके अलावा इसे भूनकर इसकी खीर बनाकर खाना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। सर्दियों में शकरकंद खाने से सर्दियों से भी बचाव होता है।
Dry Fruits-सूखे मेवे
व्रत के दौरान दिन में एक या दो बार सूखे मेवे का सेवन करें। इसमें काजू, बादाम, मूंगफली, पिस्ता, अखरोट, किशमिश, खजूर, छुहारा आदि शामिल करें। इससे पोषक तत्व भी मिलेंगे और ऊर्जा भी बनी रहेगी। सूखे मेवे के लड्डू या पाग बना कर भी खा सकते हैं।
एकादशी व्रत में क्या न खाएं
एकादशी व्रत रखने वाले लोगों को दशमी के दिन से ही सात्विक भोजन करना चाहिए। भोजन में बैंगन, मसूर की दाल, गाजर, मूली, लहसुन, प्याज, चावल आदि नहीं खाना चाहिए। व्रत के दिन अपने संकल्प के अनुसार व्रत का भोजन करना चाहिए तथा पारण के दिन भी सात्विक भोजन ही करना चाहिए।