वैदिक ज्योतष को वेदांग में स्थान प्राप्त है।ज्योतिषशास्त्र को वेदों का चक्षु कहा जाता है। यूँ तो वेदों , पुराणों और अनेक प्राचीन ग्रंथों में ग्रह और नक्षत्रों आदि का जिक्र आता है परन्तु हमारे ऋषियों और मुनियों द्वारा कुछ ग्रन्थ विशेष रूप से ज्योतिष शास्त के ऊपर लिखे गए है, जिन्हें हम ज्योतिष शास्त्र के शास्त्रीय ग्रन्थ भी कहते हैं जैसे- बृहत पराशर होरा शास्त्र, फलदीपिका, सारावली आदि।
ज्योतिषविदों और ज्योतिष-शास्त्र के विद्यार्थियों के लिए इन ग्रंथों का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है। इन शास्त्रों के अध्धयन से ज्योतिष शास्त्र के नियमों को समझने में सहायता मिलती है साथ ही यह ग्रन्थ प्रामाणिक हैं और सम्पूर्ण ज्योतिष-शास्त्र का आधार हैं।
- Top 15 Classical Astrology Books-प्रमुख शास्त्रीय ज्योतिष ग्रन्थ
- 1) Brihat Parashar Hora Shastra-बृहत पराशर होरा शास्त्र
- 2) Phaldeepika-फलदीपिका
- 3) Saravali-सारावली
- 4)Jatak Parijat-जातक पारिजात
- 5) Hora Sara-होरा सार
- 6) Jamini Sutra-जैमिनि सूत्र
- 7)Brihat Jatak-बृहत् जातक
- 8) Laghu Parashari-लघु पाराशरी सिद्धांत
- 9) Mansagri-मानसागरी
- 10)Panch Sidhantika-पंच-सिद्धांतिका
- 11) Brihat Samhita-बृहत्संहिता
- 12) Sarvarth Chintamani-सर्वार्थ चिंतामणि
- 13) Muhurt Chintamani-मुहूर्त चिन्तामणि
- 14) Bhrigusamhita-भृगुसंहिता
- 15) Uttar Kalamrit-उत्तर कालामृतम्
- How To Study Classical Astrology Books-प्रमुख शास्त्रीय ज्योतिष ग्रन्थ का अध्ययन
Top 15 Classical Astrology Books-प्रमुख शास्त्रीय ज्योतिष ग्रन्थ
1) Brihat Parashar Hora Shastra-बृहत पराशर होरा शास्त्र
इस पुस्तक का श्रेय महर्षि पराशर को दिया जाता है और यह वैदिक ज्योतिष की मौलिक पुस्तकों में से एक मानी जाती है। इसमें ग्रहों के प्रभाव, भावों के अर्थ, और पूर्वानुमानी तकनीकों को विस्तार से कवर किया गया है।
“बृहत पाराशर होरा शास्त्र” में ग्रहों के प्रभाव, राशि फल, ग्रहों की दशाएं, योग, राजयोग, धन योग, विवाह फल, पुत्रसंतान, स्वास्थ्य, आदि के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई है। यह ग्रंथ भारतीय ज्योतिष के प्रमुख स्रोतों में से एक है और ज्योतिष शास्त्र के प्रवीण छात्रों और ज्योतिषियों के लिए महत्वपूर्ण स्रोत है।
बृहत पराशर होरा शास्त्र(BPHS) के सबसे लोकप्रिय संस्करण में 97 अध्याय हैं, जिसका अनुवाद 1984 में आर. संथानम द्वारा किया गया था।
2) Phaldeepika-फलदीपिका
मंत्रेश्वर द्वारा लिखी गई यह पुस्तक ज्योतिष के अवधारणाओं को स्पष्टता से समझाने और पूर्वानुमानी ज्योतिष पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जानी जाती है। इसमें ग्रहों की संयोजन, योग, और दशा प्रणालियों के विभिन्न पहलुओं का वर्णन होता है।
3) Saravali-सारावली
कल्याण वर्मा द्वारा लिखी गई सारावली, ज्योतिष के कई पहलुओं पर विचार करने की क्लारिटी के लिए जानी जाती है। यह विभिन्न पहलुओं पर ग्रहों के प्रभाव और ग्रह संयोजनों के प्रभाव को कवर करती है।
सारावली में भाग्यफल, ग्रहों का प्रभाव, राजयोग, विवाह, पुत्रसंतान, स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति, योग, दशाओं का विश्लेषण, मुहूर्त विचार, आदि के विषयों पर विस्तृत विवरण मिलता है।इस ग्रंथ में विभिन्न ग्रंथों, जैसे कि बृहत्पाराशरहोराशास्त्र, पराशरीहोराशास्त्र, वृहत्संहिता, बृहद्द्राविडज्योतिष, आदि के संदर्भ में भी उद्धृत किए जाते हैं।