नीम करौली बाबा या नीब करौरी बाबा की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में होती है।भक्त इन्हें महाराजजी के नाम से भी बुलाते हैं। बाबा के भक्तों में अनेक विदेशी भक्त भी शामिल हैं।
लोग इन्हें किस्मत चमकाने वाले बाबा भी बुलाते हैं क्योंकि जब एप्पल कम्पनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स अपने ख़राब दौर से गुजर रहे थे तो उन्हें किसी ने नीम करोली बाबा के आश्रम में आने की सलाह दी थी और वो बाबा के कैंची आश्रम में आकर रुके थे जिसके बाद उन्होंने अपने जीवन में सफलता हासिल की।
इसी प्रकार से फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी बाबा के आश्रम में आकर रुके थे और उन्हें यहाँ आकर ऊर्जा प्राप्त हुई ।
- Neem Karoli Baba
- Neem Karoli Baba Early Life-नीम करौली बाबा का प्रारंभिक जीवन
- Neem Karoli Baba Samadhi-नीम करौली बाबा समाधि
- Temples Made by Neem Karoli Baba-नीम करौली बाबा द्वारा निर्मित मंदिर
- Vavania Mandir Gujrat-वावनिया मंदिर
- Kaichi Dhaam Nanital-कैंची आश्रम
- Meharoli Ashram Delhi-महरौली आश्रम
- Bhumidhar Mandir-भूमिधर मंदिर
- Kankarighat Mandir-कांकरीघाट मंदिर
- Hanumangadi Mandir-हनुमानगढ़ी मंदिर
- Hanuman Setu Mandir Lucknow-लखनऊ आश्रम/हनुमान सेतु मंदिर
- Panki Mandir Kanpur-पनकी मंदिर
- Vrindavan Ashram-वृंदावन आश्रम
- Neeb Karori Mandir-नीब करोरी मंदिर
- Neem Karoli Baba Ke Bhakt-नीम करौली बाबा के भक्त
- नीम करौली बाबा पर प्रसिद्ध पुस्तकें
Neem Karoli Baba
नीम करोली बाबा हनुमान भक्त थे। कुछ लोग तो इन्हें स्वयं हनुमान जी का अवतार ही मानते हैं। बाबा के चमत्कार के कई किस्से मशहूर हैं। एक बार की बात है बाबा रेल में यात्रा कर रहे थे।
कंडक्टर ने जब देखा कि बाबा के पास टिकट नहीं है तो उन्हें करोली ग्राम के पास ट्रेन से उतार दिया। बाबा को ट्रेन से उतारने के बाद कंडक्टर ने देखा की ट्रेन बहुत कोशिश के बाद भी नहीं चल रही है। तब किसी ने कंडक्टर से आप ने जिन महात्मा को ट्रेन से उतारा है उनसे माफ़ी मांगिये तो ट्रेन चलने लगेगी।
तब उस कंडक्टर ने बाबा से माफ़ी मांगी और बाबा से ट्रेन में वापस बैठने को कहा। इसके बाद ट्रेन चलने लगी। इस घटना के बाद वहां पर रेलवे स्टेशन बनाया गया और बाबा के नाम पर इसका नाम नीम करोरी रेलवे स्टेशन रखा गया है।
Neem Karoli Baba Early Life-नीम करौली बाबा का प्रारंभिक जीवन
नीम करोरी बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। बाबा का जन्म ग्राम अकबरपुर जिला फ़िरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश में एक संपन्न ब्राह्मण परिवार में मार्गशीर्ष के महीने में शुक्ल पक्ष अष्टमी को 1900 में हुआ था । इनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था।
महाराजजी बचपन से ही सांसारिक मोहों से विरक्त थे। ग्यारह साल की उम्र में उनका विवाह एक संपन्न ब्राह्मण परिवार की एक लड़की से कर दिया गया था। अपनी शादी के तुरंत बाद महाराजजी घर छोड़ कर गुजरात चले गए। वह गुजरात और पूरे देश में विभिन्न स्थानों पर घूमते रहे और ज्ञान की प्राप्ति की।
महाराज जी ने सबसे पहले गुजरात वावनिया में तालाब के किनारे एक बरगत के वृक्ष के नीचे हनुमान जी की प्रतिमा बना कर साधना की। कहा जाता है की वह तालाब के जल में खड़े होकर भी तपस्या करते थे। महाराज जी सात वर्ष तक वावनिया में तपस्या करने के पश्चात् दक्षिण की तरफ गए और फिर उत्तराखण्ड के कैंची में अपना आश्रम बनाया और अपने जीवन का अधिकतर समय यहीं व्यतीत किया।
लगभग 10-15 वर्षों के बाद उसके पिता को किसी ने सूचित किया कि उसने एक साधु (तपस्वी) को देखा है जो नीब करोरी गाँव में है और उसके बेटे जैसा दिखता है। तब उनके पिता जी उनके पास गए और घर वापस चलने को कहा। अपने पिता के आग्रह पर वह घर लौट आये। बाद में उनके दो पुत्र और एक पुत्री हुई।
बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। लेकिन जब उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और सत्य की खोज में भटक गए, तो उन्हें लक्ष्मण दास के नाम से जाना जाने लगा। जब उन्होंने गुजरात के ववनिया में तपस्या की, तो उन्हें तलैया बाबा के नाम से जाना जाने लगा।
Neem Karoli Baba Samadhi-नीम करौली बाबा समाधि
नीम करौली बाबा (महाराज जी) की मृत्यु भारत के वृंदावन के एक अस्पताल में डायबिटिक कोमा में चले जाने के बाद ने 11 सितम्बर 1971(अनंत चतुर्दशी) को सुबह के 1:15 पर हुई थी।
वह आगरा से नैनीताल के पास रात में ट्रेन से कैंची लौट रहे थे, जहां उनके सीने में दर्द के कारण उन्हें हृदय रोग विशेषज्ञ के पास ले जाया गया। उनकी मृत्यु के बाद, वृंदावन आश्रम के परिसर के भीतर उनका समाधि मंदिर बनाया गया जिसमें उनके कुछ निजी सामान भी मौजूद हैं।
बाद में जब वे नीब करौली के भारतीय गाँव में रहते थे, तो उन्हें स्थानीय ग्रामीणों द्वारा नीब करोरी बाबा कहा जाता था। ‘नीब करोरी’ की स्पेलिंग को लेकर काफी कंफ्यूजन है।
नीब करोरी हिंदी के इसी शब्द का ध्वन्यात्मक अनुवाद है। नीब को कभी-कभी निब के रूप में लिखा जाता है और करोरी को कभी-कभी करौरी के रूप में लिखा जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि नीब करोरी नाम महाराजजी ने स्वयं लिया था। उन्होंने कुछ जगहों पर इसी नाम से दस्तखत किए हैं। नीब (शुद्ध हिंदी में – नीव) का अर्थ है नींव और करोरी (शुद्ध हिंदी में – करारी) का अर्थ है मजबूत। तो नीब करोरी का मतलब एक मजबूत नींव है।
Temples Made by Neem Karoli Baba-नीम करौली बाबा द्वारा निर्मित मंदिर
यूँ तो कहा जाता बाबा ने कुल मिलाकर हनुमानजी के 108 मंदिरों का निर्माण करवाया। उनमें से कुछ प्रमुख मंदिरों का विवरण निम्न है।
Vavania Mandir Gujrat-वावनिया मंदिर
वावनिया गुजरात के मोरवी शहर से लगभग चालीस किलोमीटर दूर एक गाँव है। यहीं पर महाराजजी ने एक तालाब के पास हनुमान की पहली मूर्ति की स्थापना की थी। महाराजजी ने तपस्या के अपने प्रारंभिक वर्ष इसी स्थान पर बिताए थे। यहां पर बाबा ने 7 वर्षों तक तपस्या की थी।
यहां पर भक्त उन्हें तलैया बाबा नाम से बुलाते थे
Kaichi Dhaam Nanital-कैंची आश्रम
बाबा ने अपना सबसे ज्यादा समय यहीं पर व्यतीत किया। भक्त इसे कैंची धाम के नाम से पुकारते हैं। कहते हैं की बाबा को यह आश्रम अत्यंत प्रिय था।
नाम इस तथ्य से आता है कि मंदिर दो पहाड़ियों के बीच स्थित है जो एक दूसरे को पार करते हैं और पालना कैंची जैसा दिखता है। यह विभिन्न मंदिरों के बीच सबसे बड़े वार्षिक भंडारों में से एक की मेजबानी करता है।
नीम करौली बाबा ने 15 जून 1964 में इस आश्रम की स्थापना की थी। प्रत्येक वर्ष 15 जून को मंदिर के स्थापना दिवस के अवसर पर विशाल भंडारे का आयोजन होता है।
कैंची धाम में बाबा के मंदिर के साथ-साथ सिद्धि माई का भी मंदिर है। महाराज जी स्वयं आश्रम की देखरेख का कार्य सिद्धि माइ को सौंप के गए थे। सिद्धि माई को बाबा कात्यायनी बुलाते थे ।
Meharoli Ashram Delhi-महरौली आश्रम
दिल्ली का मंदिर महरौली के पास छतरपुर में स्थित है। यह विशाल अचल सम्पदाओं के बीच स्थित है और एक बड़े क्षेत्र में बनाया गया है। यह मंदिर एक अस्पताल और दो स्कूलों का समर्थन करता है।
इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है महाराज जी नहीं चाहते थे कि इस मंदिर का ज्यादा प्रचार प्रसार हो इसलिए इस मंदिर को गुप्त महरौली मंदिर कहते हैं।
इस मंदिर की देखरेख का कार्य स्वयं महाराज जी ने नारायण स्वामी बाबा जी को दिया था जिन्होंने वर्ष 2020 में देहावसान किया। अब उनके पुत्र इस मंदिर की देखरेख का कार्य करते हैं।
Bhumidhar Mandir-भूमिधर मंदिर
यह स्थान एक भक्त ने महाराजजी को दान में दिया था। पहले एक कमरा और फिर एक छोटा सा मंदिर बनाया गया। इसी स्थान के निकट ही राम दास (रिचर्ड अल्परेट) महाराजजी से पहली बार मिले थे।
भिवाली से हल्द्वानी जाते समय भिवाली से मात्र 5 मिनट की दूरी पर यह मंदिर स्थित है।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर पहले पहाड़ी दरकने की घटना होती रहती थी परंतु जब से बाबा ने यहां पर मंदिर का निर्माण करवाया यह घटनाएं होने बंद हो गई।
Kankarighat Mandir-कांकरीघाट मंदिर
यह स्थान कैंची से 22 किमी.दूर अल्मोड़ा जाने वाली रोड के पास स्थित है। यह वह स्थान था जहाँ सोमवारी बाबा रहते थे और तपस्या करते थे। स्वामी विवेकानंद ने भी इसी स्थान पर तपस्या की थी और यहां पहली बार आत्मज्ञान का अनुभव किया था। इस मंदिर के पास में ही स्वामी विवेकानंद की तपोस्थली भी स्थित है जहां पर उनका आश्रम भी है।
इस मंदिर का प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा अत्यंत विलक्षण है भक्तों को इस मंदिर में अवश्य जाना चाहिए।
Hanumangadi Mandir-हनुमानगढ़ी मंदिर
कथित तौर पर यह महाराजजी द्वारा निर्मित पहला मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 16 जून 1953 में हुआ था।
नैनीताल के पास के इस स्थान को पहले मनोरा पहाड़ी कहा जाता था और यह एक निर्जन स्थान था क्योंकि यह कमजोर और अस्थिर था। महाराजजी ने यहां एक मंदिर बनवाया और बाद में इसे सरकारी ट्रस्ट को सौंप दिया।
यदि आप नैनीताल या कैंची धाम आ रहें हैं तो हनुमानगढ़ी अवश्य आएं। यहाँ पर आपको अलग ही तरह की आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव होगा।
हनुमानगढ़ी मंदिर में दर्शन करने के पश्चात इसके पास स्थित शीतला माता मंदिर मैं भी दर्शन करने अवश्य जाएं।
Hanuman Setu Mandir Lucknow-लखनऊ आश्रम/हनुमान सेतु मंदिर
गोमती नदी पर हनुमान सेतु पुल के पास लखनऊ में यह सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर 26 जनवरी को मंदिर के स्थापना दिवस के अवसर पर एक विशाल भंडारे का आयोजन करता है।
हनुमान सेतु मंदिर के निर्माण के विषय में बताया जाता है कि जब गोमती नदी पर पुल का निर्माण हो रहा था तो वह बार-बार गिर जाता था। तब बाबा ने एक अधिकारी के सपने में आकर मंदिर निर्माण को कहा था। जब पुल के साथ मंदिर का निर्माण कराया गया तो पुल बनने में कोई परेशानी नहीं आई और 26 जनवरी 1967 को मंदिर बनकर तैयार हो गया।
हनुमान सेतु मंदिर में हनुमान जी के मंदिर के साथ-साथ महाराज जी ,गणेश जी , शिव जी ,राम दरबार ,सिद्धि माँ के भी मंदिर हैं।
कहते हैं हनुमान जी के इस मंदिर जो आता है महाराज जी उसकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। जो भक्त किसी कारणवश मंदिर में दर्शन करने नहीं आ पा रहे होते वो हनुमान जी को पत्र में अपनी समस्या लिखकर भेजते हैं और पुजारी जी हनुमान जी को वह पत्र पढ़कर सुनाते हैं।
यदि कोई भक्त सच्चे मन से पत्र भी लिखता तो भी हनुमान जी उसकी समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
Panki Mandir Kanpur-पनकी मंदिर
यह पनकी रेलवे स्टेशन के पास कानपुर (उत्तर प्रदेश) में एक छोटा सा मंदिर है। इस अद्भुत छोटे से मंदिर में एक खड़े हनुमानजी निवास करते हैं। यह मंदिर प्रसिद्ध पनकी हनुमान मंदिर के पास है।
Vrindavan Ashram-वृंदावन आश्रम
उत्तर प्रदेश में यह स्थान अभी तक एक और महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि महाराजजी ने यहां अपना शरीर छोड़ा था। इसमें स्वयं महाराजजी द्वारा निर्मित दो मंदिरों में से एक है। महाराजजी ने अपना शरीर वृंदावन में छोड़ा था और इसलिए इसे उनका समाधि स्थल कहा जाता है।
Neeb Karori Mandir-नीब करोरी मंदिर
नीब करोरी उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में है। महाराजजी गुजरात से यहां आए और अपनी तपस्या को आगे बढ़ाया। कहा जाता है कि वह गांव वालों द्वारा उसके लिए बनाई गई गुफा में रहता था।
Neem Karoli Baba Ke Bhakt–नीम करौली बाबा के भक्त
यूँ तो कई नामचीन व्यक्तियों की गिनती बाबा (Neem Karoli Baba) के भक्तों के रूप में होती है। परन्तु उसमें प्रमुख रूप से एप्पल कम्पनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स और फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग का नाम प्रमुख है। स्टीव जॉब्स जब अपने जीवन के खराब समय से जूझ रहे थे तब वह बाबा के आश्रम में रहने आए थे और उन्हें अपना कार्य करने प्रेरणा मिली थी।
बाबा के विदेशी भक्तों की लिस्ट बहुत लम्बी है जिसमें राम दास का नाम प्रमुख है। उन्होंने बाबा के जीवन पर पुस्तक मिरेकल ऑफ़ लव लिखी जो अत्यंत प्रसिद्ध है। बाबा की सादगी भक्तों को उनकी ओर खींच लाती थी। आज भी बाबा के प्रमुख धाम कैंची में भक्तों का तांता लगा रहता है। कैंची धाम के अतिरिक्त बाबा के वृंदावन आश्रम और फर्रुखाबाद आश्रम प्रमुख हैं।
नीम करौली बाबा पर प्रसिद्ध पुस्तकें
- नीम करौली बाबा के आलौकिक प्रसंग
- Neem Karoli Baba : An Indian Incarnation of Lord Hanuman
- Sri Siddhi Ma: The Story Of Neem Karoli
- The Miracle of Love
- By His Grace: A Devotee’s Story
- Love Everyone : The Transcendent Wisdom of Neem Karoli Baba Told Through the Stories of the Westerners Whose Lives He Transformed