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Bala Mukundashtakam

Bala Mukundashtakam With Hindi Meaning-बाल मुकुंदष्टकम हिंदी अर्थ सहित

Posted on September 6, 2023May 23, 2024 by santwana

भक्ति मार्ग में भक्ति के कई रूप हैं विशेषतः कृष्ण भक्ति मार्ग में। कोई भक्त अपने आराध्य को कभी सखा रूप में पूजता है तो कोई स्वामी के रूप में। गोपियां उन्हें अपने प्रियतम के रूप में पूजती हैं। कृष्ण भक्ति का एक अन्य सरल रूप है अपने आराध्य को अपने बच्चे के समान प्यार करना।ऐसे भक्त श्री कृष्ण के बाल रूप का ध्यान करते हैं और उनकी भक्ति में लीन रहते हैं।बाल मुकुंदष्टकम(Bala Mukundashtakam) श्री कृष्ण के बाल स्वरुप पर आधारित अष्टकं(आठ श्लोक का) है। यह भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप के दिव्य रूप, गुणों और मधुर लीलाओं का गुणगान करती है।

विषय-सूचि
  1. Bala Mukundashtakam Hindi Meaning-बाल मुकुंदष्टकम हिंदी अर्थ
  2. Bala Mukundashtakam Lyrics
  3. FAQ
    • बाल मुकुंदष्टकम की रचना किसने की ?

Bala Mukundashtakam Hindi Meaning–बाल मुकुंदष्टकम हिंदी अर्थ

करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम् ।
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥१॥

वट वृक्ष के पत्तो पर विश्राम करते हुए, कमल के समान कोमल पैरो को, कमल के समान हस्त से पकड़कर, अपने कमलरूपी मुख में धारण किया है, मैं उन सुन्दर बाल स्वरुप भगवान श्री कृष्ण को मन में धारण करता हूं।

संहृत्य लोकान् वटपत्रमध्ये शयानमाद्यन्तविहीनरूपम् ।
सर्वेश्वरं सर्वहितावतारं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥२॥

समस्त लोक(सृष्टि को बड़ (वट) के पत्तों में बाँधने वाले हैं, जो इसके मध्य में अपने आदि अंत से रहित रूप में विश्राम करते हैं।श्री कृष्ण जो सबके स्वामी हैं, और जिनका यह अवतार सभी लोगों के संताप को दूर करने और हित के लिए है। मैं उन सुन्दर बाल स्वरुप भगवान श्री कृष्ण को मन में धारण करता हूं।

इन्दीवरश्यामलकोमलाङ्गं इन्द्रादिदेवार्चितपादपद्मम् ।
सन्तानकल्पद्रुममाश्रितानां बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥३॥

जो बाल कृष्ण नीले कोमल कमल के समान और कोमल अंगों वाले हैं। जिनके चरण कमलों की पूजा इंद्र और अन्य देवताओं के द्वारा की जाती है। जिनकी शरण में आने वाला हर कोई अपनी इच्छाओं को कल्पतरु की भांति पाता है, ( जैसे कल्पतरु से समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं), श्री कृष्ण के चरण कमल में आश्रय पा लेने से समस्त कामनाएं पूर्ण होती हैं। मैं उन सुन्दर बाल स्वरुप भगवान श्री कृष्ण को मन में धारण करता हूं।

लंबालकं लंवितहारयष्टिं शृङ्गारलीलाङ्कितदन्तपङ्क्तिम् ।
बिंबाधरं चारुविशालनेत्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥४॥

जिनके लम्बे और घुंघराले बाल हैं,जो श्री कृष्ण गले में एक लम्बा हार धारण किये हैं। जिनके दांत एक पंक्ति में शोभित हैं जो प्रेम उत्पन्न करते हैं। जिनके होंठ बिम्ब फल की भाँती हैं,जिनके नयन सुन्दर और विशाल हैं। मैं उन सुन्दर बाल स्वरुप भगवान श्री कृष्ण को मन में धारण करता हूं।

Shri Krishna Baal Roop
Shri Krishna Baal Roop

शिक्ये निधायाद्य पयोदधीनि बहिर्गतायां व्रजनायिकायाम् ।
भुक्त्वा यथेष्टं कपटेन सुप्तं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥५॥

बाल कृष्ण मधानी में से दूध और दही को चुराते हैं, जब बृज की गोपिकाएं घर से बाहर चली जाती हैं। दही माखन खाने के बाद वे निंद्रा में होना प्रदर्शित करते हैं। मैं उन सुन्दर बाल स्वरुप भगवान श्री कृष्ण को मन में धारण करता हूं।

कलिन्दजान्तस्थितकालियस्य फणाग्ररङ्गे नटनप्रियन्तम् ।
तत्पुच्छहस्तं शरदिन्दुवक्त्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥६॥

जिन्होंने यमुना के किनारे रहने वाले कालिया नाग के फ़न पर सवार होकर आनंदित होकर नृत्य किया जो यमुना कलिंद पहाड़ से निकलती हैं, कालिया की पूँछ को बाल कृष्ण में पकड़ कर घुमा मारा तब उनका मुख शरद के चाँद जैसा शोभित हो रहा है। मैं उन सुन्दर बाल स्वरुप भगवान श्री कृष्ण को मन में धारण करता हूं।

उलुखले बद्धमुदारशौर्यं उत्तुङ्गयुग्मार्जुनभङ्गलीलम् ।
उत्फुल्लपद्मायतचारुनेत्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥७॥

Shri Krishna On Kaliya Naag
Shri Krishna On Kaliya Naag

जिनको उनकी माता के द्वारा लकड़ी की ओंखली के साथ बाँध दिया गया था लेकिन जिन्होंने अपने मस्तक से वीर के जैसे चमक से जिन्होंने अर्जुन के वृक्ष को अपने शरीर से उखाड़ दिया , यह उनकी लीला है।जिनकी विशाल आँखें कमल के के पत्तों के सादृश्य सुन्दर हैं। मैं उन सुन्दर बाल स्वरुप भगवान श्री कृष्ण को मन में धारण करता हूं।

आलोक्य मातुर्मुखमादेण स्तन्यं पिबन्तं सरसीरुहाक्षम् ।
सच्चिन्मयं देवमनन्तरूपं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥८॥

श्री कृष्ण दूध के पान के समय अपनी माता को देखते हैं, स्तनपान करने के वक़्त उनका मुखमण्डल झील में उगे कमल के समान सुन्दर लग रहा है, उनका यह स्वरुप पूर्ण और सत्य(शुद्ध) चेतना को दर्शाता है। मैं उन सुन्दर बाल स्वरुप भगवान श्री कृष्ण को मन में धारण करता हूं।

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Bala Mukundashtakam Lyrics

Bala Mukundashtakam Lyrics
Bala Mukundashtakam Lyrics-करारविन्देन पदारविन्दं
Bala Mukundashtakam–करारविन्देन पदारविन्दं

FAQ

बाल मुकुंदष्टकम की रचना किसने की ?

भारतीय पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार ऋषि मार्कंडेय नारायण ऋषि के पास गए और उनसे एक वरदान मांगा;मार्कण्डेय ने ऋषि नारायण से प्रार्थना की कि वे उन्हें अपनी मायावी शक्ति या माया दिखाएं क्योंकि ऋषि नर-नारायण सर्वोच्च भगवान नारायण के अवतार हैं। एक बार ध्यान में उन्होंने देखा पृथ्वी पानी से घिरने वाली है, तो मार्कंडेय ने प्रार्थना की भगवान विष्णु से उन्हें बचाने के लिए कहा। भगवान विष्णु एक पत्ते पर तैरते हुए एक बच्चे के रूप में प्रकट हुए, और ऋषि को बताया कि वह ही समय और मृत्यु है।

ऋषि मार्कण्डेय ने उनके मुंह में प्रवेश किया और खुद को बढ़ते पानी से बचाया। बालक के पेट के अंदर मार्कण्डेय ने सभी लोकों, सात क्षेत्रों और सात महासागरों की खोज की। पहाड़ और राज्य सब वहाँ थे। तो सभी जीवित प्राणी थे। मार्कण्डेय को समझ नहीं आ रहा था कि इन सबका क्या किया जाए। वह भगवान विष्णु से प्रार्थना करने लगे। जैसे ही उन्होंने प्रार्थना शुरू की , वह भगवान के कमल मुख से बाहर आ गए। भगवान विष्णु अब उनके सामने प्रकट हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। ऋषि ने भगवान विष्णु के साथ एक हजार वर्ष बिताए। उन्होंने इस समय बाल मुकुंदष्टकम की रचना की।

अन्य कई मत भी प्रचलित हैं कि इसकी रचना आदि शंकराचार्य द्वारा की गई थी। एक अन्य मान्यता के अनुसार इस महान प्रार्थना का पहला छंद लीला शुक नामक कवि के महान ग्रंथ श्रीकृष्ण कर्णामृत में भी मिलता है। यह ज्ञात नहीं है कि वह इस प्रार्थना के लेखक भी हैं या नहीं। अतः यह ठीक-ठीक ज्ञात नहीं है कि इसकी रचना किसके द्वारा हुई।

कुंती कृत श्रीकृष्ण स्तुति
मधुराष्टकम् हिंदी अर्थ सहित
श्री कृष्णाष्टकम हिंदी अर्थ
Category: Stotra/ Stuti

2 thoughts on “Bala Mukundashtakam With Hindi Meaning-बाल मुकुंदष्टकम हिंदी अर्थ सहित”

  1. K.L. Yadav says:
    September 13, 2023 at 6:33 pm

    🙏🙏🌹🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय 🌹🙏🙏
    उत्तम,अति उत्तम । आपकी हरेक प्रस्तुति मनमोहक होती
    हैं । इसी क्रम में मैं आपसे कुछ और प्रस्तुतियों की अपेक्षा
    करता हूं । यदि संभव हो तो विष्णु पंजर स्तोत्र , गजेन्द्र मोक्ष तथा कुन्ती कृत श्री कृष्ण स्तुति का प्रकाशन अवश्य
    करें । कष्ट के लिए क्षमा चाहूंगा तथा अग्रिम धन्यवाद देना
    चाहूंगा ।
    🙏🙏🙏 श्री राधा कृष्णाये नमः 🙏🙏🙏

    Reply
    1. santwana says:
      September 14, 2023 at 10:15 pm

      धन्यवाद। आप जिन स्तोत्र की प्रस्तुति हमारे द्वारा चाहते हैं वे स्तोत्र थोड़ा बड़े है। अतः उन्हें पोस्ट करने में थोड़ा विलम्ब हो रहा है। परन्तु हम प्रयास करेंगे कि शीग्र ही उन्हें पोस्ट करें।

      Reply

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