बसंत पंचमी(Basant Panchami) का उत्सव माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व वास्तव में ऋतुराज बसंत के आगमन की सूचना देता है। इस दिन से ही होरी तथा धमार के गीत प्रारम्भ किए जाते हैं।
गेहूँ तथा जौ की स्वर्णिम बालियां भगवान को अर्पित की जाती हैं। इस दिन भगवान विष्णु तथा सरस्वती माँ के पूजन का विशेष महत्व है।
- बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त-Basant Panchami 2024 Shubh Muhurat
- बसंत पंचमी की कथा -Basant Panchami Katha
- बसंत पंचमी का महत्व -Basant Panchami Mahatva
- कैसे करें माँ सरस्वती का पूजन-Saraswati Puja Vidhi
- Saraswati Puja Vidhi-सरस्वती पूजा विधि
- बसंत पंचमी के विशेष ज्योतिषीय उपाय -Basant Panchami Astrological Remedies
बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त-Basant Panchami 2024 Shubh Muhurat
बुधवार , 14 फरवरी, 2024
बसंत पंचमी पूजा मुहूर्त – 06:44 am -12:21 pm
पंचमी तिथि प्रारंभ -02:41 pm, 13 फरवरी ,2024
पंचमी तिथि समाप्ति -12:09 pm, 14 फरवरी,2024
बसंत पंचमी की कथा -Basant Panchami Katha
भगवान विष्णु की आज्ञा से प्रजापति ब्रह्मा जी जब सृष्टि की रचना करके जब उस संसार को देखते हैं तो उन्हें चारों तरफ सूनसान और निर्जन ही दिखाई देता है। उदासी से सारा वातावरण मूक सा जान पड़ता है। जैसे किसी के कोई वाणी न हो।
यह देखकर ब्रह्मा जी ने उदासी और मलीनता को दूर करने के लिए अपने कमंडल से जल छिड़का। उन जलकणों के पड़ते ही वृक्षों से एक शक्ति उत्पन्न हुई जो दोनों हाथों से वीणा बजा रही थी तथा दो हाथों में क्रमशः पुस्तक तथा माला धारण किए थीं। ब्रह्मा जी ने उन देवी से वीणा बजाकर संसार की मूकता तथा उदासी दूर करने को कहा।
तब उन देवी ने वीणा के मधुर नाद से सब जीवों को वाणी प्रदान की ,इसलिए उन देवी को सरस्वती कहा गया। यह देवी विद्या तथा बुद्धि को देने वाली हैं ,इसलिए इस दिन हर घर में देवी सरस्वती का पूजन किया जाता है।
बसंत पंचमी का महत्व -Basant Panchami Mahatva
- बसंत पंचमी का दिन बहुत शुभ माना जाता है। इसे अबूझ मुहूर्त की संज्ञा प्राप्त है। इसका अर्थ है अक्षय तृतीया और देवउठान एकादशी की तरह इस दिन पूरा दिन शुभ माना जाता है और मुहूर्त आदि के लिए पंचांग देखने की भी आवश्यकता नहीं होती। इसलिए यह दिन किसी भी अच्छे कार्य को प्रारंभ करने के लिए बहुत शुभ है।
- ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही मनुष्य को शब्द की शक्ति प्राप्त हुई थी। इस दिन से ही मानव को भाषा और बोली का ज्ञान प्राप्त हुआ। इसलिए बसंत पंचमी के दिन ही बच्चों को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है।
- ऐसी मान्यता है की माँ सरस्वती के पूजन का प्रारंभ भगवान श्री कृष्ण ने किया था।
- इस दिन पितरों का तर्पण करने का भी विधान है।
- कुछ क्षेत्रों में आज के दिन कामदेव की पूजा का भी प्रचलन है।
- बसंत पंचमी के दिन वाद्य यंत्रो की पूजा की जाती है। व्यापारी वर्ग इस दिन अपने बांटो और बहीखातों का भी पूजन करते हैं।
- बच्चे अपनी पुस्तकों का पूजन करते हैं।
कैसे करें माँ सरस्वती का पूजन-Saraswati Puja Vidhi
- स्नान आदि करके पीले अथवा श्वेत वस्त्र धारण करें। सूर्य भगवान को अर्घ्य दें।
- इसके पश्चात जिस स्थान पर माँ का पूजन करना हो उसे अच्छे से साफ़ करें।
- माँ की तस्वीर या प्रतिमा रखें। पूजन पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके ही करें।
- कलश की स्थापना करें ,गणपति और नवग्रह की भी स्थापना करें।
- माँ को हल्दी व श्वेत चंदन अर्पित करें। अक्षत और लौंग का जोड़ा अर्पित करें।
- पीले और श्वेत पुष्प चढ़ाए। सिंदूर व श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।
- पीले फल ,बूंदी और केसर मिश्रित खीर का भोग माँ को लगाएं।
- “ऐं” मंत्र का जप करें। कम से कम एक एक माला करें।
- यज्ञ अवश्य करें। संविदा में पीली सरसों और गुड़ मिलाएं। “ॐ ऐं नमः स्वाहा” इस मंत्र द्वारा आहुति दें।
- हल्दी मिश्रित पीले चावल का दान अवश्य निकाले।
- इस दिन आप जो भी कार्य करते हैं उससे संबंधित वस्तु का पूजन अवश्य करें।
Saraswati Puja Vidhi-सरस्वती पूजा विधि
ध्यान
सर्वप्रथम सरस्वती जी की प्रतिमा के सम्मुख बैठकर निम्न मंत्र द्वारा माँ का ध्यान करें।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता ।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता ।
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा ।
आवाहन
इसके पश्चात दोनों हाथ जोड़कर निम्न मंत्र द्वारा माँ सरस्वती का आवाहन करें।
आगच्छ देव-देवेशि ! तेजोमयि सरस्वती!
क्रियमाणां मया पूजां, गृहाण सुर-वन्दिते!
श्रीसरस्वती-देवीं आवाहयामि।
आसन
आवाहन के पश्चात दोनों हाथों की अंजलि में पांच पुष्प लेकर निम्न मंत्र द्वारा मां को आसन प्रदान करते हुए मां की प्रतिमा के सम्मुख पुष्प छोड़ें।
नाना रत्न समायुक्तं, कार्त स्वर विभूषितम्।
आसनं देव-देवेशि! प्रीत्यर्थं प्रति-गृह्यताम्।।
श्रीसरस्वती-देव्यै आसनार्थे पंच-पुष्पाणि समर्पयामि।।
नव उपचार पूजन
इसके पश्चात् मां सरस्वती का चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य द्वारा निम्न मंत्र पढ़ते हुए पूजन करें।
ॐ श्रीसरस्वती-देव्यै नमः पादयोः पाद्यं समर्पयामि।
ॐ श्रीसरस्वती-देव्यै नमः शिरसि अर्घ्यं समर्पयामि।
ॐ श्रीसरस्वती-देव्यै नमः गंन्धाक्षतं समर्पयामि।
ॐ श्रीसरस्वती-देव्यै नमः पुष्पं समर्पयामि।
ॐ श्रीसरस्वती-देव्यै नमः धूपं घ्रापयामि।
ॐ श्रीसरस्वती-देव्यै नमः दीपं दर्शयामि।
ॐ श्रीसरस्वती-देव्यै नमः नैवेद्यं समर्पयामि।
ॐ श्रीसरस्वती-देव्यै नमःआचमनीयं समर्पयामि।
ॐ श्रीसरस्वती-देव्यै नमः ताम्बूलं समर्पयामि।
पूजन समर्पण
ऊपर बताई हुई विधि के अनुसार पूजन करने के पश्चात बांये हाथ में आकर्षण और पुष्प लेकर निम्न मंत्र को पढ़ते हुए दांएं हाथ से बही-खाते अथवा किताबों पर अक्षत पुष्प छिड़के।
ॐ श्रीसरस्वत्यै नमः।अनेन पूजनेन श्रीसरस्वती देवी प्रीयताम्। नमो नमः ।
बसंत पंचमी के विशेष ज्योतिषीय उपाय -Basant Panchami Astrological Remedies
- बसंत पंचमी का दिन ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन को अबूझ मुहूर्त में गिना जाता है। इसका अर्थ है कि इस दिन किसी कार्य को करने के लिए पंचांग देखने की भी जरूरत नहीं होती है।
- पूरे दिन में किसी भी समय आप शुभ कार्य को प्रारम्भ कर सकते हैं। इस दिन कुछ ज्योतिष उपाय करने से बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। आप अपनी कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार निम्न ज्योतिषीय उपाय कर सकते हैं।
- यदि कुंडली में शिक्षा में बाधा का योग बन रहा हो तो इस दिन माँ सरस्वती की पूजा पूरे मन से करें और माँ से ये प्रार्थना करें कि मेरी शिक्षा में जो भी बाधा आ रहीं हैं उन्हें दूर करें।
- यदि कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति कमजोर है तो इस दिन हरे फल अर्पित कर माँ सरस्वती की आराधना करें। साथ ही इस दिन से “ॐ बुं बुधाय नमः” या “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।” इस मंत्र का सवा लाख जप करने का संकल्प लें। ऐसा करने से आपको बुध ग्रह के अच्छे परिणाम मिलने लगेंगे।
- यदि कुंडली में बृहस्पति की स्थिति कमजोर है तो इस दिन पीले वस्त्र धारण करें और माँ सरस्वती को पीले पुष्प और फल अर्पित कर माँ की आराधना करें।
सरस्वती जी की आरती-Saraswati Ji Ki Arti
- यदि कुंडली में शुक्र कमजोर होगा तो मन में भटकाव होगा जिस कारण शिक्षा में बाधा आएगी। ऐसे में माँ सरस्वती को सफ़ेद पुष्प अर्पित कर आराधना करें।