दशमांश कुंडली जातक की जन्म कुंडली के दशम भाव का विस्तार होता है। इसके द्वारा किसी जातक के कर्मों और करियर का निर्धारण किया जा सकता है। इस कुंडली का प्रयोग जातक की सामाजिक स्थिति, सम्पन्नता, शक्ति आदि जानने के लिए किया जाता है।
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Dreshkan Kundali (D3) Ko Jane-द्रेष्काण कुंडली को जाने
द्रेष्काण्ड कुंडली अत्यंत मत्वपूर्ण वर्ग कुंडली है तथा इसे षड्वर्ग में स्थान प्राप्त है। इसका प्रयोग जातक का पराक्रम, भाई-बहनों का सुख देखने के लिए किया जाता है।
द्रेष्काण्ड तीसरे भाव का विस्तार होता है। तीसरा भाव छोटे भाई -बहन, कम्युनिकेशन, छोटी दूरी की यात्रा, लिखने, सुनने, हाथ, मित्रों, पराक्रम, साकारत्मक सोच, कठिन परिश्रम और साहस का होता है।
Navmansh Kundali(D-9) Kaise Banaye-नवमांश कुंडली कैसे बनाएं
नवमांश कुंडली में एक राशि के 9 भाग किए जाते हैं जिसके प्रत्येक भाग का मान 3°20′ का होता है। उसके प्रत्येक भाग को नवमांश कहते हैं तथा इस प्रकार से प्राप्त कुंडली को नवमांश कुंडली कहते हैं।
विंशोपक बल कैसे निकालें-Vimshopak Bal Kya Hai
विम्शोपक बल ग्रहों की शक्ति निकालने का तरीका है जिसमें ग्रहों की विभिन्न वर्गों में स्थिति में आधार पर 20 अंकों में से अंक प्रदान किए जाते हैं। जिस ग्रह को जितना अधिक अंक मिलता है वह उतना ही बली होता है।
Importance Of Shodash Varga Kundali-षोडश वर्ग कुंडली
षोडश वर्ग के अंतर्गत सोलह वर्ग कुंडलियां आती हैं-
1) राशि कुंडली(D-1) , 2)होरा(D-2), 3)द्रेष्काण(D-3), 4)चतुर्थांश(D-4), 5)सप्तमांश(D-7), 6)नवमांश(D-9), 7)दशमांश(D-10), 8)द्वादशांश(D-12), 9)षोडशांश(D-16), 10)त्रिशांश(D-30), 11)चतुर्विशांश(D-24), 12)सप्तविशांश(D-27), 13)त्रिंशदशांश(D-30), 14)खवेदांश/चत्वार्यांश(D-40) , 15)अक्षवेदांश/ पंच चत्वार्यांश(D-45), 16)षष्टियांश(D-60)
Varg Kundali(Divisional Charts) Aur Unse Banne Wale Yoga-वर्ग कुंडली क्या होती है
यदि हमें किसी भाव और गहनता या सूक्ष्मता से अध्धयन करना हो तो वर्ग कुंडलियों को देखना चाहिए। जिस प्रकार से विभिन्न भाव जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते है उसी प्रकार से विभिन्न वर्ग कुंडलियां भी जीवन के किसी विशेष पहलु के बारे में और सूक्ष्मता से बताती हैं।जैसे नवांश कुंडली द्वारा जीवनसाथी का विचार किया जाता है।
Navgrah Stotra With Hindi Meaning-नवग्रह स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित
Navgrah Stotra
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महदद्युतिं ।
तमोरिंसर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरम् ।। १ ।।
दधिशंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवं ।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम् ।। २ ।।
Trishadaya Bhava Kya Hote Hai-त्रिषडाय भाव को जानिए
जन्म कुंडली के तीसरे,छठे और ग्यारहवें भाव (3,611)को त्रिषडाय के नाम से जाना जाता है। त्रिषडाय(Trishadaya) का अर्थ होता है-
त्रि(तृतीय भाव) + षड(षष्ठम भाव) + आय(एकादश भाव)
Upachaya Bhava/ Upachayasthanas-उपचय भाव क्या होते हैं
Upachaya Bhava
जन्म कुंडली के 3,6,10,11 भाव को उपचय स्थान कहते हैं। उपचय स्थान – संस्कृत शब्द उपचय से लिया गया है जिसका अर्थ है वृद्धि करना या समय के साथ बढ़ना।उपचय भाव में बैठे हुए ग्रह समय के साथ वृद्धि करते हैं या बढ़ते हैं।
Dasha in Jyotish Shastra-ज्योतिष शास्त्र में दशा को जानिए
जन्म कुंडली में उपस्थित योगों के द्वारा जहाँ हमें यह ज्ञात होता है कि जातक के जीवन में कोई घटना होगी या नहीं वहीं दशा हमें इस बात की जानकारी देती है कि वह घटना जीवन में कब घटित होगी।