Panch Mahapurush Yoga
जब मंगल, बुध, शुक्र, शनि या बृहस्पति केंद्र में उच्च या स्वग्रही हों तो पंच महापुरूष योग बनता है। मंगल के द्वारा रुचक, बुध के द्वारा भद्र, बृहस्पति के द्वारा हंस, शुक्र के द्वारा मालव्य और शनि के द्वारा शश नामक पंच महापुरुष योग बनता है।
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ग्रहों की अवस्था-Grahon Ki Awastha
ग्रह सतत रूप से गतिशील रहते हैं। वह भचक्र की विभिन्न राशियों में सतत गोचर करते हुए विशिष्ट स्थितयों को प्राप्त करते हैं, जिन्हे ग्रहों की अवस्था(Grahon Ki Awastha) कहा जाता है।
Kendra Trikon Rajyog-केंद्र त्रिकोण राजयोग को जानिए (विष्णु लक्ष्मी योग)
जब केंद्र स्थान और त्रिकोण के स्वामी एक दूसरे के सम्बन्ध बनाते हैं तो इसे केंद्र त्रिकोण राजयोग(Kendra Trikon Rajyog ) कहते हैं। केंद्र त्रिकोण राजयोग में भाग लेने वाले ग्रह अपनी दशा अन्तर्दशा में शुभ फल प्रदान करते हैं।
9 ग्रहों की मित्रता शत्रुता और पंचधा मैत्री-Naisargik Mitrata Shatruta Aur Panchdha Maitri
Grahon Ki Mitrata Shatruta-ग्रहों की मित्रता शत्रुता अक्सर हम सुनते है शनि मंगल की युति हो रही है या किसी अन्य ग्रह की युति हो रही है जो की विनाशकारी होगी या ख़राब परिणाम देगी। इसका क्या अर्थ है ? यदि इसको हम इस प्रकार से समझने का प्रयास करें जब हम किसी व्यक्ति से…
Kundali Ki 12 Rashiyan Aur Unka Vargikaran- कुंडली की 12 राशियों का वर्गीकरण
Rashiyan-राशि
भचक्र(Zodiac) में सभी ग्रह स्थित हैं। इस भचक्र को 30 अंश के द्वादश (बारह) समान भागों में विभक्त किया गया है प्रत्येक 30 का अंश एक राशि कहलाता है। इनका नामकरण उसमें स्थित प्रसिद्ध तारामंडल के आधार पर किया गया है।
Janam Kundali Ke 12 Bhav Ko Janiye-जन्म कुंडली के 12 भाव क्या हैं
जन्म कुण्डली में 12 भाव होते हैं जो हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं।ज्योतिष शास्त्र में हर भाव को एक विशेष कार्य प्रदान किया गया है जैसे यदि माता वाहन भूमि इत्यादि के बारे में जानना हो तो हम उस जातक की जन्मकुंडली के चतुर्थ भाव पर दृष्टि डालेंगे।
Jyotish Shastra(Astrology) Kya Hai-जाने क्या है ज्योतिष शास्त्र क्या है महत्व
Jyotish Shastra
सामान्यतः आकाश में स्थित ग्रह ,नक्षत्र आदि की गति , स्थिति एवं मानव और पृथ्वी पर उसके प्रभाव आदि अध्यनन जिस शास्त्र के अंतर्गत करते हैं उसे ज्योतिष शास्त्र कहते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में षड्बल क्या है-Shadbal Kya Hai
षड्बल के द्वारा हम किसी ग्रह के बल या शक्ति का पता लगा सकते हैं। षड्बल कोई एक बल नहीं है वरन ग्रह को विभिन्न बिंदुओं पर विचार करके हर बिंदु के हिसाब से उसे कुछ अंक प्रदान किये जाते हैं। इन सभी का योग ही षड्बल कहलाता है। क्योंकि यह छः बलों का योग है इसलिये इसे षड्बल कहते हैं। यह छः बल है- स्थान बल, दिग्बल, कालबल, चेष्टा बल, नैसर्गिक बल और दृष्टि बल।
ग्रहों की उच्च नीच और मूलत्रिकोण राशि- Ucch Neech Mooltrikona Rashi
ग्रह हमेशा गतिमान रहते हैं और विभिन्न राशियों में गोचर करते रहते हैं। हर ग्रह को अपने स्वाभाव के अनुसार कुछ राशियां प्रिय होती हैं जैसे- ग्रह की उच्च ,मूलत्रिकोण, स्वराशि और मित्र राशि। वहीं कुछ राशियां ऐसी भी होती हैं जिनमें ग्रह सहज नहीं होता जैसे – किसी ग्रह की नीच और शत्रु राशि।
Vedic Jyotish Me Surya Grah Aur Uska Mahatava-लक्षणों द्वारा जाने कैसा है आपकी कुंडली में सूर्य और उपाय
सूर्य(Surya) किसी व्यक्ति की कुंडली में बहुत महत्वपूर्ण ग्रह होता है क्योंकि सूर्य आत्मा का कारक है। बिना सूर्य के आपको जिंदगी में पद, प्रतिष्ठा, पिता का सुख नहीं मिल सकता। सूर्य हमारी हड्डियों, मस्तक, चेहरे पर तेज, आंखों, वाणी में आकर्षण, आत्मबल, अच्छा स्वास्थ्य और आयु को दिखाता है।यदि सूर्य अच्छा नहीं है तो आप कभी अच्छे राजनेता या उच्च पद पर आसीन नहीं हो सकते। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात है की सूर्य हमारे आत्मबल को दर्शाता है जिसका सूर्य अच्छा होता है उसका आत्मबल भी ज्यादा होता है।