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Chandrama Se Banne Wale Yoga

Chandrama Se Banne Wale Yoga-चन्द्रमा से बनने वाले योग

Posted on August 18, 2023February 28, 2024 by santwana

चन्द्रमा हमारी जन्म पत्रिका के सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रहों में से होता है। यह किसी जातक की मानसिक स्थिति को दर्शाता है। चन्द्रमा की महत्ता को इस बात से समझा जा सकता है कि किसी जातक के जीवन में कब कौन सी दशा आएगी यह उस जातक के जन्मकालीन चन्द्रमा के भोगांशों द्वारा ज्ञात किया जाता है। अतः जन्म पत्रिका में चन्द्रमा का अच्छे से विश्लेषण करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। इस लेख के माध्यम से हम चन्द्रमा(Chandrama Se Banne Wale Yoga) द्वारा बनने वाले योगों को जानेंगे।

चन्द्रमा द्वारा बनने वाले प्रमुख योग (Chandrama Se Banne Wale Yoga) हैं -सुनफा योग, अनफा योग, दुरधरा योग , केमद्रुम योग, गजकेसरी योग, अमल योग, पुष्कल योग । 

योग का अर्थ होता है -मिलन/संयोग/ मेल। योग का निर्माण तब होता है जब एक ग्रह, राशि या भाव दूसरे ग्रह, राशि या भाव से स्थिति, दृष्टि या युति सम्बन्ध बनाता है। योग अच्छे और बुरे दोनों हो सकते हैं। एक अच्छा योग जहाँ कुंडली को मजबूत बनाता है वहीं ख़राब योग कुंडली को कमजोर करते हैं। 

विषय-सूचि
  1. Chandrama Se Banne Wale Yoga-चन्द्रमा से बनने वाले योग
    • Sunpha Yoga-सुनफा योग
    • Anpha Yoga-अनफा योग
    • Durdhara Yoga-दुरधरा  योग 
    • Kemdrum Yoga-केमद्रुम योग 
    • Gaj Kesri Yoga-गज केसरी योग 
    • Shakat Yoga-शकट योग 
    • Amal Yoga-अमल योग 
    • Pushkal Yoga-पुष्कल योग 
    • Vasuman Yoga-वसुमान योग 
    • Chandradhi Yoga-चन्द्राधि योग 
  2. Chandrama Se Banne Wale Yoga Ka Mahatva-चन्द्रमा से बनने वाले योग का महत्व

Chandrama Se Banne Wale Yoga–चन्द्रमा से बनने वाले योग

Sunpha Yoga-सुनफा योग

जब चन्द्रमा से दूसरे भाव में सूर्य को छोड़कर कोई अन्य ग्रह हो तथा चन्द्रमा से बारहवें भाव में कोई ग्रह न हो तो सुनफा योग बनता है। 

बृहत पराशर होराशास्त्र के अनुसार ऐसा जातक राजा/राजा के समान होगा, स्वार्जित संपत्ति वाला, अपनी बौद्धिक क्षमता के कारण सम्मानित और प्रसिद्ध, धनी और प्रतिष्ठित होगा। 

होरासार के अनुसार ऐसे व्यक्ति के पास स्वार्जित धन होगा और ऐसे जातक को शास्त्रों का ज्ञान होगा।

सारावली के अनुसार चन्द्रमा से दूसरे भाव में यदि मंगल हो तो ऐसा जातक साहसी, धनी, वाणी से निर्दयी अर्थात कठोर वाणी वाला, सेनापति, गर्व करने वाला, गुस्सैल और शत्रुओं(विरोधी) से युक्त होगा। 

चन्द्रमा से दूसरे भाव में यदि बुध हो तो ऐसा जातक वेदों, शास्त्रों और संगीत में निपुण होगा। वह धार्मिक,अच्छे गुणों वाला, कवि, अच्छी काया वाला और दूसरों का भला सोचने वाला होगा। 

चन्द्रमा से दूसरे भाव में यदि बृहस्पति हो तो ऐसा जातक उच्च शिक्षा प्राप्त, प्रसिद्ध, राजा या राजा को प्रिय होगा। उसका अच्छा परिवार होगा और धनी होगा। 

चन्द्रमा से दूसरे भाव में यदि शुक्र हो तो ऐसा जातक पत्नी, धन, भूमि, पशुओं से युक्त, कौशल और वीर होगा। वह राजा द्वारा सम्मानित होगा। 

चन्द्रमा से दूसरे भाव में यदि शनि हो तो ऐसा जातक कौशल युक्त, अपने ग्राम के लोगों द्वारा पूजित, अपने काम को समर्पित और बहादुर होगा। उसके पास धन होगा। 

उदाहरण कुंडली सुनफा योग– सचिन तेंदुलकर

Chandrama Se Banne Wale Yoga-Sachin Tendulkar Sunpha Yoga Example
Sachin Tendulkar Sunpha Yoga Example

उपरोक्त पत्रिका मशहूर क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर की है। इनका लग्न सिंह है और चन्द्रमा यहाँ द्वादश भाव का स्वामी है और पंचम भाव में राहु के साथ विराजित है।यहाँ चन्द्रमा से द्वितीय भाव में मंगल और बृहस्पति विराजित हैं। मंगल यहाँ नवम और बृहस्पति पंचम स्थान के मालिक हैं।

मंगल यहाँ अपनी उच्च की राशि मकर में छठे भाव में नीच के बृहस्पति के साथ विराजित है।यहाँ जातक के व्यवहार में मंगल और बृहस्पति दोनों का प्रभाव देखने को मिलेगा। मंगल का छठे भाव में होना इनके शत्रुओं का नाश करने वाला है। चन्द्रमा से द्वितीय भाव में सुनफा योग बनने पर जो गुणधर्म बताए गए हैं की ऐसा जातक साहसी, धनी और प्रतिद्वंदियों से युक्त होगा इस पत्रिका पर लगते हैं। साथ ही बृहस्पति का द्वितीय भाव में होना प्रसिद्धि, धन और राजा का प्रिय बनाता है।
यहाँ पर सिर्फ सुनफा योग का विश्लेषण किया गया।

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Anpha Yoga-अनफा योग

यदि चन्द्रमा से बाहरवें भाव में सूर्य के अतिरिक्त कोई अन्य ग्रह(मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि) हो तथा दूसरे भाव में कोई ग्रह न हो तो अनफा योग बनता है। 

बृहत पराशर होरशास्त्र के अनुसार अनफा योग में उत्पन्न व्यक्ति राजा, रोगों से मुक्त, सदाचारी, प्रसिद्ध, आकर्षक और सुखी होगा। 

होरासार के अनुसार ऐसे व्यक्ति के पास राजनैतिक समझ होगी, नैतिक होगा तथा दृढ़ होगा। 

सारावली के अनुसार चन्द्रमा से बारहवें भाव में यदि मंगल हो तो ऐसा जातक चोरों का स्वामी, बहादुर, अपने आपको वश में रखने वाला, युद्ध का शौकीन क्रोधी प्रशंसनीय अच्छे शरीर वाला और और अभिमानी होता है। 

चन्द्रमा से बारहवें भाव में यदि बुध हो तो ऐसे जातक संगीत, नृत्य कला, लेखन  में निपुण,कवि, अच्छे वक्ता, सम्मानित, अच्छे शरीर वाले और अच्छे कर्म करने वाले होते हैं। 

चन्द्रमा से बारहवें भाव में यदि बृहस्पति हो तो ऐसे जातक गंभीर, बलवान, बुद्धिमान, राजा के कारण प्रसिद्ध, कवि होते हैं। 

चन्द्रमा से बारहवें भाव में यदि शुक्र हो तो ऐसे लोग स्त्रियों से जुड़े, राजा को प्रिया सभी सुखों को भोगने वाले प्रसिद्ध और स्वर्ण युक्त होते हैं। 

चन्द्रमा से बारहवें भाव में यदि शनि हो तो ऐसे लोग चौड़े कंधे वाले, नेता, अपने कमिटमेंट को रखने वाले, चौपाए पशुओं से धनी , भाग्यवान,सदाचारी, पुत्र-युक्त होते हैं। 

उदाहरण कुंडली अनफा योग मुकेश अम्बानी

Mukesh Ambani Anpha Yoga Example
Mukesh Ambani Anpha Yoga Example

उपरोक्त कुंडली प्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अम्बानी की है। यहाँ चन्द्रमा से बारहवें भाव में शनि है। मुकेश अम्बानी के व्यवहार में शनि के द्वारा अनफा योग बनने पर जो गुणधर्म बताए गए हैं परिलक्षित होते हैं। उनके अंदर लीडरशिप का गुण है साथ ही वो जो कमिटमेंट करते हैं वो पूरा करते हैं। उनका व्यवहार काफी सौम्य है और उनके दो पुत्र हैं।

Durdhara Yoga-दुरधरा  योग 

जब चन्द्रमा से दूसरे तथा बारहवें दोनों भावों में सूर्य अतिरिक्त अन्य ग्रह हो तो दुरधरा योग बनता है। बृहत पराशर होरा शास्त्र के अनुसार ऐसा जातक आनंद का भोग करेगा, दानी, धनी तथा जन्म से उत्कर्ष वाला होगा। वराहमिहिर के अनुसार ऐसा जातक खुश रहने वाला, तथा सवारियों वाला, दानी और नौकरों से युक्त होगा। 

सारावली के अनुसार यदि बुध और मंगल दुरधरा योग का निर्माण करें तो ऐसा जातक झूठ बोलने वाला, धनी, कुशल, दुष्ट, कंजूस, वृद्ध स्त्री के प्रति आसक्त तथा कुल में अग्रणी होगा। 

यदि मंगल और बृहस्पति दुरधरा योग का निर्माण करें तो ऐसा जातक अपने कर्मों के कारण प्रसिद्ध, धनी, बहुत लोगों से शत्रुता, क्रोधी, अपने लोगों की रक्षा करने वाला तथा धन एकत्र करेगा। 

यदि मंगल और शुक्र दुरधरा योग का निर्माण करें तो ऐसा जातक गुणी पत्नी वाला, भाग्यवान, तर्क करने वाला, पवित्र, दक्ष, व्यायाम करने वाला और युद्ध में वीर होगा। 

यदि मंगल और शनि दुरधरा योग का निर्माण करें तो ऐसा जातक बुरी स्त्री का पति, धन का संचय करने वाला, दोष युक्त, चुगलखोर, क्रोधी और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला होगा। 

यदि बुध और बृहस्पति दुरधरा योग का निर्माण करें तो ऐसा जातक शास्त्रों का ज्ञाता, बातूनी, अच्छा कवि, धनी, त्यागी और प्रसिद्ध होगा। 

यदि बुध और शुक्र दुरधरा योग का निर्माण करें तो ऐसा जातक मधुर बोलने वाला, भाग्यवान, कांति युक्त, सुन्दर, नृत्य और गायन का शौक़ीन, सेवकों से युक्त,  बहादुर और मंत्री होगा। 

यदि बुध और शनि दुरधरा योग का निर्माण करें तो ऐसा जातक धन कमाने के लिए विदेश गमन करने वाला, कम पढ़ा-लिखा, दूसरों द्वारा पूजनीय परन्तु अपने लोगों द्वारा विरोध का सामना करने वाला होगा। 

यदि बृहस्पति और शुक्र दुरधरा योग का निर्माण करें तो ऐसा जातक बहादुर, बुद्धिमान, राजनितिक बुद्धिमता वाला, स्वर्ण और रत्नों से युक्त, प्रसिद्ध और राजा का कार्य करने वाला होगा। 

यदि शनि और बृहस्पति दुरधरा योग का निर्माण करें तो ऐसा जातक प्रसन्न, राजनीती के ज्ञान वाला, वाणी से मधुर, पढ़ा-लिखा, शांत, धनी और आकर्षक होगा। 

यदि शुक्र और शनि दुरधरा योग का निर्माण करें तो ऐसा जातक परिपक्व, कुल में प्रमुख, निपुण, स्त्रियों को प्रिय, प्रचुर धन वाला, राजा द्वारा सम्मान प्राप्त होगा। 

दुरधरा योग उदाहरण कुंडली

Durudhara Yoga Example
Durudhara Yoga Example

उपरोक्त पत्रिका में बुध और शनि, मंगल के द्वारा दुरधरा योग का निर्माण हो रहा है। यह पत्रिका जिस जातक की है वह पराक्रमी और बुद्धिमान है परन्तु उसकी शिक्षा अपनी योग्यता के हिसाब से कम है। इस जातक को बाहरी लोगों द्वारा तो सम्मान मिलता है परन्तु उसके जो अपने करीबी हैं वो उतना सम्मान नहीं देते।

Kemdrum Yoga-केमद्रुम योग 

पराशर ऋषि के अनुसार यदि चन्द्रमा से दूसरे और बारहवें भाव में कोई ग्रह न हो तथा चन्द्रमा से केंद्र में भी कोई ग्रह न हो तो केमद्रुम योग बनता है। यदि चन्द्रमा पर किसी ग्रह की दृष्टि पड़ जाए तो केमद्रुम योग भंग हो जाता है। 

केमद्रुम योग(Kemdrum Yoga) में जन्मा व्यक्ति विद्या-बुद्धि विहीन होता है तथा दरिद्र होता है। उसे जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। 

होरासार के अनुसार यदि केमद्रुम योग में जन्मा व्यक्ति राजा के घर पर भी जन्म ले तो भिखारी (दरिद्र) होता है। तात्पर्य यह कि उस व्यक्ति के पास सब कुछ हो तो भी वह उनका भोग नहीं कर पाता या आनंद नहीं ले पाता है। 

सारावली के अनुसार केमद्रुम योग में जन्मा व्यक्ति कांति, अन्न और पान से विहीन, घर, मित्रों से विहीन होता है। उसे जीवन में दरिद्रता, दुःख, बीमारी का सामना करना पड़ता है। वह बुरे वेश वाला, मलिन तथा कठिनता से जीविका अर्जन करने वाला होता है। वह दुष्ट और लोक(संसार/समाज) के विरुद्ध आचरण करने वाला होता है। 

उदाहरण कुंडली केमद्रुम योग

उपरोक्त पत्रिका में चन्द्रमा से दूसरे और बारहवें घर में कोई ग्रह नहीं है न ही चन्द्रमा से केंद्र में कोई ग्रह है। यहाँ को ग्रह चन्द्रमा को देख भी नहीं रहा। अतः इस पत्रिका केमद्रुम योग बन रहा है। यह जातक सब कुछ हुए भी एकाकी जीवन व्यतीत कर रहा है।

Gaj Kesri Yoga-गज केसरी योग 

बृहत पराशर होराशास्त्र के अनुसार जब बृहस्पति चन्द्रमा से केंद्र स्थान में हो तथा अन्य शुभ ग्रह से दृष्ट तथा नीच, अस्त या शत्रु राशि में न हो तो गज केसरी योग निर्मित होता है। गजकेसरी योग में जन्मा जातक धनवान, बुद्धिमान, गुणों से संपन्न तथा राजा का प्रिय होता है। 

फलदीपिका के अनुसार केसरी योग(फलदीपिका में गजकेसरी को केसरी योग(Gaj Kesri Yoga) कहा गया है।) में जन्मा व्यक्ति सिंह के समान शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला, अपनी वाणी पर आधिपत्य वाला, राजसिक वृत्ति वाला, दीर्घायु, तीव्र बुद्धि वाला,यशस्वी, और अपने तेज से सबको जीत लेने वाला होता है। 

Yogas Formed By Moon- Gajkesri Yoga

Shakat Yoga-शकट योग 

फलदीपिका के अनुसार यदि चन्द्रमा से छठे, आठवें या बारहवें स्थान में बृहस्पति हो तो शकट योग होता है। यदि चन्द्रमा लग्न से केंद्र स्थान में हो तो शकट योग नहीं होता है।

शकट योग में जन्मा व्यक्ति अत्यंत दुःखी होता है। उसके हृदय में दुःख का ऐसा कांटा लगा होता है कि उससे छुटकारा पाना मुश्किल होता है। ऐसा व्यक्ति कभी प्रसिद्धि नहीं प्राप्त कर सकता और हमेशा साधारण जीवन जीता है। 

ऐसे व्यक्ति कभी बहुत ऊंचाइयों को छू लेते हैं तो कभी पुनः जमीन पर आ जाते हैं। साधारण भाषा में कहें तो इनके जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव होते हैं। 

Amal Yoga-अमल योग 

यदि लग्न या चन्द्रमा से दशम में केवल शुभ ग्रह हों तो अमल योग बनता है। 

पराशर ऋषि में अनुसार अमल योग में जन्मे व्यक्ति राजा से सम्मान प्राप्त करते हैं, सुखों का भोग करते हैं, दानी होते हैं, सम्बन्धियों के शौकीन, दूसरों की सहायता करने वाले, पवित्र और सदाचारी होते हैं। 

यदि दशम में शुभ ग्रह  के साथ अशुभ ग्रह भी हों तो इस योग का फल दूषित हो जाता है। यदि दशम भाव में बली शुभ ग्रह हों तो जातक को स्थायी नाम और प्रतिष्ठा प्राप्त होगी। 

फलदीपिका के अनुसार जब भी लग्न या चन्द्रमा से दशम भाव में शुभ ग्रह होते हैं तो अमल योग बनता है। इस योग वाले जातक भूमि का स्वामी, धनी, नीतिज्ञ, पुत्र और सम्पत्ति से युक्त तथा यशस्वी होता है। 

Pushkal Yoga-पुष्कल योग 

फलदीपिका के अनुसार यदि लग्नेश(लग्न का स्वामी) और राशि स्वामी (चंद्र राशि का स्वामी) एक साथ केंद्र में हों और किसी अधिमित्र के घर में हो और कोई बलवान ग्रह केंद्र को देखे तो पुष्कल योग बनता है। 

पुष्कल योग(Yogas Formed By Moon) में जन्मा व्यक्ति राजा द्वारा सम्मानित, धनी, प्रसिद्ध, उत्तम वस्त्र और आभूषण धारण करने वाला, शुभ वाणी बोलने वाला, बहुत लोगों का मालिक और श्रेष्ठ पदवी को प्राप्त होता है। 

Vasuman Yoga-वसुमान योग 

फलदीपिका के अनुसार यदि चन्द्रमा से उपचय भाव में  सभी सभी शुभ ग्रह हों चाहें किसी राशि में एक या अधिक शुभ ग्रह हों परन्तु सभी शुभ ग्रहों अर्थात बुध, शुक्र, बृहस्पति को उपचय भाव में होना चाहिए, तो वसुमान योग बनता है। इस योग में जन्मा जातक सदैव अपने घर में रहेगा और उसके पास बहुत द्रव्य होगा। 

Chandradhi Yoga-चन्द्राधि योग 

जब चन्द्रमा से छठे, सातवें और आठवें भाव में शुभ ग्रह हों तो अधियोग बनता है। पराशर ऋषि के अनुसार जिस जातक की जन्मकुंडली में यह योग बनता है वह राजा, मंत्री या सेना का प्रमुख होता है। 

विभिन्न ग्रंथो के अनुसार अधियोग में चन्द्रमा से चौथा भाव खाली होना चाहिए तथा शुभ ग्रह पाप प्रभाव से मुक्त, नीच या अस्त नहीं होने चाहिए। सर्वश्रेष्ठ अधियोग तब निर्मित होता है जब बुध छठे, बृहस्पति सप्तम और शुक्र अष्टम में हो। 

Chandrama Se Banne Wale Yoga Ka Mahatva-चन्द्रमा से बनने वाले योग का महत्व

  • च्रंद्रमा से बनने वाले योग(Chandrama Se Banne Wale Yoga) अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा हमारी मानसिक स्थिति को दर्शाता है। यदि हमारी जन्म पत्रिका में चन्द्रमा की स्थिति अच्छी है तो हम बड़ी से बड़ी मुश्किल का सामना आसानी से कर सकते हैं वही यदि जन्म पत्रिका में चन्द्रमा कमजोर हो या बुरे योग बना रहा हो ऐसे जातक को अपनी मानसिक स्थिति के कारण जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
  • यदि चन्द्रमा कमजोर हो तो ऐसे लोग जल्दी अवसाद में आ जाते हैं। जहाँ परिस्थियाँ प्रतिकूल हो उन्हें निर्णय लेने में समस्या होने लगती है।
  • यदि चन्द्रमा केमद्रुम योग का निर्माण करे तो ऐसे व्यक्ति को सब कुछ होते हुए भी किसी चीज का सुख प्राप्त नहीं होता है।
    यदि जन्म कुंडली में शकट योग बने तो जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है।
  • यदि चन्द्रमा शुभ योग बनाए तो जातक जीवन में ऊंचाईयों को छूता है।

अतः जन्म पत्रिका में चन्द्रमा और उसके द्वारा बनने वाले योगों का बारीकी से विश्लेषण करना आवश्यंक होता है।

Category: Astrology Hindi

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