द्रेष्काण कुंडली अत्यंत मत्वपूर्ण वर्ग कुंडली है तथा इसे षड्वर्ग में स्थान प्राप्त है। इसका प्रयोग जातक का पराक्रम, भाई-बहनों का सुख देखने के लिए किया जाता है।
द्रेष्काण तीसरे भाव का विस्तार होता है। तीसरा भाव छोटे भाई -बहन, कम्युनिकेशन, छोटी दूरी की यात्रा, लिखने, सुनने, हाथ, मित्रों, पराक्रम, साकारत्मक सोच, कठिन परिश्रम और साहस का होता है।
अतः तीसरे भाव का सूक्ष्मता से अध्धयन करने के लिए द्रेष्काण कुंडली(D3) का विश्लेषण आवश्यक है। द्रेष्काण कुंडली का लग्न और तीसरा भाव अत्यंत महत्वपूर्ण होते है साथ ही मंगल(छोटे भाई का कारक) और बृहस्पति(बड़े भाई का कारक) की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
Dreshkan Kundali Kaise Banaye-द्रेष्काण कुंडली कैसे बनाएं
द्रेष्काण कुंडली में एक राशि के 3 भाग किए जाते हैं तथा प्रत्येक भाग 10° का होता है। पहला भाग 0°-10° का, दूसरा भाग 10°-20° का तथा तीसरा भाग 20°-30° का होता है।
D-3 चार्ट में पहला भाग उसी राशि में, दूसरा भाग उससे पाँचवीं (5th)राशि में तथा तीसरा भाग उससे नौवीं(9th) राशि में होता है।
इस प्रकार से यदि कोई ग्रह मेष राशि के पहले द्रेष्काण में हो तो वह द्रेष्काण कुंडली के मेष राशि में ही रहेगा, यदि दूसरे द्रेष्काण में हो तो वह द्रेष्काण कुंडली के सिंह राशि में जाएगा तथा यदि तीसरे द्रेष्काण में हो तो वह द्रेष्काण कुंडली के धनु राशि में जाएगा। निम्न चार्ट में सभी राशियों के लिए द्रेष्काण दिए गए हैं –
Udaharan Kundali-उदाहरण कुंडली
निम्न कर्क लग्न कुंडली के लिए द्रेष्काण कुंडली बनाने के लिए निम्न पद हैं
उपरोक्त उदाहरण कुंडली की यदि द्रेष्काण कुंडली बनानी हो तो सबसे पहले लग्न निकला जाएगा। हमें लग्न का अंशात्मक मान देखना है। लग्न कर्क राशि में 27°1′ का है। अतः यह अपने स्थान से नवम स्थान में होगा। कर्क राशि से नवीं राशि मीन होती है। अतः लग्न मीन राशि का होगा।
इसी प्रकार से सभी ग्रहों की D3 चार्ट में स्थिति ज्ञात की जा सकती है।
सूर्य मीन राशि में 26° का है अतः यह भी तीसरे द्रेष्काण में होगा। अतः यह मीन राशि से नवम में जाएगा। मीन से नवम में वृश्चिक राशि होगी। अतः सूर्य वृश्चिक राशि का होगा।
चन्द्रमा धनु राशि में 20°2′ का है अतः यह भी तीसरे द्रेष्काण में होगा। अतः यह धनु राशि से नवम में जाएगा। धनु से नवम में मेष राशि होगी। अतः चन्द्रमा मेष राशि का होगा।
मंगल मकर राशि में 7°57′ का है अतः यह पहले द्रेष्काण में होगा। अतः यह मकर राशि में ही रहेगा । अतः मंगल मकर राशि का होगा।
बुध मीन राशि में 14°23′ का है अतः यह दूसरे द्रेष्काण में होगा। अतः यह मीन राशि से पंचम में जाएगा। मीन से पंचम में कर्क राशि होगी। अतः बुध कर्क राशि का होगा।
बृहस्पति मेष राशि में 13°23′ का है अतः यह दूसरे द्रेष्काण में होगा। अतः यह मेष राशि से पंचम में जाएगा। मेष से पंचम में सिंह राशि होगी। अतः बृहस्पति सिंह राशि का होगा।
शुक्र वृषभ राशि में 11°41′ का है अतः यह दूसरे द्रेष्काण में होगा। अतः यह वृषभ राशि से पंचम में जाएगा। वृषभ से पंचम में कन्या राशि होगी। अतः शुक्र कन्या राशि का होगा।
शनि धनु राशि में 8°51′ का है अतः यह पहले द्रेष्काण में होगा। अतः यह धनु राशि में ही रहेगा । अतः शनि धनु राशि का होगा।
राहु कुम्भ राशि में 28°12′ का है अतः यह भी तीसरे द्रेष्काण में होगा। अतः यह कुम्भ राशि से नवम में जाएगा। कुम्भ से नवम में तुला राशि होगी। अतः राहु तुला राशि का होगा।
केतु सिंह राशि में 28°12′ का है अतः यह भी तीसरे द्रेष्काण में होगा। अतः यह सिंह राशि से नवम में जाएगा। सिंह से नवम में मेष राशि होगी। अतः केतु मेष राशि का होगा।