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Dreshkan Kundali

Dreshkan Kundali (D3) Ko Jane-द्रेष्काण कुंडली को जाने

Posted on May 4, 2023February 21, 2024 by santwana

द्रेष्काण कुंडली अत्यंत मत्वपूर्ण वर्ग कुंडली है तथा इसे षड्वर्ग में स्थान प्राप्त है।  इसका प्रयोग जातक का पराक्रम, भाई-बहनों का सुख देखने के लिए किया जाता है। 

द्रेष्काण तीसरे भाव का विस्तार होता है। तीसरा भाव छोटे भाई -बहन, कम्युनिकेशन, छोटी दूरी की यात्रा, लिखने, सुनने, हाथ, मित्रों, पराक्रम, साकारत्मक सोच, कठिन परिश्रम और साहस का होता है। 

अतः तीसरे भाव का सूक्ष्मता से अध्धयन करने के लिए द्रेष्काण कुंडली(D3) का विश्लेषण आवश्यक है। द्रेष्काण कुंडली का लग्न और तीसरा भाव अत्यंत महत्वपूर्ण होते है साथ ही मंगल(छोटे भाई का कारक) और बृहस्पति(बड़े भाई का कारक) की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।

विषय-सूचि
  1. Dreshkan Kundali Kaise Banaye-द्रेष्काण कुंडली कैसे बनाएं 
    • Udaharan Kundali-उदाहरण कुंडली
  2. Dreshkan Ka Vargikaran-द्रेष्काण का वर्गीकरण 
  3. Rashi Ke Teen Dreshkan-राशि के तीन द्रेष्काण 
    • Pehla Dreshkan-पहला द्रेष्काण (0°-10°)
    • Dusra Dreshkan-दूसरा द्रेष्काण (10°-20°)
    • Teesra Dreshkan-तीसरा द्रेष्काण (20°-30°)
  4. Dreshkan Kundali Ke Mahatvpurn Sutra-द्रेष्काण कुंडली के महत्वपूर्ण सूत्र
  5. Reference Books-संदर्भ पुस्तकें

Dreshkan Kundali Kaise Banaye-द्रेष्काण कुंडली कैसे बनाएं 

द्रेष्काण कुंडली में एक राशि के 3 भाग किए जाते हैं तथा प्रत्येक भाग 10° का होता है। पहला भाग 0°-10° का, दूसरा भाग 10°-20°  का तथा तीसरा भाग 20°-30° का होता है। 

D-3 चार्ट में पहला भाग उसी राशि में, दूसरा भाग उससे पाँचवीं (5th)राशि में तथा तीसरा भाग उससे नौवीं(9th) राशि में होता है। 

इस प्रकार से यदि कोई ग्रह मेष राशि के पहले द्रेष्काण में हो तो वह द्रेष्काण कुंडली के मेष राशि में ही रहेगा, यदि दूसरे द्रेष्काण में हो तो वह द्रेष्काण कुंडली के सिंह राशि में जाएगा तथा यदि तीसरे द्रेष्काण में हो तो वह द्रेष्काण कुंडली के धनु राशि में जाएगा। निम्न चार्ट में सभी राशियों के लिए द्रेष्काण दिए गए हैं –

Dreshkan Kundali
Dreshkan Kundali Table 1

Udaharan Kundali-उदाहरण कुंडली

निम्न कर्क लग्न कुंडली के लिए द्रेष्काण कुंडली बनाने के लिए निम्न पद हैं

Dreshkan Kundali Udaharan
Dreshkan Kundali Udaharan
Dreshkan Kundali Udaharan Table 2
Dreshkan Kundali Udaharan Table 2

उपरोक्त उदाहरण कुंडली की यदि द्रेष्काण कुंडली बनानी हो तो सबसे पहले लग्न निकला जाएगा। हमें लग्न का अंशात्मक मान देखना है। लग्न कर्क राशि में 27°1′ का है। अतः यह अपने स्थान से नवम स्थान में होगा। कर्क राशि से नवीं राशि मीन होती है। अतः लग्न मीन राशि का होगा।

इसी प्रकार से सभी ग्रहों की D3 चार्ट में स्थिति ज्ञात की जा सकती है।
सूर्य मीन राशि में 26° का है अतः यह भी तीसरे द्रेष्काण में होगा। अतः यह मीन राशि से नवम में जाएगा। मीन से नवम में वृश्चिक राशि होगी। अतः सूर्य वृश्चिक राशि का होगा।
चन्द्रमा धनु राशि में 20°2′ का है अतः यह भी तीसरे द्रेष्काण में होगा। अतः यह धनु राशि से नवम में जाएगा। धनु से नवम में मेष राशि होगी। अतः चन्द्रमा मेष राशि का होगा।

मंगल मकर राशि में 7°57′ का है अतः यह पहले द्रेष्काण में होगा। अतः यह मकर राशि में ही रहेगा । अतः मंगल मकर राशि का होगा।
बुध मीन राशि में 14°23′ का है अतः यह दूसरे द्रेष्काण में होगा। अतः यह मीन राशि से पंचम में जाएगा। मीन से पंचम में कर्क राशि होगी। अतः बुध कर्क राशि का होगा।

बृहस्पति मेष राशि में 13°23′ का है अतः यह दूसरे द्रेष्काण में होगा। अतः यह मेष राशि से पंचम में जाएगा। मेष से पंचम में सिंह राशि होगी। अतः बृहस्पति सिंह राशि का होगा।
शुक्र वृषभ राशि में 11°41′ का है अतः यह दूसरे द्रेष्काण में होगा। अतः यह वृषभ राशि से पंचम में जाएगा। वृषभ से पंचम में कन्या राशि होगी। अतः शुक्र कन्या राशि का होगा।

शनि धनु राशि में 8°51′ का है अतः यह पहले द्रेष्काण में होगा। अतः यह धनु राशि में ही रहेगा । अतः शनि धनु राशि का होगा।
राहु कुम्भ राशि में 28°12′ का है अतः यह भी तीसरे द्रेष्काण में होगा। अतः यह कुम्भ राशि से नवम में जाएगा। कुम्भ से नवम में तुला राशि होगी। अतः राहु तुला राशि का होगा।
केतु सिंह राशि में 28°12′ का है अतः यह भी तीसरे द्रेष्काण में होगा। अतः यह सिंह राशि से नवम में जाएगा। सिंह से नवम में मेष राशि होगी। अतः केतु मेष राशि का होगा।

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Dreshkan Ka Vargikaran-द्रेष्काण का वर्गीकरण 

चर, अचर और द्विस्वभाव राशि को उत्तम, मध्यम और अधम यह तीन भागों में बाँटा गया है। 

Dreshkan Vargikaran
Dreshkan Vargikaran

यदि ज्यादा ग्रह उत्तम द्रेष्काण में हो तो जातक खुश, स्वस्थ और पराक्रमी होता है। उसके पास संशाधन होते हैं, वह साहसी,परिश्रमी और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अग्रसर रहता है। 

यदि ज्यादा ग्रह मध्यम या अधम द्रेष्काण में हो तो जातक को अच्छे परिणाम नहीं मिलते हैं। ऐसा जातक सुस्त और आलसी होता है तथा जिम्मेदारियों से दूर भागने वाला होता है। 

Rashi Ke Teen Dreshkan-राशि के तीन द्रेष्काण 

किसी भी राशि के तीन द्रेष्काण को निम्न नाम दिए गए हैं 

Pehla Dreshkan-पहला द्रेष्काण (0°-10°)

किसी भी राशि के पहले द्रेष्काण को नारद द्रेष्काण कहा जाता है। अपने नामानुसार इस द्रेष्काण में जन्मे जातक बुद्धिमान, संगीत प्रेमी और यात्रा करना पसंद करने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति महान, बहुमुखी प्रतिभा वाले, मित्रवत स्वाभाव वाले और न्यायप्रिय होते हैं। ये लोग वाद-विवाद निपटाने में कुशल होते हैं। 

Dusra Dreshkan-दूसरा द्रेष्काण (10°-20°)

किसी भी राशि के दूसरे द्रेष्काण को अगस्त्य द्रेष्काण कहा जाता है। अपने नामानुसार इस द्रेष्काण में जन्मे जातक मजबूत, शक्तिशाली, महान, अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अग्रसर रहने वाले और शत्रुओं का नाश करने वाले होते हैं। 

Teesra Dreshkan-तीसरा द्रेष्काण (20°-30°)

किसी भी राशि के तीसरे  द्रेष्काण को दुर्वासा द्रेष्काण कहा जाता है। अपने नामानुसार इस द्रेष्काण में जन्मे जातक आक्रामक, जल्दी क्रोधित होने वाले, कठोर और क्रूर होते हैं। ये परम्पराओं में विश्वाश करने वाले, पुराने रीती-रिवाजों को मानने वाले होते हैं। यदि इनकी इच्छानुसार काम न हो तो यह कटु वचन बोलते हैं। इन्हें किसी काम में पूर्णता पसंद होती है।

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Dreshkan Kundali Ke Mahatvpurn Sutra-द्रेष्काण कुंडली के महत्वपूर्ण सूत्र

  • द्रेष्काण कुंडली तीसरे भाव का विस्तार है। जिस प्रकार से तीसरे भाव से भाई-बहन और पराक्रम देखा जाता है उसी प्रकार से इस भाव का और सूक्ष्मता से अध्ययन करने के लिए D-3 चार्ट देखा जाता है। 
  • यदि D-3 चार्ट में तृतीयेश और एकादशेश केंद्र या त्रिकोण में हो तो जातक खुश रहने वाला, साहसी होता है और उसे भाई-बहन का सुख मिलता है।
  • यदि D-3 चार्ट में मंगल(छोटे भाई और साहस का कारक) और बृहस्पति(बड़े भाई, लाभ और आनंद का कारक) मजबूत हो और अच्छे स्थान पर हो तो जातक आशावादी, परिश्रमी तथा भाई-बहन से स्नेह प्राप्त होता है।
  • यदि D-3 चार्ट के तृतीय भाव में शुभ ग्रह हो तो जातक को भाई-बहन से सम्मान और स्नेह प्राप्त होता है।
  • यदि D-3 चार्ट के लग्नेश पर शुभ ग्रहों की युति अथवा दृष्टि हो तो जातक में भाई-बहन स्वस्थ, खुशहाल और मददगार होते हैं।
  • यदि D-3 चार्ट के लग्न में शुभ ग्रह हो या शुभ ग्रह द्वारा दृष्ट हो तो जातक को भाई-बहन का स्नेह मिलता है।

Reference Books-संदर्भ पुस्तकें

  • Brihat Parashara Hora Shastra –बृहत पराशर होराशास्त्र
  • Phaldeepika (Bhavartha Bodhini)–फलदीपिका
  • Splendor of Vargas by Justice S N Kapoor
  • Saravali–सारावली
Category: Astrology Hindi

4 thoughts on “Dreshkan Kundali (D3) Ko Jane-द्रेष्काण कुंडली को जाने”

  1. Digvijai singh says:
    July 27, 2023 at 2:32 pm

    उपरोक्त सारिणी मे गलती है क्या?
    अचर राशि
    पहले द्रेश्कान – मध्यम
    दूसरे द्रेश्कान- अधम
    तीसरे ” – उत्तम

    Reply
    1. santwana says:
      July 27, 2023 at 10:50 pm

      As per my information its correct. You can check in reference books

      Reply
  2. SOURABH says:
    July 28, 2023 at 1:01 am

    EXCELLENT DESCRIPTION

    Reply
    1. santwana says:
      July 28, 2023 at 3:00 am

      Thanks

      Reply

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