भारतीय संस्कृति में नागों का महत्वपूर्ण स्थान है। नाग भारतीय मिथोलॉजी, धार्मिकता, और कई परंपरागत कथाओं में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।नाग भारतीय धार्मिकता में देवता के रूप में माने जाते हैं। विशेष रूप से हिन्दू धर्म में नाग देवता सर्प देवता के रूप में पूजे जाते हैं। नाग पूजा का अभिषेक, आराधना, और उपासना भारत के विभिन्न हिस्सों में होती है।भारत में नाग देवता के अनेक मंदिर(Famous Nag Devta Temples) हैं।
नागों के भारतीय संस्कृति में महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि नागों के लिए नाग पंचमी नामक पर्व मनाया जाता है। इस पर्व में नागों की पूजा और आराधना की जाती है।भारत में अनेक नाग मंदिर है जिनमें से नागचंद्रेश्वर उज्जैन, नागकूप काशी , मन्नारशाला केरला आदि प्रमुख हैं। इस लेख के माध्यम से हम भारत के प्रमुख नाग मंदिरों (Famous Nag Devta Temples) की जानकारी देंगे।
- Famous Nag Devta Temples Of India-भारत के प्रमुख नाग देवता मंदिर
- Naag Koop Nag Devta Temple-नागकूप
- Nagchanderswar Nag Devta Temple-नागचंद्रेश्वर मंदिर उज्जैन
- Nag Vasuki Temple Prayag-नाग वासुकि मंदिर
- Takshkeshwarnath Nag Devta Temple Prayag- तक्षकेश्वर नाथ मंदिर
- Mannarasala Sree Nagaraja Kshetram-मन्नारशाला
- Sem Mukhem Nagraja Nag Devta Temple-सेम-मुखेम नागराजा मंदिर
- Bhujang Nag Temple, Gujarat-भुजंग नाग मंदिर, गुजरात
- Nagaraja Temple, Tamil Nadu-नागराजा मंदिर, तमिलनाडु
- Kukke Subramanya Temple, Karnataka-कुक्के सुब्रमण्यम मंदिर, कर्नाटक
- Sheshnag Temple, Jammu & Kashmir-शेषनाग मंदिर, जम्मू और कश्मीर
- FAQ
Famous Nag Devta Temples Of India-भारत के प्रमुख नाग देवता मंदिर
Naag Koop Nag Devta Temple-नागकूप
नागकूप कारकोटक नागी तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध है।यह काशी के जैतपुरा में स्थित है। इसकी की गहराई कितनी है यह कोई नहीं जानता। स्कंद पुराण के अनुसार यह वह स्थल है जहां से पाताल लोक जाने का रास्ता है। माना जाता है इस कूप के अंदर सात कूप हैं। नागपंचमी के पर्व पर यहां काल सर्पदोष की शांति के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है।
नागकूप में काशी में 100 फीट की गहराई में एक ऐसा शिवलिंग है, जिसके साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी से 7 दिन पहले दिन दर्शन होते हैं। अगले दिन फिर यहां पूरा पानी भर जाता है। ये शिवलिंग शेषनाग के अवतार महर्षि पतंजलि द्वारा स्थापित नागकुआं में मौजूद है। इसमें पानी आने का रहस्य आज भी कोई नहीं समझ पाया है। कूप निर्माण को लेकर बताया जाता है, इसका जीर्णोद्धार संवत 1 में किसी राजा ने करवाया था। इस हिसाब से इसका समयकाल लगभग 2074 साल पुराना है।
मान्यता के अनुसार महर्षि पतंजलि ने अपने तप के लिए इस कूप का निर्माण करवाया था। इसकी सतह में उनके द्वारा स्थापित एक विशाल शिवलिंग है, जो जमीन तल से 100 फीट नीचे है। यहाँ पूजा और दर्शन साल में एक बार नागपंचमी के 7 दिन पहले कूप की सफाई के दौरान हो पाते हैं। इसके बाद साल भर यह शिवलिंग पानी डूबा रहता है। यहीं पर उन्होंने अपने गुरु पाणिनि के साथ कई महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की, जिसमें महाभाष्य, चरक संहिता, पतंजलि योग दर्शन प्रमुख हैं।
Nagchanderswar Nag Devta Temple–नागचंद्रेश्वर मंदिर उज्जैन
उज्जैन में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर का अपना एक अलग महत्व है। यह मंदिर महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल में स्थिति है। ये मंदिर सालभर में सिर्फ नागपंचमी के दिन ही पूरे 24 घंटे के लिए खोला जाता है। माना जाता है कि यहां पर नागराज तक्षक स्वयं विराजित है। इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से हर तरह के कालसर्प दोष से छुटकारा मिल जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नागों के राजा तक्षक ने शिवजी को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दे दिया। माना जाता है कि तक्षक राजा ने प्रभु के सानिध्य में वास करना शुरू कर दिया, लेकिन महाकाल की वन में वास करने से पूर्व यहीं मंशा थी कि उनके एकांत में किसी भी तरह का विघ्य ना हो। इसी परंपरा के कारण वर्ष में सिर्फ एक बार इस मंदिर के कपाट खोले जाते हैं और शेष समय कपाट बंद रहते है।
Nag Vasuki Temple Prayag-नाग वासुकि मंदिर
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में दारागंज में नागवासुकि मंदिर स्थित है। नाग वासुकि भगवान शिव के गले में सुभोभित रहते हैं। नाग पंचमी के दिन एक बड़ा मेला लगता है।ऐसा माना जाता है कि इस दौरान मंदिर में विग्रह के दर्शन मात्र से पाप का नाश होता है. वहीं, कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है.
Takshkeshwarnath Nag Devta Temple Prayag– तक्षकेश्वर नाथ मंदिर
यह मंदिर भी प्रयागराज में यमुना किनारे स्थित है। यह बहुत ही प्राचीन नाग मंदिर है। इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान शिव और नाग देवता का जो भी दर्शन करता उसे और उसके कुल को कभी भी सर्प भय और कालसर्प दोष नहीं रहता है।
Mannarasala Sree Nagaraja Kshetram-मन्नारशाला
मन्नारसला श्री नागराज क्षेत्रम दक्षिण-पश्चिम केरल में स्थित एक प्राचीन तीर्थस्थल है। दुनिया में नाग पूजा के सभी स्थानों में से, मन्नारसला से अधिक सौम्य, विस्मयकारी और पौराणिक कोई नहीं है, जैसा कि केरल के निर्माता भगवान परशुराम ने आशीर्वाद दिया और कल्पना की थी। यह 30 हजार नागों वाला मंदिर है। जहां पर नागों की मूर्तियां है। यह मंदिर 16 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस मंदिर में नागराज तथा उनकी जीवन संगिनी नागयक्षी देवी की प्रतिमा स्थित है।
Sem Mukhem Nagraja Nag Devta Temple-सेम-मुखेम नागराजा मंदिर
सेम-मुखेम नागराजा मंदिर उत्तराखंड के टिहरी में स्थित है । मान्यता है कि द्वारिका नगरी डूबने के बाद भगवान श्रीकृष्ण यहां नागराज के रूप प्रकट हुए थे। मन्दिर के गर्भगृह में नागराजा की स्वयं भू-शिला है।अधिक जानकारी यह लेख पढ़ें -Sem Mukhem Nagraja /सेम मुखेम मंदिर की पूरी जानकारी
Bhujang Nag Temple, Gujarat-भुजंग नाग मंदिर, गुजरात
यह भव्य मंदिर गुजरात के कच्छ जिले में है। किंवदंतियों के अनुसार, भुज के बाहरी इलाके में स्थित भुजिया किला अंतिम नागा कबीले, भुजंगा को समर्पित है। बाद में, स्थानीय लोगों ने उन्हें सम्मान देने के लिए भुजिया पहाड़ियों पर एक मंदिर बनाया। नागा पंचमी के दौरान भुजंग नागा मंदिर के पास मेला लगता है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि भुजंग नागा काठियावाड़ के थान से आए थे और उन्होंने कच्छ को दैत्यों और राक्षसों के दमनकारी शासन से मुक्त कराया था।
Nagaraja Temple, Tamil Nadu-नागराजा मंदिर, तमिलनाडु
नागों और देवताओं की कई उत्कृष्ट नक्काशीदार मूर्तियों वाला यह मंदिर तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के नागरकोइल में है। इसके दो मुख्य देवता हैं – भगवान कृष्ण और नागराज या नागों के राजा भगवान वासुकी। नागराज की मूर्ति के पाँच सिर या फण हैं। किंवदंती है कि एक बार जब एक लड़की घास काट रही थी तो गलती से पांच सिर वाले सांप से टकरा गई। लड़की ने घटना के बारे में गांव वालों को बताया और उन्होंने उस स्थान पर एक मंदिर बना दिया।
यह मंदिर 1000-2000 साल पुराना है। भगवान नागराज स्वयंभूमूर्ति हैं और जमीन के स्तर से नीचे हैं। उसके पांच सिर हैं और वह जहां बैठता है वह स्थान गीला और केसरिया रंग का है। ऐसा उस खून के कारण है जो कथित तौर पर मूर्ति के सिर से निकला था। यहां का प्रसाद अनोखा है. यह “मन्नू” या रेत है। भक्त दूध और हल्दी चढ़ाते हैं। ब्रह्मोत्सवम, अवनि आश्लेषा, कृष्ण जयंती, नवरात्रि और तिरुकार्तिकई इस मंदिर के प्रमुख त्योहार हैं।
Kukke Subramanya Temple, Karnataka-कुक्के सुब्रमण्यम मंदिर, कर्नाटक
इस मंदिर में लोग भगवान सुब्रमण्यम, भगवान वासुकी और भगवान शेष की पूजा करते हैं। इसके चारों ओर सुरम्य कुमार पर्वत शिखर है, और मंदिर कुमारधारा नदी के तट पर स्थित है। कहानी यह है कि भगवान वासुकी और अन्य सांपों ने सुब्रमण्यम की गुफाओं में आश्रय लिया था। जिन लोगों को कालसर्प दोष होता है वे इससे छुटकारा पाने के लिए इस मंदिर में पूजा करते हैं।
Sheshnag Temple, Jammu & Kashmir-शेषनाग मंदिर, जम्मू और कश्मीर
यह मंदिर मानसर झील के पूर्वी तट पर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शेषनाग ने पहलगाम के पास एक झील बनाई थी। स्थानीय लोगों का मानना है कि शेषनाग आज भी यहां रहते हैं। उन्होंने इसके तट पर उनके लिए एक मंदिर भी बनवाया। अमरनाथ गुफा जाने वाले तीर्थयात्री मंदिर में जाकर शेषनाग की पूजा करते हैं।