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Grahon Ki Mitrata Shatruta

9 ग्रहों की मित्रता शत्रुता और पंचधा मैत्री-Naisargik Mitrata Shatruta Aur Panchdha Maitri

Posted on December 5, 2022February 21, 2024 by santwana

Grahon Ki Mitrata Shatruta-ग्रहों की मित्रता शत्रुता

अक्सर हम सुनते है शनि मंगल की युति हो रही है या किसी अन्य ग्रह की युति हो रही है जो की विनाशकारी होगी या ख़राब परिणाम देगी। इसका क्या अर्थ है ?

यदि इसको हम इस प्रकार से समझने का प्रयास करें जब हम किसी व्यक्ति से मिलते हैं और यदि उसका स्वाभाव हमसे मेल खाता है तो हमें उसका साथ अच्छा लगता है और इसके विपरीत यदि सामने वाला हमसे विपरीत स्वाभाव वाला होता है तो हम उसके साथ सहज नहीं हो पाते। 

विषय-सूचि
  1. Grahon Ki Mitrata Shatruta-ग्रहों की मित्रता शत्रुता
  2. Grahon Ki Naisargik Mitrata Shatruta-ग्रहों की नैसर्गिक मित्रता शत्रुता
  3. Grahon Ki Naisargik Mitrata Shatruta Kaise Nikale-ग्रहों की नैसर्गिक मित्रता शत्रुता कैसे निकालें 
  4. Tatkalik Maitri-तात्कालिक मैत्री 
  5. Panchdha Maitri-पंचधा मैत्री
  6. Panchdha Maitri Udaharan
  7. Rahu Ketu Ki Mitrata Shatruta-राहु केतु की मित्रता शत्रुता
  8. Grahon Ki Mitrata Shatruta Ka Upyog-ग्रहों की मित्रता शत्रुता का उपयोग
  9. Reference Books-संदर्भ पुस्तकें

यही बात ग्रहों पर भी लागू होती है यदि समान स्वाभाव वाले ग्रह एक साथ होते हैं तो वह सामन्यतः अच्छे परिणाम देते हैं। ऐसे ग्रह आपस में मित्र कहलाते हैं। इसी प्रकार विपरीत स्वाभाव वाले ग्रह आपस में शत्रु होते हैं। ग्रहों की मित्रता शत्रुता दो प्रकार की होती है- नैसर्गिक मित्रता शत्रुता तथा तात्कालिक मित्रता शत्रुता। तात्कालिक और नैसर्गिक मित्रता शत्रुता को मिलाकर पंचधा मैत्री बनती है।

परन्तु सही फल कथन के लिए इस बात का भी ध्यान रखना आवश्यक हो जाता है कि वो किस राशि में युति कर रहे हैं और उनके ऊपर किसी अन्य ग्रह की दृष्टि तो नहीं या उनके साथ कोई अन्य ग्रह भी युति में तो नहीं है। 

Grahon Ki Naisargik Mitrata Shatruta–ग्रहों की नैसर्गिक मित्रता शत्रुता

ज्योतिष शास्त्र में समान  गुणधर्म वाले ग्रह आपस में मित्र होते हैं और विपरीत गुणधर्म वाले ग्रह आपस में शत्रु होते हैं। वहीं कुछ ग्रह न तो आपस में शत्रु होते हैं न मित्र उन्हें सम कहते हैं। 

ग्रहों की शत्रुता मित्रता निम्न तालिका में दी गई है।

Grahon Ki Mitrata Shatruta Chart
Grahon KI Mitrata Shatruta

Grahon Ki Naisargik Mitrata Shatruta Kaise Nikale-ग्रहों की नैसर्गिक मित्रता शत्रुता कैसे निकालें 

किसी ग्रह की मूल त्रिकोण राशि से चतुर्थ,द्वितीय,द्वादश,पंचम,नवम और अष्टम(4,2,12,5,9,8 ) राशियों के स्वामी उसके मित्र होते हैं। उसकी उच्च राशि का स्वामी भी उसका मित्र होता है।

इन राशियों के अतिरिक्त मूल त्रिकोण राशि से तृतीय, षष्ठम, एकादश,सप्तम और दशम (3,6,11,7,10) राशि के स्वामी शत्रु होते हैं। 

यदि कोई ग्रह एक प्रकार की गिनती से मित्र तथा दूसरी प्रकार से शत्रु बन जाए तो उसे सम कहते हैं। 

उदहारण के लिए यदि मंगल ग्रह की मित्रता/शत्रुता निकालनी हो तो शत्रु एवं मित्र राशि की गणना मंगल ग्रह की मूलत्रकोण राशि मेष से करेंगे। 

shatruta mitrata mangal

किसी ग्रह की मूलत्रकोण राशि से (4,2,12,5,9,8) भाव के स्वामी मित्र होते है। इसलिए यहाँ पर कर्क,वृषभ,मीन,सिंह,धनु और वृश्चिक के स्वामी मित्र होंगे। 

इसी प्रकार से मंगल की मूलत्रिकोण राशि मेष से (3,6,11,7,10) के स्वामी शत्रु होंगे। इसलिए मिथुन,कन्या, कुम्भ,तुला और मकर के स्वामी शत्रु होंगे।

mangal grah maitri

शुक्र की पहली राशि वृषभ मित्र की श्रेणी में आ रही है जबकि दूसरी राशि तुला शत्रु की श्रेणी में आ रही है। अतः शुक्र यहाँ पर सम होगा। 

शनि की दोनों राशियां शत्रु की श्रेणी में आ रही है। परन्तु हम जानते हैं कि मंगल शनि की मकर राशि में उच्च का होता है। अतः शनि भी सम होगा।

Tatkalik Maitri–तात्कालिक मैत्री 

किसी ग्रह से दूसरे,तीसरे चौथे और दसवें,ग्यारहवें,बारहवें भाव में बैठे ग्रह उसके तात्कालिक मित्र होते हैं। इनके अतरिक्त भाव में बैठे ग्रह उसके शत्रु होते हैं। 

उपरोक्त कुंडली में यदि मंगल की तात्कालिक मैत्री देखें तो सूर्य, बुध, शुक्र और बृहस्पति मंगल के तात्कालिक मित्र होंगे क्योंकि सूर्य, बुध, शुक्र मंगल से बारहवें भाव में हैं और बृहस्पति मंगल से दशम भाव में स्थित है। इसी प्रकार से चन्द्रमा और शनि मंगल के तात्कालिक शत्रु होंगे।
इसी प्रकार यदि बुध की बात करें तो मंगल,चन्द्रमा और बृहस्पति बुध के तात्कालिक मित्र होंगे और शुक्र,सूर्य तथा शनि बुध के तात्कालिक शत्रु होंगे।

Panchdha Maitri-पंचधा मैत्री

  • यदि हम नैसर्गिक मित्रता/शत्रुता और तात्कालिक मित्रता/शत्रुता को  एक साथ ले तो हमें पंचधा मैत्री प्राप्त होती है। 
  • यदि दो ग्रह आपस में नैसर्गिक रूप से मित्र हों तथा तात्कालिक रूप से भी मित्र हो तो वो अधिमित्र (great friend) कहलाते हैं। 
  • यदि दो ग्रह नैसर्गिक रूप से सम हों तथा तात्कालिक रूप से मित्र हो तो वो मित्र(friend) कहलाते हैं। 
  • यदि दो ग्रह नैसर्गिक रूप से शत्रु हों तथा तात्कालिक रूप से मित्र हो तो वो सम(neutral) कहलाते हैं। 
  • यदि ग्रह नैसर्गिक रूप से शत्रु हों तथा तात्कालिक रूप से भी शत्रु हो तो वो अधिशत्रु(bitter enemy) कहलाते हैं। 
  • यदि ग्रह नैसर्गिक रूप से सम हों तथा तात्कालिक रूप से शत्रु हों तो वो शत्रु(enemy) कहलाते हैं। 
panchdha maitri

Panchdha Maitri Udaharan

उपरोक्त कुंडली में यदि बात की जाय तो चन्द्रमा की सूर्य ,बुध,शुक्र और बृहस्पति से तात्कालिक मैत्री है तथा मंगल और शनि से तात्कालिक शत्रुता है।

नैसर्गिक मित्रता की बात की जाय तो चन्द्रमा बुध और सूर्य को मित्र मानता है अन्य सभी ग्रहों को सम मानता है।अतः चन्द्रमा की पंचधा मैत्री निम्न होगी।

Rahu Ketu Ki Mitrata Shatruta-राहु केतु की मित्रता शत्रुता

राहु केतु को ज्योतिष शास्त्र में छाया ग्रह की संज्ञा प्राप्त है यानि राहु केतु का भौतिक अस्तित्व नहीं है। राहु केतु की अपनी कोई राशि नहीं होती है। वह जिस ग्रह की राशि में होते हैं उसके ही स्वामी बन जाते हैं।
बृहत पराशर होरा शास्त्र के अनुसार यदि राहु केंद्र और त्रिकोण में स्थित हो तो वे केंद्र और त्रिकोण के स्वामी के समान कार्य करते हैं।

यदि राहु या केतु त्रिकोण में केंद्र के स्वामी के साथ हो या राहु केतु केंद्र में त्रिकोण के स्वामी के साथ हों तो यह राजयोग कारक होते हैं।इसके अलावा राहु केतु 3,6,11 भाव में स्थित हों तो अच्छे परिणाम देते हैं।
राहु के साथ होने पर विशेष परिस्थतियों में सूर्य और चंद्र ग्रहण होता है। अतः किसी जातक का जन्म के समय ग्रहण हो तभी ग्रहण दोष समझना चाहिए।
अतः राहु केतु जिस भाव और जिस राशि में हों तथा जिस ग्रह के साथ हो उसके अनुसार फल देते हैं।

Grahon Ki Mitrata Shatruta Ka Upyog-ग्रहों की मित्रता शत्रुता का उपयोग

जब दो या अधिक ग्रह युति कर रहें हों तो वह किस प्रकार का फल देंगे यह देखने के लिए ग्रहों की मित्रता शत्रुता का प्रयोग किया जाता है। यदि ऐसे ग्रहों की युति हो रही हो जो आपस में मित्र हों तो यह युति शुभ होगी।

इसके विपरीत यदि दो ऐसे ग्रहों के बीच में युति हो रही हो जो शत्रु हों तो यह युति शुभ फलदायक नहीं होगी।

यदि कोई ग्रह अपने मित्र की राशि में होता है तो वह अच्छा फल देता है और यदि शत्रु की राशि में होता है तो बुरा फल देता है।

इसी प्रकार से अन्य ग्रहों की भी पंचधा मैत्री निकाली जा सकती है।

Reference Books-संदर्भ पुस्तकें

  • Brihat Parashara Hora Shastra –बृहत पराशर होराशास्त्र
  • Phaldeepika (Bhavartha Bodhini)–फलदीपिका
  • Saravali–सारावली
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Category: Astrology Hindi

4 thoughts on “9 ग्रहों की मित्रता शत्रुता और पंचधा मैत्री-Naisargik Mitrata Shatruta Aur Panchdha Maitri”

  1. Pravin Devdas Shinde says:
    May 10, 2023 at 9:04 am

    Best information thanks 🙏

    Reply
    1. santwana says:
      May 11, 2023 at 12:37 pm

      Welcome

      Reply
  2. Mayank says:
    September 15, 2023 at 7:33 am

    I was reading one book something else was written, was confused so checked on internet, found your blog site. Thanks for sharing knowledge 🙏

    Reply
    1. santwana says:
      September 29, 2023 at 12:38 pm

      🙏🙏🙏

      Reply

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