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shiv tandav katha

Janiye Kaise Hui Shiv Tandav Stotra Ki Rachna-जानिए शिव तांडव स्तोत्र की रचना कैसे हुई

Posted on April 8, 2023October 3, 2023 by santwana

शिव तांडव स्तोत्र रावण द्वारा रचित शिव जी की स्तुति है।तांडव की उत्पत्ति “तंडुल” शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता है “उछलना”। तांडव का मतलब होता है ऊर्जा और शक्ति से उछलना। तांडव नृत्य करने से दिमाग शक्तिशाली होता है।रावण द्वारा शिव तांडव स्तोत्र की रचना की कथा अत्यंत रोचक है।

Shiv Tandav Stotra Ki Rachna Ki Katha-शिव तांडव स्तोत्र की रचना की कथा

रावण भगवान शिव का अनन्य भक्त था। उसके मन में यह इच्छा थी की भगवान स्वयं उसके साथ आकर रहें और वह उनकी सेवा करें। इस बात को वह कई बार भगवान के सम्मुख रख भी चुका था। पर भगवान शिव उसे विनम्रता पूर्वक कई बार यह समझा चुके थे कि यह संभव नहीं है। परन्तु रावण बहुत हठी था। वह बार-बार इस बात का प्रयत्न करता रहता था की भगवान शिव उसके साथ लंका चलने को तैयार हो जाएं।

Shiv Tandav Stotra Katha

वाल्मीकि रचित रामायण के उत्तर काण्ड के अनुसार जब रावण अलक नगरी (रावण के सौतेले भाई और धन के देवता कुबेर की नगरी), जो कि कैलाश के समीप स्थित थी, को लूटकर पुष्पक विमान द्वारा वापस लंका लौट रहा था तो मार्ग में कैलाश पर्वत पड़ा। रावण कैलाश की सुंदरता को देखकर अत्यंत विस्मित हो गया।

कुबेर ने रावण को पहले ही सचेत किया था कि पुष्पक विमान को लेकर कैलाश की सीमा में न प्रवेश करें क्योंकि पुष्पक विमान कैलाश की दैविक ऊर्जा को सहन  नहीं कर पाएगा। परन्तु रावण ने अपने भाई कुबेर की चेतावनी को अनदेखा कर पुष्पक विमान को कैलाश की सीमा में ले जाने का प्रयत्न किया तो वह पुष्पक विमान सहित भूमि पर आ गिरा।

तभी भगवान शिव के वाहन नंदी वहां से गुजरे तथा वह रावण को इस अवस्था में देखकर अपनी हंसी न रोक पाए इस बात पर रावण अत्यंत क्रोधित हो उठा तथा उसने नंदी को अपशब्द कहे। नंदी ने उससे क्षमा भी मांगी परन्तु रावण का क्रोध कम न हुआ।

उसे भगवान शिव के महान भक्त होने का अत्यंत घमंड था। रावण सारी मर्यादा भूल जाता है तथा मंदबुद्धि और वानर कहकर सम्बोधित करता है और कहता है कि पता नहीं किस प्रकार से महादेव ने उसे अपना सेवक बना रखा है जबकि उसके पास जरा भी अकल नहीं है। उसके लक्षण वानर के समान है तथा वह नंदी को मुर्ख वानर कहता है।

इस बात पर नंदी को भी क्रोध आ जाता है और वह रावण को श्राप देते हैं कि क्योंकि उसने समस्त वानर जाति का अपमान किया है एक वानर ही उसके विनाश का कारण बनेगा। एक वानर ही उसकी समस्त सम्पदा को नष्ट करेगा। इसपर रावण हँसता है और अपने घमंड में चूर होकर बोलता है कि वह महादेव को कैलाश सहित लंका ले जाने के लिए आया है।

Shiv Tandav Stotram Lyrics
Shiv Tandav Stotram Lyrics

जब स्वयं महादेव उसके साथ होंगे तो कोई भी उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएगा। नंदी रावण को ऐसा करने को मना करते हैं पर अपने अहंकार में चूर रावण नंदी की बात को अनदेखा कर देता है। जैसे ही वह कैलाश को ऊपर उठाने के लिए अपने हाथ  पर्वत के नीचे लगाता है भगवान शिव कैलाश पर अपना दूसरा पाँव भी रख देते हैं। ऐसा करते ही रावण के दोनों हाथ कैलाश पर्वत के नीचे दब जाते हैं और वह दर्द से चीख उठता है। उसकी चीख से तीनों लोक गुंजायमान हो उठते हैं।

उसे दर्द से कराहता देखकर नंदी को उसपर दया आ जाती है। वह रावण को भगवान शिव से क्षमा मांगने के लिए कहते है। नंदी कहते हैं कि उनके प्रभु को चन्द युक्त  प्रार्थना अत्यंत पसंद है। यदि वह छंद बद्ध प्रार्थना करेगा तो महादेव शीघ्र प्रसन्न हो जायेंगे। रावण नंदी की सलाह मानकर भगवान शिव की छंद बद्ध प्रार्थना करता है जिससे भगवान प्रसन्न हो जाते हैं तथा रावण को उसकी पीड़ा से मुक्त कर देते हैं और रावण को दर्शन देते हैं।

भगवान शिव उससे कहते हैं कि चाहें भक्ति हो या शक्ति किसी भी चीज का अहंकार अनुचित है। भगवान रावण से कहते हैं कि वह तो सदैव ही अपने भक्तों के पास ही निवास करते हैं। अतः वह प्रत्यक्ष रूप से भगवान को अपने समीप रहने का विचार त्याग दे क्योंकि यह संभव नहीं है।

भगवान उससे कहते हैं क्योंकि उसके रुदन से तीनों लोक प्रभावित हुए हैं अतः आज के बाद से उसे रावण नाम से जाना जायेगा। इसके पूर्व रावण को दशानन के नाम से जाना जाता था। रावण ने जो छंद बद्ध प्रार्थना की थी उसे ही शिव तांडव स्तोत्र के नाम से जाना जाता है। जहाँ पर रावण का हाथ दबा था वहाँ पर राक्षस ताल बन गया।

भगवान शिव उससे प्रसन्न होकर उसे अपना अस्त्र चन्द्रहास भी देते हैं साथ ही यह चेतावनी भी देते हैं कि यदि वह इस अस्त्र का अनुचित प्रयोग करेगा तो यह अस्त्र स्वयं उनके पास वापस लौट जायेगा।

Shiv Tandav Stotram With Hindi Meaning- शिव तांडव स्तोत्र का हिंदी अर्थ

सम्पूर्ण शिव तांडव स्तोत्र अर्थ सहित के लिए निम्न लेख पढ़ें

Shiv Tandav Stotram With Hindi Meaning – शिव तांडव स्तोत्र का हिंदी अर्थ
Category: Vrat/Pauranik Katha

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