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Kainchii Dhaam

Kainchi Dham Sampurn Jankari-कैंची धाम कैसे पहुंचे

Posted on February 6, 2024February 14, 2024 by santwana

कैंची धाम(Kainchi Dham) नीम करौली बाबा के आश्रम के रूप में प्रसिद्ध है, जो भक्तों के बीच में अत्यंत लोकप्रिय है। हर वर्ष यहाँ देश विदेश के कोने-कोने से भक्त दर्शन हेतु आते हैं। यह धाम, नैनीताल, उत्तराखंड, भारत में स्थित है। ये आश्रम नैनीताल से कुछ दूर, अल्मोडा की तरफ एक खूबसूरत पर्वत शिखर के आस-पास बसा हुआ है।

Kainchi Dham

इसकी स्थापना बाबा के द्वारा 1960 में की गई थी। आश्रम का नाम “कैंची धाम” इसलिए है क्योंकि यहाँ दो पर्वत एक दूसरे को काटकर कैंची के समान आकृति बनाते हैं।
आश्रम में नीम करौली बाबा का मंदिर भी है और यहां पर उनकी मूर्ति भी स्थापित है। यहाँ पर हनुमान मंदिर भी है, जिसमें भगवान हनुमान की प्राचीन मूर्ति स्थापित है। इसके अतिरिक्त यहाँ पर श्री राम, श्री कृष्ण और माता वैष्णो देवी जी का भी मंदिर है।

Table Of Contents
  1. Neem Karoli Baba Biography-नीम करौरी बाबा जीवन परिचय
  2. How To Reach Kainchi Dham Ashram-कैंची धाम कैसे पहुंचे
  3. Timing To Visit Kainchi Dham-कैंची धाम जाने का सबसे अच्छा समय
  4. Kainchi Dham Me Kya Karen-कैंची धाम में क्या करें

Neem Karoli Baba Biography–नीम करौरी बाबा जीवन परिचय

बाबा का जन्म मार्गशीर्ष के महीने में शुक्ल पक्ष अष्टमी को 1900 में अकबरपुर गाँव(आगरा), (वर्तमान फ़िरोज़ाबाद जिला), उत्तर प्रदेश में एक धनी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके बचपन का नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। इनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। 8 वर्ष की आयु में इनकी माँ का देहावसान हो जाता है। 

इनके पिता द्वारा 11 वर्ष की आयु में इनका विवाह राम बेटी जी से कर दिया जाता है। बाबा का  बाल्यकाल से ही अध्यात्म की ओर झुकाव था। अतः अपनी आध्यात्मिक यात्रा को शुरू करते हुए बाबा 1913 में तेरह(13) वर्ष की छोटी अवस्था में गृह त्याग कर चले जाते हैं।

बाबा सबसे पहले गुजरात राज्य के राजकोट जिले में पहुंचते हैं। राजकोट जिले में एक आश्रम में जाकर महाराज जी वहां सेवा करते हैं और वहां के महंत से दीक्षा लेते हैं जहाँ उनका नाम लक्ष्मण दास रखा जाता है। महंत जी उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोशित कर देते हैं। परन्तु महाराज जी वहां से बवानिया ग्राम में पहुंच कर एक तालाब के निकट हनुमान जी का मंदिर बना कर वही तालाब में खड़े होकर तपस्या करते हैं। 

वहां पर ग्रामवासी तक बाबा के चमत्कारों की चर्चा होने लगी। यहाँ पर लोग बाबा को तलैय्या बाबा के नाम से बुलाने लगते हैं। 1917 तक बाबा बवानिया में रहते हैं। 1917 तक बाबा बवानिया में रहते हैं। इसके पश्चात एक महिला संत रमाबाई को आश्रम सौंप कर बाबा पांचाल गंगा घाट, फर्रुखाबाद पहुंचते हैं। 

इस समय की ही एक घटना है कि ट्रेन द्वारा  फर्रुखाबाद पहुंचते हैं वहीं रास्ते में नीम करौली गाँव में टीटी बाबा को सन्यासी वेश में देखकर बिना बाबा से कुछ पूछे उन्हें अपशब्द कहकर ट्रेन के प्रथम श्रेणी के डिब्बे से उतार देता है। महाराज जी स्टेशन पर बैठ जाते हैं। इसके बाद ट्रेन नहीं चल पाती है जबकि ट्रेन में कोई तकनीकी खराबी भी नहीं होती है।

neem karoli baba

वहीं पर कोई व्यक्ति टीटी को बताता है कि जिस व्यक्ति को आपने ट्रेन  से उतारा है वह कोई सिद्ध महात्मा हैं। इस कारण से ही ट्रेन नहीं चल पा रही है तब वह टीटी महाराज जी के पास जाकर उनसे क्षमा मांगता है तथा उनसे ट्रेन में चढ़ने का निवेदन करता है। महाराज जी उसे ट्रेन के प्रथम श्रेणी के टिकट दिखाते हैं। महाराज जी के ट्रेन में बैठते ही ट्रेन चल पड़ती है। इस घटना के बाद  से ही बाबा को लोग नीम करौली बाबा बुलाने लगते हैं। 

बाबा ग्रामवासियों के अनुरोध पर कुछ समय नीम करौरी ग्राम में निवास करने लगते हैं। वहाँ पर ग्रामवासी उनके लिए एक गुफा का निर्माण कर देते हैं जहाँ वह तपस्या करने लगते हैं। यहाँ पर उनके पिता को पता चलता है कि उनका पुत्र ही नीम करौली बाबा हैं। तब वह बाबा को घर चलने का आदेश देते हैं। वहाँ पर वह अपने पिता के साथ अपने ग्राम अकबरपुर आते हैं तथा गृहस्त आश्रम का पालन करते हैं। उनके दो पुत्र अनेग सिंह शर्मा(1925), धर्म नारायण शर्मा (1937) तथा एक पुत्री गिरिजा देवी (1945) होते हैं।

इसके बाद वे 1935 में कुछ समय फतेहगढ़ में भी रहे। वहां पर उन्होंने गौशाला भी खोली। इसके पश्चात वह 1962 में नैनीताल के कैंची नामक स्थान पर पहुंचते हैं जहाँ पर कैंची आश्रम की नीव रखी जाती है।
बाबा द्वारा अनेक हनुमान जी के मंदिर का निर्माण कराया गया जिनमे कांकड़ी घाट, हनुमानगढ़ी(नैनीताल), हनुमान सेतु मंदिर(लखनऊ),भूमिधर मंदिर,महरौली आश्रम(दिल्ली) , पनकी मंदिर (कानपुर), नीब करोरी मंदिर (फर्रुखाबाद) आदि के मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।
बाबा ने 11 सितम्बर 1971(अनंत चतुर्दशी) को सुबह के 1:15  को वृन्दाबन के एक अस्पताल में अपना देहत्याग दिया। बाबा का समाधि स्थल वृन्दाबन में है।

How To Reach Kainchi Dham Ashram–कैंची धाम कैसे पहुंचे

कैंची धाम आश्रम नैनीताल शहर से 18 किमी दूर भवाली क्षेत्र में स्थित है और सड़क मार्ग द्वारा से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप कैंची धाम तक ड्राइव कर सकते हैं या यहां पहुंचने के लिए टैक्सी किराए पर ले सकते हैं।

ट्रेन से यात्रा करने वाले लोगों के लिए काठगोदाम निकटतम रेलवे स्टेशन है। कैंची धाम से 45 किमी दूर स्थित, रेलवे स्टेशन से कोई भी साझा या निजी टैक्सी किराए पर ले सकता है। दोनों स्थानों के बीच बसें भी चलती हैं।

हवाई यात्रियों के लिए, पंतनगर हवाई अड्डा निकटतम है, जो 76 किमी दूर है। आप हवाई अड्डे से टैक्सी किराए पर लेकर एनएच 109 के माध्यम से कैंची धाम तक पहुंच सकते हैं।

Timing To Visit Kainchi Dham–कैंची धाम जाने का सबसे अच्छा समय

कैंची धाम मंदिर वर्ष के हर समय अपने भक्तों का स्वागत करता है। यहां गर्मियां बहुत शानदार होती हैं, जिससे यह पर्यटकों और भक्तों के लिए सुखद समय बन जाता है। यहां की सर्दियां बेहद खूबसूरत होती हैं क्योंकि आपको 0 डिग्री से भी कम तापमान में बर्फ से ढकी चोटियों की शानदार सुंदरता और इससे मिलने वाले आराम का अनुभव मिलता है।

हालाँकि, जाम भरी सड़कों और भारी बारिश के कारण मानसून थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन बारिश से धुलने के बाद सभी रंग अपने शुद्धतम प्राकृतिक रूप में सामने आने के साथ इस जगह का सबसे मंत्रमुग्ध कर देने वाला दृश्य पेश करते हैं।

Kainchi Dham Me Kya Karen-कैंची धाम में क्या करें

कैंची धाम यदि आप सिर्फ दर्शन हेतु जा रहे रहे हैं तो आप उसी दिन दर्शन करके वापस लौट सकते हैं। यदि संभव हो तो शाम अथवा सुबह की आरती में भाग लें। मंदिर में प्रातः 7 बजे आरती होती है तथा शाम को 6:45 पर आरती होती है।मंदिर के भीतर मोबाइल इत्यादि इलेक्ट्रॉनिक समान का प्रवेश वर्जित है।
आप मंदिर में बैठकर ध्यान, सुन्दरकाण्ड और हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं। यदि आप यहाँ रुकना चाहे तो मंदिर के आस-पास किसी होटल में कमरा ले सकते हैं। यदि आप गर्मियों विशेषकर मई-जून में आएं तो कमरा पहले से बुक करा लें क्यों उस समय मंदिर में अत्यंत भीड़ होती है।

कैंची धाम से काकड़ी घाट का मंदिर 22.5 km दूर है जो कि NH109 पर ही है। इस मंदिर की स्थापना भी महाराज जी द्वारा की गई थी। यह मंदिर अत्यधिक प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण और शांत है। यदि समय हो यहाँ अवश्य आना चाहिए। इस मंदिर के निकट ही स्वामी विवेकानंद का ध्यान स्थल, मायावती आश्रम है। यहाँ पर स्वामी कुछ समय रहे थे और ध्यान किया था।

कर्कटेश्वर महादेव Kakrighat
कर्कटेश्वर महादेव

यहाँ पर ही कर्कटेश्वर महादेव जी का मंदिर है। इस स्थान पर कोसी नदी का सौंदर्य देखते ही बनता है। इस स्थान पर आकर ध्यान अवश्य करना चाहिए। यदि आपके पास समय तो आप इसके आगे अल्मोड़ा भी जा सकते हैं।
कैंची से 20 km दूर NH109 पर ही हल्द्वानी रोड, नैनीताल पर संकटमोचन हनुमान जी मंदिर (हनुमानगढ़ी) है। यह मंदिर भी महाराज जी द्वारा बनवाया गया था। इसके अतिरिक्त नैनीताल में नैना देवी मंदिर भी है जहाँ दर्शन करना चाहिए।

Category: Sprituality Hindi

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