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kartik purnima 2023

कार्तिक पूर्णिमा 2023-Kartik Purnima 2023

Posted on November 4, 2022October 16, 2023 by santwana

कार्तिक पूर्णिमा(Kartik Purnima) को बहुत ही पवित्र माना जाता है। इसे देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। इसी पवित्र दिन श्री गरूनानक देव का भी जन्म हुआ था। सिख लोग इस दिन को प्रकाशोत्सव के रूप में मनाते हैं। 

इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं।इस दिन गंगा स्नान दीपदान अनुदान आदि का विशेष महत्व है। त्रिदेवों  ने इसे महापुनीत पर्व कहा है। इस दिन कार्तिक के व्रत धारण करने वालों को ब्राह्मण पूजन हवन तथा दीपक जलाने का भी विधान है।

विषय-सूचि
  1. Kartik Purnima Tithi-कार्तिक पूर्णिमा तिथि 
  2. Kartik Purnima Ka Mahatva-कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
  3. FAQ-प्रश्न्नोत्तर 
    • भीष्म पंचक क्या होता है? 
    • कृत्तिकाएं कौन थी?
    • त्रिपुरासुर कौन थे ?
    • मत्स्य अवतार क्या है ?
    • गुरुनानक देव कौन थे ?

Kartik Purnima Tithi-कार्तिक पूर्णिमा तिथि 

कार्तिक पूर्णिमा- सोमवार, 27 नवम्बर 2023 को

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ -26 नवम्बर , 2023 को 03:53 पी एम

पूर्णिमा तिथि समाप्त – 27 नवम्बर, 2023 को 02:45 पी एम

Kartik Purnima Ka Mahatva-कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

काशी में इस अवसर पर दीपदान होता है। काशी इस अवसर पर स्वर्ग के समान प्रकार प्रतीत होती है।

Kartik Purnima Dev Deepawali

यदि इस तिथि को कृतिका नक्षत्र पर चंद्र हो तथा विशाखा नक्षत्र सूर्य तब पद्मक योग होता है इसका बहुत महत्व है।पद्म पुराण के अनुसार पद्मक योग में किया गया कार्तिक स्नान जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति दिलाता है।

इस दिन शिव जी की पूजा का विशेष महत्त्व है। पूर्व जन्म के प्रायश्चित के लिए भी शिव जी पूजा की जाती है। इस दिन रात्रि जागरण करके शिव जी की पूजा करनी चाहिए। इसी दिन शिवजी ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था।

इस दिन 6 कृतिकाओं का पूजन करना चाहिए। चन्द्र दर्शन पर शिवा, प्रीति, सम्भूति, अनुसुइया, क्षमा ,संतति इन 6 कृतिकाओं का पूजन वंदन करने से संभूत फल मिलता है। संतान प्राप्ति, सम्पन्नता आदि की प्राप्ति हेतु कृत्तिकाओं का पूजन किया जाता है। 

इस रात्रि में व्रत उपरांत बैल का दान देने से शिवलोक प्राप्त होता है। 

कुछ लोग इस दिन भी तुलसी विवाह करते हैं।भगवान शालिग्राम रूप के साथ तुलसी विवाह करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। ऐसा भी कहा जाता है कि तुलसी विवाह कराने वाले व्यक्ति को कन्यादान के बराबर फल प्राप्त होता है। 

कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था।

इस दिन भीष्म पंचक की समाप्ति होती है।

इसी दिन में गुरु नानक जी का जन्म हुआ था गुरु नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है

FAQ-प्रश्न्नोत्तर 

भीष्म पंचक क्या होता है? 

यह व्रत कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी से प्रारम्भ होकर कार्तिक पूर्णिमा को समाप्त होता है। इसे पञ्चभीका भी कहते हैं। कार्तिक स्नान करने वाले स्त्री पुरुष पांच दिन का निराहार व्रत रहते हैं। धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष की प्राप्ति हेतु यह व्रत किया जाता है। 

कृत्तिकाएं कौन थी?

कृत्तिका सूर्य का नक्षत्र है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिव शक्ति के पुत्र कार्तिकेय का पालन पोषण छः कृत्तिकाओं ने किया जिसके फलस्वरूप उनसे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें 27 नक्षत्रों में स्थान दिया था। 

त्रिपुरासुर कौन थे ?

त्रिपुरासुर ( त्रिपुर + असुर) अर्थात त्रिपुरों के असुर , तरकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली नामक तीन (असुर) भाई थे। वे तारकासुर के पुत्र थे। त्रिपुरासुरों  ने  घोर तपस्या करके ब्रह्मा जी से त्रि पुर बसाने का वरदान पाया था। उन्होंने सोने,चाँदी और लोहे के द्वारा तीन नगरों का निर्माण किया। यही नगर त्रिपुर कहलाये। जब तारकासुर के पुत्रों का अत्याचार अत्यधिक बढ़ गया तब भगवान शिव ने एक बाण द्वारा उनका वध किया। त्रिपुरासुर के वध के  बाद से ही भगवान शिव को त्रिपुरारी कहा जाने लगा। 

मत्स्य अवतार क्या है ?

मत्स्यावतार भगवान विष्णु का अवतार है जो उनके दस अवतारों में से प्रथम है। इस अवतार में भगवान विष्णु ने इस संसार को भयानक जल प्रलय से बचाया था। साथ ही उन्होंने हयग्रीव नामक दैत्य का भी वध किया था जिसने वेदों को चुराकर सागर की गहराई में छिपा दिया था।

गुरुनानक देव कौन थे ?

गुरु नानक सिखों के प्रथम (आदि )गुरु हैं। इनका जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन (1539) में हुआ था। गरुनानक देव के प्रकट दिवस को गरूपर्व के रूप में मनाया जाता है।

Category: Festival

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