astroradiance.com
Menu
  • Blog
  • About Us
  • Contact Us
  • Stotra/ Stuti
  • Astrology Hindi
  • Terms of Service
  • Services Offered
  • Consultation
Menu
Narak Chaturdashi

2023 छोटी दीपावली/नरक चतुर्दशी पूजन विधि-Narak Chaturdashi/Choti Diwali

Posted on October 12, 2022October 18, 2023 by santwana

कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी का दिन नरक चतुर्दशी(Narak Chaturdashi) के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष छोटी दिवाली 12 नवम्बर को पड़ रही है।चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 11 नवम्बर की 1:57 PM से हो रही है जो 12 नवम्बर की शाम 2:44PM तक है।इस दिन नरक से मुक्ति पाने के लिए प्रातःकाल तिल का तेल लगाकर जल से स्नान करना चाहिए।

इस दिन घर की अच्छे से साफ़-सफाई करके घर का कूड़ा -करकट बाहर निकाला जाता है। नरक चतुर्दशी के दिन शाम को यमराज के लिए दीपदान करना चाहिए। 

इस दिन को रूप चतुर्दशी के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन को काली चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन कुछ जगहों पर माँ काली का पूजन किया जाता है।

Narak Chaturdashi-नरक चतुर्दशी 

प्राचीनकाल में नरकासुर दैत्य था जिसका वध भगवान श्रीकृष्ण का वध नरक चतुर्दशी के दिन किया था। नरकासुर ने 16108 स्त्रियों को बंदी बनाकर रखा था। जब नरकासुर का अत्याचार अत्यधिक बढ़ गया तब श्रीकृष्ण से उनकी पत्नी सत्यभामा से नरकासुर का वध करने को कहा। तब श्रीकृष्ण ने सत्यभामा के साथ जाकर नरकासुर का वध किया। देवी सत्यभामा को भूदेवी का अवतार माना जाता है।

चतुर्दशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में देवी सत्यभामा ने भगवान श्री कृष्ण के साथ नरकासुर का वध किया था। इसलिए जिस तिथि में चतुर्दशी तिथि हो उस दिन को नरक चतुर्दशी मानते हैं।

इसके बाद उसके द्वारा बंदी बनायीं हुई 16108 को द्वारिका में आश्रय दिया था क्योंकि उनका कोई संरक्षक नहीं था।इस ख़ुशी में उन सभी स्त्रियों ने रात में दीपक जलाकर अपनी प्रसन्नता को प्रदर्शित किया तथा भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपनी कृतज्ञता को प्रदर्शित किया था।  तब से इस दिन को छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है। 

Narak Chaturdashi Katha-नरक चतुर्दशी की कथा  

प्राचीनकाल में रन्तिदेव नामक एक राजा था। वह पूर्वजन्म में बहुत धर्मात्मा और दानी था। उसी पूर्वकृत कर्मों से इस जन्म में भी राजा ने अपार दानादि देकर सत्यकार्य किए। 

जब उसका अंत समय आया तब यमराज के दूत उसे लेने आये। वे बार-बार लाल-लाल ऑंखें दिखाकर राजा को कह रहे थे -राजन नरक में चलो तुम्हें वहीं चलना पड़ेगा। 

इसपर राजा घबड़ा गया। और नरक चलने का कारन पूछा। तब याम दूतों ने कहा राजन आपने जो भी कुछ दान-पुण्य किया है उसे तो अखिल विश्व जानता है। किन्तु जो पाप किये हैं उन्हें भगवान और यमराज ही जानते हैं। 

राजा बोला उस पाप को मुझे बताओ जिससे मैं उसका निवारण कर सकूँ। यमदूत बोले एक बार तेरे द्वार से भूख से व्याकुल एक ब्राह्मण लौट गया था इस कारण तुम्हे नरक में जाना पड़ेगा। 

यह सुनकर राजा ने यमदूतों से विनती की कि मेरी मृत्यु के बाद सद्यः ही मेरी आयु एक वर्ष बढ़ा दी जाये। इस विषय को दूतों ने बिना सोच-विचार के ही स्वीकार कर लियाऔर राजा की आयु एक वर्ष बढ़ा दी गई। 

यमदूत चले गये। राजा ने ऋषियों के पास जाकर इस पाप मुक्ति का उपाय पूछा। 

ऋषियों ने बताया -हे राजन कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को व्रत रहकर भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करना ,ब्राह्मण को भोजन कराना तथा दान देकर सभी अपराधों की क्षमा मांगना। तब तुम पापमुक्त हो जाओगे। 

कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को राजा ने नियमपूर्वक व्रत किया और अंत में विष्णुलोक को प्राप्त किया। 

Roop Chaturdashi/Roop Chaudas-रूप चतुर्दशी 

कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी भी कहते हैं।स्वास्थ्य की दृष्टि से यह दिन विशेष मत्वपूर्ण है। यह दिन इस बात के महत्व को बताता है कि अच्छा स्वास्थ्य जीवन में कितना अधिक महत्वपूर्ण है। बिना अच्छे स्वास्थ्य के हम चाह कर भी कोई बहुत विशेष कार्य नहीं कर सकते है।

ऐसी कहावत भी है -“पहला सुख निरोगी काया जिसका तात्पर्य है कि जीवन में पहला सुख निरोग अर्थात रोग मुक्त शरीर है।

इस दिन सौंदर्य रूप श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए। इस दिन व्रत भी रखा जाता है। ऐसा करने से भगवान सौंदर्य प्रदान करते हैं। 

Roop Chaturdashi Katha-रूप चतुर्दशी की कथा 

एक समय भारतवर्ष में हरिण्यगर्भ नामक नगर में एक योगिराज रहते थे। उन्होंने अपने मन को एकाग्र करके भगवान में लीन होना चाहा। अतः उन्होंने समाधि लगा ली। 

समाधि लगाये कुछ दिन ही बीते थे कि उनके शरीर में कीड़े पड़ गए, बालों में छोटे-छोटे कीड़े लग गए। आँखों के रोओं और भौहों पर जुएँ जम गए। यह दशा उन योगीराज की हो गई कि योगिराज बहुत दुःखी रहने लगे। 

इतने में ही वहां नारद जी घूमते हुए ,वीणा और खरताल बजाते हुए आ गए। तब योगीराज बोले -हे भगवान ! मैं भगवान चिंतन में लीन होना चाहता था परन्तु मेरी यह दशा क्यों हो गई। 

तब नारद जी बोले -हे योगीराज तुम चिंतन करना जानते हो परन्तु देह-आचार का पालन नहीं जानते हो। इसलिए तुम्हारी यह दशा हुई है। 

तब योगीराज ने नारद जी से देह-आचार के विषय में पूछा। 

इसपर नारद जी बोले-देह आचार से अब तुम्हें कोई लाभ नहीं है। पहले तुम्हें जो मै जानता हूँ उसे करना फिर देह-आचार के विषय में बताऊँगा। 

तब नारदजी ने कहा-इस बार जब कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी आये तो तुम उस दिन व्रत रखकर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करना। ऐसा करने से तुम्हारा शरीर पहले जैसा ही स्वस्थ और रूपवान हो जायेगा। 

योगीराज ने नारदजी के कहे अनुसार व्रत किया और उनका शरीर पहले जैसा ही हो गया। तभी से इस दिन को रूप चतुर्दशी कहते हैं। 

Choti Diwali/Narak Chaturdashi/Roop Chaudas Puja-कैसे करें छोटी दीपावली पर पूजन 

सबसे पहले इस दिन प्रातःकाल उठकर शरीर पर तिल का तेल लगाकर स्नान करना चाहिए। इस दिन के स्नान का विशेष महत्व है। दिवाली से सर्दियों के मौसम की शुरूवात होती है और इस समय से शरीर पर तिल का तेल लगाना स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा होता है। 

Narak Chaturdashi

स्वास्थ्य को लेकर इस दिन का विशेष महत्व है इसलिए ही इस दिन को रूप चतुर्दशी के रूप में भी मनाया जाता है और भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। यदि किसी व्यक्ति को स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई समस्या हो तो उसे विशेष रूप से भगवान कृष्ण की सच्चे मन से उपासना करनी चाहिए। “ॐ क्लीम कृष्णाय नमः।” इस मंत्र का 11 जप करें। आपको अवश्य ही स्वास्थ्य लाभ होगा। 

इस दिन हनुमान जन्मोत्सव भी होता है। अतः हनुमान जी की पूजा करें। उन्हें हलवा पूरी का भोग लगाएं और यदि संभव हो तो सुंदरकांड का पाठ करके हनुमान चालीसा का पाठ करें। 

संध्या के समय द्वार पूजन करके द्वार पर दो दीपक जलाएं। 

सरसों के तेल का एक दीपक नाली पर जलाएं। 

Category: Festival

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

About Me

Santwana

Raksha Bandhan Quotes For Brothers And Sisters​

Moon in Vedic Astrology: Impact and Interpretations

Moon in Vedic Astrology: Impact and Interpretations

Radha Ji Ke 16 Naam Hindi Arth Sahit

Radha Ji Ke 16 Naam Hindi Arth Sahit

Ashwani Nakshatra: A Guide to Its Personality Traits and Career Pathways

Ashwani Nakshatra: A Guide to Its Personality Traits and Career Pathways

Decoding Planetary Strength: Vimshopaka Bala

Decoding Planetary Strength: Vimshopaka Bala

  • Aarti
  • Astrology English
  • Astrology Hindi
  • English Articles
  • Festival
  • Quotes
  • Sprituality English
  • Sprituality Hindi
  • Stotra/ Stuti
  • Vrat/Pauranik Katha

Disclaimer

astroradiance.com is a participant in the Amazon Services LLC Associates Program, an affiliate advertising program designed to provide a means for website owners to earn advertising fees by advertising and linking to Amazon.

Read our Privacy & Cookie Policy

  • Our Services
  • Privacy Policy
  • Refund & Cancellation Policy
  • Terms & Conditions
  • Disclaimer
  • Home
  • Blog
  • About Us
  • Contact Us
  • Donate Us
© 2025 astroradiance.com | Powered by Minimalist Blog WordPress Theme