Jyotish Me Navgrah Kya Hai-ज्योतिष में नवग्रह क्या हैं
ज्योतिष शास्त में नवग्रह(Navgrah) का विशेष महत्व है। सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्पति,शनि, राहु और केतु को नवग्रहों की संज्ञा प्राप्त है। राहु और केतु को छोड़कर बाकी सात ग्रह सपिंड ग्रह हैं। राहु और केतु छाया ग्रह हैं।
इन नवग्रहों का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।अपनी जन्म कुंडली के विश्लेषण द्वारा हम नवग्रहों का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा यह जान सकते हैं।
Navgrah Beej Mantra Ka Jap Kaise Karen-नवग्रह बीज मन्त्र का जप कैसे करें
नवग्रहों(Navgrah) को मजबूत रखना अत्यंत आवश्यक है। खास कर जातक की कुंडली में जिस ग्रह महादशा या अंतर्दशा चल रही हो तथा लग्नेश(मुख्य ग्रह) व चंद्र राशि के स्वामी ग्रह को मजबूत रखना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि इन ग्रहों का जातक के जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है।
आपकी कुंडली में कौन सा ग्रह कारक है अथवा कौन सा ग्रह मारक है यह जानकर उस ग्रह से संबंधित रत्न धारण करना चाहिए या दान करना चाहिए।
सामान्यतः कारक ग्रह से संबंधित रत्न पहनना चाहिए तथा अकारक (मारक) ग्रह से संबंधित दान करना चाहिए।
किसी भी रत्न धारण करने के पहले किसी योग्य ज्योतिषी से अपनी कुंडली का विश्लेषण अवश्य करवाएं अन्यथा लाभ की बजाय नुकसान भी हो सकता है।
परंतु किसी भी ग्रह को बेहतर बनाने के लिए मंत्र का जाप विशेष फलदाई होता है। यदि कुंडली में मारक ग्रह की दशा या अंतर्दशा चल रही हो तो संबंधित ग्रह का मंत्र जप से लाभ मिलता है। मंत्र जप कम से कम 108 बार करना चाहिए।
आप अपनी कुंडली की दशा अंतर्दशा के अनुसार ग्रहों के मंत्रों का जप कर सकते हैं। बेहतर परिणाम के लिए किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह से मन्त्र का जप करें।