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Navmansh Kundali Kaise Banaye

Navmansh Kundali(D-9) Kaise Banaye-नवमांश कुंडली कैसे बनाएं

Posted on May 1, 2023February 21, 2024 by santwana

Navmansh Kundali वर्ग कुंडलियों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। यदि राशि कुंडली शरीर है तो नवमांश कुंडली उसका हृदय। जिस प्रकार से एक स्वस्थ हृदय के बिना शरीर ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर सकता उसी प्रकार से यदि किसी ग्रह की स्थिति नवमांश कुंडली में अच्छी न हो तो वह बहुत अच्छे परिणाम देने में असमर्थ होता है। 

यदि कोई ग्रह राशि कुंडली में अच्छा न भी हो परन्तु नवमांश कुंडली में अच्छी स्थिति में हो तो वह बेहतर परिणाम देता है। इस कुंडली का प्रयोग विवाह,जीवनसाथी का विचार करने के साथ-साथ ग्रहों का बल निकलने में किया जाता है।

विषय-सूचि
  1. Navmansh Kundali(D-9)-नवमांश कुंडली 
  2. Navmansh Kundali(D-9) Kaise Banaye-नवमांश कुंडली कैसे बनाएं 
    • Navmansh Kundali Udaharan-नवमांश कुंडली उदाहरण
  3. Reference Books-संदर्भ पुस्तकें

Navmansh Kundali(D-9)-नवमांश कुंडली 

नवमांश कुंडली में एक राशि के 9 भाग किए जाते हैं जिसके प्रत्येक भाग का मान 3°20′ का होता है। उसके प्रत्येक भाग को नवमांश कहते हैं तथा इस प्रकार से प्राप्त कुंडली को नवमांश कुंडली कहते हैं। 

Navmansh Kundali(D-9) Kaise Banaye-नवमांश कुंडली कैसे बनाएं 

नवमांश कुंडली में सबसे पहले एक राशि के नौ भाग किए जाते हैं और प्रत्येक नवमांश 3°20′ का होता है। 

1 नवमांश = 30°/9 = 3°20

अतः पहला नवमांश 0-3°20 का, दूसरा नवमांश 3°20-6°40 का, तीसरा नवमांश 6°40-10° का, चौथा नवमांश 10-13°20 का, पाँचवां नवमांश 13°20-16°40 का, छठा नवमांश 16°40-20° का, सातवां नवमांश 20-23°20 का, आठवां नवमांश 23°20-26°40 का तथा नवां नवमांश 26°40-30° का होगा। 

Navmansh Calculation Table 1
Table 1- Navmansh Kundali Ke Bhag

हम जानते हैं कि तत्वों के आधार पर राशियां चार प्रकार की होती हैं-

अग्नि तत्व राशि – मेष(1), सिंह(5), धनु(9)

पृथ्वी तत्व राशि – वृषभ(2), कन्या(6), मकर(10)

वायु तत्व राशि – मिथुन(3), तुला(7), कुम्भ(11)

जल तत्व राशि -कर्क(4), वृश्चिक(8), मीन(12)

Navmansh Calculation Table2
Table 2- Navmansh Kundali Ki Ganna

Navmansh Kundali बनाते समय किसी भी तत्व की राशि की गिनती उसमें पड़ने वाली चर राशि (1,4,7,10) द्वारा की जाती है। इस प्रकार अग्नि तत्व राशि में गिनती मेष से, पृथ्वी तत्व में मकर से, वायु तत्व राशि में तुला से और जल तत्व राशि में कर्क राशि से की जाती है। 

उपरोक्त चार्ट 1(Table 1) से स्पष्ट है कि अग्नि तत्व राशि में पहला नवमांश मेष राशि का, पृथ्वी तत्व राशि में मकर राशि का, वायु तत्व राशि में तुला का तथा जल तत्व राशि में कर्क का होगा। अतः यदि हमें किसी ग्रह की राशि का तत्व पता और और उसके अंश पता हो तो हम आसानी से यह बता सकते हैं कि नवमांश कुंडली में वह ग्रह किस राशि में जाएगा।

जैसे यदि कोई ग्रह सिंह राशि 6° का हो इसका अर्थ है वह अग्नि तत्व राशि में है तथा दूसरे नवमांश में है। यहाँ पर अग्नि तत्व राशि में होने के कारण गणना(counting ) मेष राशि से प्रारम्भ होगी और मेष से दूसरी राशि वृषभ होगी। अतः नवमांश कुंडली में वह ग्रह वृषभ राशि में होगा।

Navmansh Kundali Udaharan–नवमांश कुंडली उदाहरण

Navmansh Example Chart
Navmansh Example Chart
Navmansh Example Table
Navmansh Kundali Example Table

सबसे पहले हम नवमांश कुंडली का लग्न ज्ञात करेंगे। यहाँ पर लग्न कर्क है। अतः नियमानुसार (Table 1) गिनती कर्क राशि से ही शुरू होगी। लग्न 27°01’21का है। अतः यह नवां नवमांश होगा। कर्क राशि से नवें स्थान पर मीन राशि आएगी। अतः नवमांश कुंडली का लग्न मीन होगा। 

सूर्य मीन राशि में है और 26°00’51” का है। अतः नियमानुसार गिनती कर्क राशि से ही शुरू होगी।  सूर्य 26°00’51” का है।अतः यह आठवें नवमांश में होगा। कर्क राशि से आठवें स्थान पर कुम्भ राशि आएगी। अतः नवमांश कुंडली में सूर्य  मकर राशि का होगा। 

चन्द्रमा धनु राशि में है और 26°00’51” का है। अतः नियमानुसार गिनती मेष राशि से ही शुरू होगी।  चन्द्रमा 20°02’27” का है।अतः यह सातवें नवमांश में होगा। मेष राशि से सातवें स्थान पर तुला राशि आएगी। अतः नवमांश कुंडली में चन्द्रमा  तुला राशि का होगा। 

मंगल मकर राशि में है और 07°57’55” का है। अतः नियमानुसार गिनती मकर राशि से ही शुरू होगी। मंगल 7°57’55”  का है।अतः यह तीसरे नवमांश में होगा। मकर राशि से तीसरे स्थान पर मीन राशि आएगी। अतः नवमांश कुंडली में मंगल मीन  राशि का होगा। 

बुध मीन राशि में है और 14°23’50” का है। अतः नियमानुसार गिनती कर्क राशि से ही शुरू होगी।  बुध 14°23’50”  का है।अतः यह पांचवें नवमांश में होगा। कर्क राशि से पांचवें स्थान पर वृश्चिक राशि आएगी। अतः नवमांश कुंडली में बुध वृश्चिक राशि का होगा। 

बृहस्पति मेष राशि में है और 13°23’21” का है। अतः नियमानुसार गिनती मेष राशि से ही शुरू होगी।  बृहस्पति 13°23’21”  का है।अतः यह पांचवें नवमांश में होगा। मेष राशि से पांचवें स्थान पर सिंह राशि आएगी। अतः नवमांश कुंडली में बृहस्पति सिंह राशि का होगा। 

शुक्र वृषभ राशि में है और 11°41’50” का है। अतः नियमानुसार गिनती मकर राशि से ही शुरू होगी। शुक्र 11°41’50”  का है।अतः यह चौथे नवमांश में होगा। मकर राशि से चौथे स्थान पर मेष राशि आएगी। अतः नवमांश कुंडली में शुक्र मेष राशि का होगा। 

शनि धनु राशि में है और 8°51’48” का है। अतः नियमानुसार गिनती मेष राशि से ही शुरू होगी। शनि 8°51’48” का है।अतः यह तीसरे नवमांश में होगा। मेष राशि से तीसरे स्थान पर मिथुन राशि आएगी। अतः नवमांश कुंडली में शनि मिथुन राशि का होगा। 

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राहु कुम्भ राशि में है और 28°12’36” का है। अतः नियमानुसार गिनती तुला राशि से ही शुरू होगी। राहु 28°12’36” का है।अतः यह नौवें नवमांश में होगा। तुला राशि से नौवें स्थान पर मिथुन राशि आएगी। अतः नवमांश कुंडली में राहु मिथुन राशि का होगा। 

केतु सिंह राशि में है और 28°12’36” का है। अतः नियमानुसार गिनती मेष राशि से ही शुरू होगी। केतु 28°12’36” का है।अतः यह नौवें नवमांश में होगा। मेष राशि से नौवें स्थान पर धनु राशि आएगी। अतः नवमांश कुंडली में केतु  धनु राशि का होगा। 

दशमांश कुंडली
षोडश वर्ग कुंडली
द्रेष्काण कुंडली को जाने

Reference Books-संदर्भ पुस्तकें

  • Brihat Parashara Hora Shastra –बृहत पराशर होराशास्त्र
  • Phaldeepika (Bhavartha Bodhini)–फलदीपिका
  • Splendor of Vargas by Justice S N Kapoor
  • Saravali–सारावली

Category: Astrology Hindi

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