राधा जी कृपा पाने के श्री राधा कृपा कटाक्ष (radha kripa kataksh) को पढ़ना चाहिए। जहाँ राधा जी हैं वहां गोविंद स्वयं चले आते हैं। अतः राधा रानी और गोविन्द दोनों की कृपा पाने हेतु राधा कृपा कटाक्ष का पाठ अवश्य करें। राधा कृपा कटाक्ष स्वयं महादेव द्वारा माता पार्वती को सुनाया गया था। इस स्तोत्र में राधा जी की महिमा का गुणगान किया है। इसका पाठ जन्माष्टमी और राधा अष्टमी के शुभ अवसर पर अवश्य करें।
Radha Kripa Kataksh Hindi Meaning-श्री राधा कृपा कटाक्ष
मुनीन्दवृन्दवन्दिते त्रिलोकशोकहारिणी,
प्रसन्नवक्त्रपंकजे निकंजभूविलासिनी।
व्रजेन्दभानुनन्दिनी व्रजेन्द सूनुसंगते,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (१)
समस्त मुनिगण आपके चरणों की वंदना करते हैं, आप तीनों लोकों का शोक दूर करने वाली हैं, आप प्रसन्नचित्त प्रफुल्लित मुख कमल वाली हैं, आप धरा पर निकुंज में विलास करने वाली हैं।
आप राजा वृषभानु की राजकुमारी हैं, आप ब्रजराज नन्द किशोर श्री कृष्ण की चिरसंगिनी है, हे मां(राधा मां) कब तुम मुझे अपनी दयालु दृष्टि का पात्र बनाओगी।
अशोकवृक्ष वल्लरी वितानमण्डपस्थिते,
प्रवालज्वालपल्लव प्रभारूणाङि्घ् कोमले।
वराभयस्फुरत्करे प्रभूतसम्पदालये,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (२)
आप अशोक की वृक्ष-लताओं से बने हुए मंदिर में विराजमान हैं, आप सूर्य की प्रचंड अग्नि की लाल ज्वालाओं के समान कोमल चरणों वाली हैं, आप भक्तों को अभीष्ट वरदान, अभय दान देने के लिए सदैव उत्सुक रहने वाली हैं।
आप के हाथ सुन्दर कमल के समान हैं, आप अपार ऐश्वर्य की भंङार स्वामिनी हैं, हे मां(राधा मां) कब तुम मुझे अपनी दयालु दृष्टि का पात्र बनाओगी।
अनंगरंगमंगल प्रसंगभंगुरभ्रुवां,
सुविभ्रमं ससम्भ्रमं दृगन्तबाणपातनैः।
निरन्तरं वशीकृत प्रतीतनन्दनन्दने,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (३)
रास क्रीड़ा के रंगमंच पर मंगलमय प्रसंग में आप अपनी बाँकी भृकुटी से आश्चर्य उत्पन्न करते हुए सहज कटाक्ष रूपी वाणों की वर्षा करती रहती हैं।
आप श्री नन्दकिशोर को निरंतर अपने बस में किये रहती हैं, हे मां(राधा मां) कब तुम मुझे अपनी दयालु दृष्टि का पात्र बनाओगी।
तड़ित्सुवर्ण चम्पक प्रदीप्तगौरविग्रहे,
मुखप्रभा परास्त-कोटि शारदेन्दुमण्ङले।
विचित्रचित्र-संचरच्चकोरशाव लोचने,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (४)
आप बिजली के सदृश, स्वर्ण तथा चम्पा के पुष्प के समान सुनहरी आभा वाली हैं, आप दीपक के समान गोरे अंगों वाली हैं, आप अपने मुखारविंद की चाँदनी से शरद पूर्णिमा के करोड़ों चन्द्रमा को लजाने वाली हैं।
आपके नेत्र पल-पल में विचित्र चित्रों की छटा दिखाने वाले चंचल चकोर शिशु के समान हैं, हे मां(राधा मां) कब तुम मुझे अपनी दयालु दृष्टि का पात्र बनाओगी।
मदोन्मदाति यौवने प्रमोद मानमण्डिते,
प्रियानुरागरंजिते कलाविलासपणि्डते।
अनन्य धन्यकुंजराज कामकेलिकोविदे,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (५)
आप अपने चिर-यौवन के आनन्द के मग्न रहने वाली है, आनंद से पूरित मन ही आपका सर्वोत्तम आभूषण है, आप अपने प्रियतम के अनुराग में रंगी हुई विलासपूर्ण कला पारंगत हैं।
आप अपने अनन्य भक्त गोपिकाओं से धन्य हुए निकुंज-राज के प्रेम क्रीड़ा की विधा में भी प्रवीण हैं, हे मां(राधा मां) कब तुम मुझे अपनी दयालु दृष्टि का पात्र बनाओगी।
अशेषहावभाव धीरहीर हार भूषिते,
प्रभूतशातकुम्भकुम्भ कुमि्भकुम्भसुस्तनी।
प्रशस्तमंदहास्यचूर्ण पूर्ण सौख्यसागरे,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (६)
आप संपूर्ण हाव-भाव रूपी श्रृंगारों से परिपूर्ण हैं, आप धीरज रूपी हीरों के हारों से विभूषित हैं, आप शुद्ध स्वर्ण के कलशों के समान अंगो वाली है, आपके पयोंधर स्वर्ण कलशों के समान मनोहर हैं।
आपकी मंद-मंद मधुर मुस्कान सागर के समान आनन्द प्रदान करने वाली है, हे मां(राधा मां) कब तुम मुझे अपनी दयालु दृष्टि का पात्र बनाओगी।
मृणाल वालवल्लरी तरंग रंग दोर्लते ,
लताग्रलास्यलोलनील लोचनावलोकने।
ललल्लुलमि्लन्मनोज्ञ मुग्ध मोहनाश्रिते
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (७)
जल की लहरों से कम्पित हुए नूतन कमल-नाल के समान आपकी सुकोमल भुजाएँ हैं, आपके नीले चंचल नेत्र पवन के झोंकों से नाचते हुए लता के अग्र-भाग के समान अवलोकन करने वाले हैं।
सभी के मन को ललचाने वाले, लुभाने वाले मोहन भी आप पर मुग्ध होकर आपके मिलन के लिये आतुर रहते हैं ऎसे मनमोहन को आप आश्रय देने वाली हैं, हे मां(राधा मां) कब तुम मुझे अपनी दयालु दृष्टि का पात्र बनाओगी।
सुवर्ण्मालिकांचिते त्रिरेख कम्बुकण्ठगे,
त्रिसुत्रमंगलीगुण त्रिरत्नदीप्ति दीधिते।
सलोल नीलकुन्तले प्रसूनगुच्छगुम्फिते,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (८)
आप स्वर्ण की मालाओं से विभूषित है, आप तीन रेखाओं युक्त शंख के समान सुन्दर कण्ठ वाली हैं, आपने अपने कण्ठ में प्रकृति के तीनों गुणों का मंगलसूत्र धारण किया हुआ है, इन तीनों रत्नों से युक्त मंगलसूत्र समस्त संसार को प्रकाशमान कर रहा है।
आपके काले घुंघराले केश दिव्य पुष्पों के गुच्छों से अलंकृत हैं, हे मां(राधा मां) कब तुम मुझे अपनी दयालु दृष्टि का पात्र बनाओगी।
नितम्बबिम्बलम्बमान पुष्पमेखलागुण,
प्रशस्तरत्नकिंकणी कलापमध्यमंजुले।
करीन्द्रशुण्डदण्डिका वरोहसोभगोरुके,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (९)
हे देवी, तुम अपने घुमावदार कूल्हों पर फूलों से सजी कमरबंद पहनती हो, तुम झिलमिलाती हुई घंटियों वाली कमरबंद के साथ मोहक लगती हो, तुम्हारी सुंदर जांघें राजसी हाथी की सूंड को भी लज्जित करती हैं, हे मां(राधा मां) कब तुम मुझे अपनी दयालु दृष्टि का पात्र बनाओगी।
अनेकमन्त्रनादमंजु नूपुरारवस्खलत्,
समाजराजहंसवंश निक्वणाति गौरवे,
विलोलहेमवल्लरी विडमि्बचारू चक्रमे,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (१०)
आपके चरणों में स्वर्ण मण्डित नूपुर की सुमधुर ध्वनि अनेकों वेद मंत्रो के समान गुंजायमान करने वाले हैं, जैसे मनोहर राजहसों की ध्वनि गूँजायमान हो रही है।
आपके अंगों की छवि चलते हुए ऐसी प्रतीत हो रही है जैसे स्वर्णलता लहरा रही है, हे मां(राधा मां) कब तुम मुझे अपनी दयालु दृष्टि का पात्र बनाओगी।
अनन्तकोटिविष्णुलोक नम्र पदम जार्चिते,
हिमद्रिजा पुलोमजा-विरंचिजावरप्रदे।
अपार सिद्धिऋद्धि दिग्ध -सत्पदांगुलीनखे,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (११)
अनंत कोटि बैकुंठो की स्वामिनी श्रीलक्ष्मी जी आपकी पूजा करती हैं, श्री पार्वती जी, इन्द्राणी जी और सरस्वती जी ने भी आपकी चरण वन्दना कर वरदान पाया है।
आपके चरण-कमलों की एक उंगली के नख का ध्यान करने मात्र से अपार सिद्धि की प्राप्ति होती है, हे मां(राधा मां) कब तुम मुझे अपनी दयालु दृष्टि का पात्र बनाओगी।
मखेश्वरी क्रियेश्वरी स्वधेश्वरी सुरेश्वरी,
त्रिवेदभारतीश्वरी प्रमाणशासनेश्वरी।
रमेश्वरी क्षमेश्वरी प्रमोदकाननेश्वरी,
ब्रजेश्वरी ब्रजाधिपे श्रीराधिके नमोस्तुते॥ (१२)
आप सभी प्रकार के यज्ञों की स्वामिनी हैं, आप संपूर्ण क्रियाओं की स्वामिनी हैं, आप स्वधा देवी की स्वामिनी हैं, आप सब देवताओं की स्वामिनी हैं, आप तीनों वेदों की स्वामिनी है, आप संपूर्ण जगत पर शासन करने वाली हैं।
आप रमा देवी की स्वामिनी हैं, आप क्षमा देवी की स्वामिनी हैं, आप आमोद-प्रमोद की स्वामिनी हैं,हे मां(राधा मां) कब तुम मुझे अपनी दयालु दृष्टि का पात्र बनाओगी।
इतीदमतभुतस्तवं निशम्य भानुननि्दनी,
करोतु संततं जनं कृपाकटाक्ष भाजनम्।
भवेत्तादैव संचित-त्रिरूपकर्मनाशनं,
लभेत्तादब्रजेन्द्रसूनु मण्डल प्रवेशनम्॥ (१३)
हे वृषभानु नंदिनी! मेरी इस निर्मल स्तुति को सुनकर सदैव के लिए मुझ दास को अपनी दया दृष्टि से कृतार्थ करने की कृपा करो। केवल आपकी दया से ही मेरे प्रारब्ध कर्मों, संचित कर्मों और क्रियामाण कर्मों का नाश हो सकेगा, आपकी कृपा से ही भगवान श्रीकृष्ण के नित्य दिव्यधाम की लीलाओं में सदा के लिए प्रवेश हो जाएगा।
फल-श्रुति
राकायां च सिताष्टम्यां दशम्यां च विशुद्धधीः ।
एकादश्यां त्रयोदश्यां यः पठेत्साधकः सुधीः ॥१४॥
यदि कोई साधक पूर्णिमा, शुक्ल पक्ष की अष्टमी, दशमी, एकादशी और त्रयोदशी के रूप में जाने जाने वाले चंद्र दिवसों पर स्थिर मन से इस स्तवन का पाठ करता है वह विवेकी होता है।
यं यं कामयते कामं तं तमाप्नोति साधकः ।
राधाकृपाकटाक्षेण भक्तिःस्यात् प्रेमलक्षणा ॥१५॥
भक्त जो-जो वस्तु की इच्छा करता है, वह उसी वस्तु को प्राप्त करता है, लेकिन राधा कृपा के बिना भक्ति में प्रेम नहीं हो सकता है। भक्ति की असली लक्षणा प्रेम है, और यह प्रेम श्रीराधाराणी के कृपा के साथ ही संभव होता है।
ऊरुदघ्ने नाभिदघ्ने हृद्दघ्ने कण्ठदघ्नके ।
राधाकुण्डजले स्थिता यः पठेत् साधकः शतम् ॥१६॥
जो साधक श्री राधा-कुंड के जल में खड़े होकर अपनी जाँघों, नाभि, छाती या गर्दन तक) इस स्तम्भ (स्तोत्र) का 100 बार पाठ करेगा वह अपने ऊरु, नाभि, हृदय, और कण्ठ को दग्ध करने वाले मानसिक दोषों का नाश करता है अर्थात वह मानसिक और आत्मिक रूप से शुद्ध होता है ।
तस्य सर्वार्थ सिद्धिः स्याद् वाक्सामर्थ्यं तथा लभेत् ।
ऐश्वर्यं च लभेत् साक्षाद्दृशा पश्यति राधिकाम् ॥१७॥
जो भक्त श्रीराधा को साक्षात् (अपने द्वारा) देखता है, वह उसके साथ सभी प्रकार की सिद्धियाँ, वचनीय शक्ति, ऐश्वर्य आदि को प्राप्त करता है। राधा के दर्शन से सभी आर्थिक और आध्यात्मिक लाभ होता है।
तेन स तत्क्षणादेव तुष्टा दत्ते महावरम् ।
येन पश्यति नेत्राभ्यां तत् प्रियं श्यामसुन्दरम् ॥१८॥
जब कोई भक्त अपनी आँखों से श्रीकृष्ण को प्रिय और श्यामसुंदर रूप में देखता है, तो भगवान तुरंत ही उसे महान वर देते हैं और उसको संतुष्ट कर देते हैं। इससे भक्त का प्रेम और भक्ति और भी गहरी हो जाती है।
नित्यलीला–प्रवेशं च ददाति श्री-व्रजाधिपः ।
अतः परतरं प्रार्थ्यं वैष्णवस्य न विद्यते ॥१९॥
भगवान श्रीकृष्ण, जो वृंदावन के राजा हैं, नित्य अपनी अनन्य लीला में प्रवेश करते हैं और अपने भक्तों को ब्रज की नित्य लीला का अनुभव कराते हैं। इसलिए वैष्णव भक्त के लिए उनके पास कुछ भी प्राप्य या मांगने योग्य नहीं है, क्योंकि उनका सब कुछ उनके भगवान के साथ होता है।
॥ इति श्रीमदूर्ध्वाम्नाये श्रीराधिकायाः कृपाकटाक्षस्तोत्रं सम्पूर्णम ॥
इस प्रकार श्री उर्ध्वाम्नाय तंत्र का श्री राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र पूरा हुआ
🙏🙏🌹🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय 🌹🙏🙏
इस अति सुन्दर प्रस्तुति के लिए कोटिश:
धन्यवाद ।
प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद।
🙏🙏🌹🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय 🌹🙏🙏
गोविन्द दामोदर स्तोत्र श्री विल्व मंगलाचार्य कृत इकहत्तर
(७१) श्लोकों का है । यदि यह पूरा उपलब्ध हो सके तो अति उत्तम रहेगा । मैं इन समस्त पाठों का नियमित पाठक
हूं ।
धन्यवाद ।
कमेंट के लिए बहुत धन्यवाद। बिल्वमंगल जी द्वारा कृष्ण कर्णामृतं की रचना की गई है। इसका लिंक ये है –krishna karnamritam मेरा प्रयास रहेगा कि मैं इस पर लेख लिखूं।
🙏🙏🌹🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय 🌹🙏🙏
आपके लेख मुझे बहुत ही अच्छे लगते हैं क्योंकि आप विषय वस्तु से भटकते नहीं । मैंने आपसे श्री विष्णु पंजर स्तोत्र , गजेन्द्र मोक्ष तथा कुन्ती कृत श्री कृष्ण स्तुति के लिए
निवेदन किया था लेकिन अब तक आपने कोई कार्यवाही नहीं किया । बिलंब की वज़ह मैं समझ नहीं पा रहा हूं ।
धन्यवाद ।
🙏🙏💝 श्री राधा कृष्णाये नमः ।💝🙏🙏
क्षमा चाहूंगी। व्यस्तता के कारण पोस्ट डालने में विलम्ब हो रहा है। गजेंद्र मोक्ष को डाल दिया गया है। आप लेख पढ़ सकते हैं। धन्यवाद।
🙏🙏🙏 🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🙏🙏
बहुत बहुत धन्यवाद ।
🙏🙏🙏 🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🙏🙏
I hereby remind and would like to know that what should I do for “Prahlad krit bhagwat stuti (Namaste Pundarikaksha namaste purushottam)” and Vishnu Panjar stotram”.
I am waiting for these . Please don’t ignore it.
I will try to post it soon.
🙏🙏🙏 🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🙏🙏
प्रहलाद कृत भगवत् स्तुति के लिए कोटिश: धन्यवाद । इसके पाठ में हमें नित्य प्रति अत्यंत दिक्कत होती थी । आपके इस प्रकाशन ने मुझे नवजीवन दिया है । यदि संभव हो तो लिंगाष्टकम तथा कनकधारा स्तोत्रम् प्रकाशित कर मुझ पर एक और एहसान करने का कष्ट करें । अग्रिम धन्यवाद ।
🙏🙏💙🕉️ श्री राधा कृष्णाये नमः।💙🙏🙏
नमो भगवते वासुदेवाय। आपके निवेदन पर शीघ्र ही कार्य करने की चेष्टा करूंगी। धन्यवाद।
🙏🙏🙏 🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🙏🙏
Many many thanks for your support and commitment. Very eagerly I am waiting for
this.
🙏🙏💙🕉️ श्री राधा कृष्णाये नमः।💙🙏🙏