Sankata Nashan Ganesh Stotra
गणेश जी प्रथम पूज्य भगवान हैं अर्थात किसी भी पूजा या शुभ कार्य में सबसे पहले गणेश जी का पूजन होता है। गणेश जी को विघ्न नाशक कहा जाता है क्योंकि गणेश जी अपने भक्तों के संकट का नाश करते हैं। संकटनाशन गणेश स्तोत्र में गणेश जी के द्वादश नाम का वर्णन है। जो भी कोई त्रिसंध्या(सुबह, दोपहर, संध्याकाल) में इस स्तोत्र (Sankata Nashan Ganesh Stotra) पाठ करता है गणेश जी निश्चित ही उसके सभी कष्टों को हर लेते हैं।
Sankata Nashan Ganesh Stotra Hindi Meaning-संकटनाशन गणेश स्तोत्र हिंदी अर्थ
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्
भक्तावासं स्मरेन्नित्यं आयुः कामार्थ सिद्धये ||1||
उन देवता को सिर झुकाकर नमस्कार है जो देवी गौरी(पार्वती) के पुत्र हैं ,जो विनायक(संकट को दूर करने वाले) हैं, जो भक्तों का आवास हैं जिन्हें नित्य लम्बी आयु, कामना पूर्ति, अर्थ और उद्देश्य प्राप्ति के लिए स्मरण करना चाहिए।
प्रथमं वक्रतुंडं च एकदंतं द्वितियकम्
तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ||2||
प्रथम नाम वक्रतुण्ड(वक्र सूण्ड) हैं, द्वितीय नाम एकदन्त(एक दन्त वाले) है, तृतीय कृष्णपिंगाक्ष(गहरे भूरे नेत्रों वाले), चतुर्थ गजवक्त्र(हाथी के चेहरे वाले) है।
लम्बोदरं पंचमंच षष्ठं विकटमेवच
सप्तम् विघ्नराजं धूम्रवर्ण तथाष्टम् ||3||
पांचवां लम्बोदर(बड़े उदर वाले) है, छठा विकटमेव(बड़े शरीर वाले), सातवां विघ्नराज(संकट दूर करने में सर्वश्रेष्ठ), आठवां धूम्रवर्ण(धुएं के समान वर्ण वाले) है।
नवमं भालचन्द्रंच दशमंतु विनायकम्
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजनानम् ||4||
नवां भालचंद्र(मस्तक पर चंद्र वाले) है, दशम विनायक(संकट दूर करने वाले) है, एकादश गणपति(सभी गणों के अधिपति) द्वादश गजानन(हाथी के चेहरे वाले) है।
द्वादश एतानि नामानि त्रिसंध्ययः पठेन्नरः
न च विघ्नभयं तस्य सर्व सिद्धि करं परम् ||5||
यह द्वादश नाम जो तीनों संध्या पढ़ता है, उसे न विघ्न का भय रहता है और वह सभी सिद्धि प्राप्त करता है।
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्
पुत्रार्थी लभते पुत्रं मोक्षार्थी लभते गतिम् ||6||
विद्यार्थी को विद्या प्राप्त होती है, धनार्थी को धन मिलता है, पुत्रार्थी को पुत्र मिलता है, मोक्षार्थी को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
जपेद गणपति स्तोत्रं षडभिर्मासैः फलम् लभेत्
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ||7||
जो गणपति स्तोत्र का छः मास तक पाठ करता है व्यक्ति को फलों की प्राप्ति होने लगती है और वर्ष तक इसका पाठ करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है इसमें कोई संशय नहीं है।
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्र्च लिखित्वा यःसमर्पयेत्
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ||8||
जो कोई इस स्तोत्र को लिखकर आठ ब्राह्मणों को समर्पित करता है उसे गणेश जी की कृपा से सभी ज्ञान की प्राप्ति होती है।
इति श्रीनारदपुराणे संकटनाशन श्री गणेशस्तोत्रं संपूर्णम