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Hanuman Ashtak

Hanuman Ashtak With Hindi Meaning-हनुमान अष्टक हिंदी अर्थ

Posted on March 2, 2024March 2, 2024 by santwana

तुलसीदास जी द्वारा रचित “हनुमान अष्टक”(हनुमान अष्टक(Hanuman Ashtak) के आठ पदों में, हनुमान ने आठ बार किस प्रकार संकट को दूर किया है, इसका विवरण है। प्रत्येक पद की आखिरी पंक्ति में, “को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो,” है, जिसका अर्थ है “हे हनुमान, जिसका नाम संकटों को हरने वाला है, इस संसार में उनका नाम कौन नहीं जानता है?”) में भगवान हनुमान के गुण, महिमा, और उनके शक्तियों की महानता का वर्णन किया गया है।

इस अष्टक में हर पद में हनुमान जी की अद्वितीय क्षमताओं और महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं का स्मरण होता है। यह अष्टक हनुमान भक्तों को उनकी श्रद्धा और आस्था को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। यह “मत्तगयन्द” या “मालती छंद” शैली में लिखा गया है। इसे “हनुमान अष्टक” कहा जाता है क्योंकि इसमें आठ चौपाई हैं। भगवान हनुमान को “संकटमोचन” कहा जाता है क्योंकि वे संकटों को दूर करते हैं। जब कभी कोई संकट आता है, तो हनुमान वहां “संकटमोचन” के रूप में प्रकट होते हैं और संकट को हर लेते हैं।

हनुमान अष्टक(Hanuman Ashtak) के आठ पदों में, हनुमान ने आठ बार किस प्रकार संकट को दूर किया है, इसका विवरण है। प्रत्येक पद की आखिरी पंक्ति में, “को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो,” है, जिसका अर्थ है “हे हनुमान, जिसका नाम संकटों को हरने वाला है, इस संसार में उनका नाम कौन नहीं जानता है?”

सामान्यत: हनुमान चालीसा के पठन के बाद, हनुमान अष्टक का पाठ किया जाता है। अगर कोई व्यक्ति ईमानदारी से हनुमान अष्टक का पाठ करता है, तो हनुमान विशेष रूप से उसके संकटों को दूर करते हैं।

Hanuman Ashtak Ko Nahi Janat Hai Jag Me Lyrics-हनुमान अष्टक

बाल समय रवि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ि दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥

बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ २ ॥

अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ३ ॥

रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो।
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ४ ॥

बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ५ ॥

रावन जुध अजान कियो तब, नाग कि फाँस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ६ ॥

बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो।
जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ७ ॥

काज किये बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ८ ॥

॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ॥

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Hanuman Ashtak Hindi Arth -संकटमोचन हनुमान अष्टक हिंदी अर्थ

बाल समय रवि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ि दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥

हे हनुमान जी जब आप बालक थे तब आपने सूर्य को अपने मुख में रख लिया था जिससे तीनों लोकों में अंधेरा हो गया था इससे संसार भर में विपत्ति छा गयी और उस संकट को कोई भी दूर न कर सका। देवताओं ने आकर आपकी विनती की और आपने सूर्य को मुक्त कर दिया। इस प्रकार संकट दूर हुआ। हे हनुमान जी संसार में ऐसा कौन है जो आपका संकटमोचन नाम नहीं जानता है।

बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ २ ॥

बालि के दर से सुग्रीव पर्वत पर रहते थे। उन्होंने श्री रामचंद्र जी को आते देखा उन्होंने आपको पता लगाने के लिए भेजा। आपने अपना ब्राह्मण का रूप करके श्री रामचंद्र जी से भेंट की और उनको अपने साथ लिवा लाये जिससे आपने सुग्रीव के शोक का निवारण किया। हे हनुमान जी संसार में ऐसा कौन है जो आपका संकटमोचन नाम नहीं जानता है।

अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ३ ॥

सुग्रीव ने अंगद के साथ सीताजी की खोज के लिए अपनी सेना को भेजते समय कह दिया था यदि सीताजी का पता लगाकर नहीं आए तो हम तुम सबको मार डालेंगे। सब ढूंढ-ढूंढ कर हार गए तब आप समुद्र तट से कूद कर सीताजी का पता लगा कर लाये जिससे सबके प्राण बचे। हे हनुमान जी संसार में ऐसा कौन है जो आपका संकटमोचन नाम नहीं जानता है।

रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो।
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ४ ॥

जब रावण ने सीताजी को भय दिखाया और कष्ट दिया और सब राक्षसियों से कहा कि सीताजी को भय दिखाकर मनायें तब अपने वहां पहुँच कर सीता जी के दुःख का नाश किया। आपने वहाँ पहुँच कर महान राक्षसों को मारा। जब सीताजी ने अशोक के वृक्ष से अग्नि मांगी(स्वयं को भस्म करने के लिए) तो आपने उसी वृक्ष पर से श्रीरामचन्द्र द्वारा दी हुई मुद्रिका (अंगूठी) गिरा दी जिससे सीता जी की चिंता दूर हुई। हे हनुमान जी संसार में ऐसा कौन है जो आपका संकटमोचन नाम नहीं जानता है।

बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ५ ॥

जब रावण के पुत्र मेघनाद द्वारा मारा गया बाण लक्ष्मण जी की छाती पर लगा और उससे उनके प्राण संकट में पड़ गए तब आप ही सुषेण वैद्य को घर सहित उठा लाये और द्रोणाचल पर्वत सहित संजीविनी बूटी ले कर आये जिससे लक्ष्मण जी के प्राण बचे। हे हनुमान जी संसार में ऐसा कौन है जो आपका संकटमोचन नाम नहीं जानता है।

रावन जुध अजान कियो तब, नाग कि फाँस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ६ ॥

रावण ने घोर युद्ध करते हुए सबको नागपाश में बांध दिया तब श्री रघुनाथ सहित पूरे दल में यह मोह छा गया कि यह बहुत बड़ा संकट है उस समय अपने गरुड़जी को लाकर बंधन को कटवा दिया जिससे यह संकट दूर हुआ। हे हनुमान जी संसार में ऐसा कौन है जो आपका संकटमोचन नाम नहीं जानता है।

बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो।
जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ७ ॥

जब अहिरावण श्री रघुनाथ को लक्ष्मण जी सहित पाताल को लेकर गया और भली भांति देवीजी की पूजा करके सबके परामर्श से यह निश्चय किया कि इन दोनों भाइयों की बलि दूंगा उसी समय आपने वहां पहुँच कर अहिरावण को उसकी सेना सहित मार डाला। हे हनुमान जी संसार में ऐसा कौन है जो आपका संकटमोचन नाम नहीं जानता है।

काज किये बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ८ ॥

हे हनुमानजी आपने बड़े-बड़े देवों के कार्य सँवारे हैं अब आप देखिये और सोचिये कि मुझ दीन-हीन का ऐसा कौन सा संकट है जिसे आप दूर नहीं कर सकते। हे महावीर हनुमान जी हमारा जो कुछ भी संकट हो आप उसे शीघ्र दूर कर दीजिए। हे हनुमान जी संसार में ऐसा कौन है जो आपका संकटमोचन नाम नहीं जानता है।

॥ दोहा ॥

लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ॥

आपका शरीर लाल है आपकी पूंछ लाल है और आपने लाल रंग का सिंदूर धारण कर रखा है आपके वस्त्र भी लाल हैं। आपका शरीर वज्र है और आप दुष्टों का नाश कर देते हैं। हे हनुमान जी आपकी जय हो जय हो जय हो।

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Sankatmochan Hanuman Ashtak ke Phyde-हनुमान अष्टक पढ़ने के फायदे

हनुमान अष्टक के पदों में, हनुमान के वीरता, धैर्य, शक्ति, और विश्वास की महिमा का वर्णन किया गया है। इसमें उनके भक्तों को शक्ति और साहस का संदेश भी मिलता है। इसके अलावा, हर पद में हनुमान के संकट से मुक्ति के लिए प्रार्थना की गई है।

  • हनुमान जी और प्रभु श्री राम की कृपा प्राप्त होती है।
  • मंगल और शनि ग्रह से सम्बन्धित परेशानियां दूर होती हैं।
  • जिनका मुख्य ग्रह मंगल हो या मेष और वृश्चिक राशि के जातकों के लिए संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ बहुत लाभदायक होता है।
  • जीवन के किसी भी प्रकार का संकट हो तो सच्चे मन से हनुमान अष्टक का पाठ करने से लाभ अवश्य मिलता है।
  • भगवान हनुमान के अष्टक में उनके आध्यात्मिक और शारीरिक गुणों का महत्वपूर्ण वर्णन है। यह अष्टक हनुमान के भक्तों को उनके इष्ट देवता के प्रति और उनके जीवन में धर्म, नैतिकता और सच्चे प्रेम की महत्ता को समझाता है।
  • इसके अलावा, हनुमान अष्टक का पाठ भक्तों को मानसिक शांति, संघर्षों से निपटने की क्षमता, और आत्मविश्वास में वृद्धि करता है। यह अष्टक हनुमान भक्तों के जीवन में शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए एक उत्तम माध्यम है।
Category: Stotra/ Stuti

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