Saraswati Vandana-Ravi Rudra Pitahmah Vishnu Nutam
देवी सरस्वती को ज्ञान, विद्या,संगीत, कला और अधिगम की देवी कहा जाता है। देवी सरस्वती को माता पार्वती और माता लक्ष्मी के साथ त्रिदेविओं में स्थान प्राप्त है।
ऋग्वेद में भी देवी सरस्वती का उल्लेख मिलता है। देवी का वर्ण श्वेत है और वे सफ़ेद हंस पर विराजमान रहती हैं।उनकी चार भुजाएं हैं। उनके हाथ में वीणा, पुस्तक, माला और कमंडल विद्यमान है।
वसंत पंचमी के दिन को माँ सरस्वती के प्रकटोत्सव के रूप में मनाया जाता है और माँ सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है। विद्यार्थियों को विशेष रूप से माँ सरस्वती की पूजा करनी चाहिए।
सरस्वती वंदना को गाकर माँ की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
Sarasvati Vandana Ravi Rudra Pitahmah Vishnu Nutam –सरस्वती वंदना रवि-रुद्र-पितामह-विष्णु-नुतं
रवि-रुद्र-पितामह-विष्णु-नुतं, हरि-चन्दन-कुंकुम-पंक-युतम्!
मुनि-वृन्द-गणेन्द्र-समान-युतं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।1।।
शशि-शुद्ध-सुधा-हिम-धाम-युतं, शरदम्बर-बिम्ब-समान-करम्।
बहु-रत्न-मनोहर-कान्ति-युतं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।2।।
कनकाब्ज-विभूषित-भूतिभवं , भव-भाव-विभाषित-भिन्न-पदम्।
प्रभु-चित्त-समाहित-साधु-पदं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।3।।
भव-सागर-मज्जन-भीति-नुतं, प्रति-पादित-सन्तति-कारमिदम्।
विमलादिक-शुद्ध-विशुद्ध-पदं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।4।।
मति-हीन-जनाश्रय-पारमिदं, सकलागम-भाषित-भिन्न-पदम्।
परि-पूरित-विशवमनेक-भवं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।5।।
परिपूर्ण-मनोरथ-धाम-निधिं, परमार्थ-विचार-विवेक-निधिम्।
सुर-योषित-सेवित-पाद-तमं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।6।।
सुर-मौलि-मणि-द्युति-शुभ्र-करं, विषयादि-महा-भय-वर्ण-हरम्।
निज-कान्ति-विलेपित-चन्द्र-शिवं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।7।।
गुणनैक-कुल-स्थिति-भीति-पदं, गुण-गौरव-गर्वित-सत्य-पदम्।
कमलोदर-कोमल-पाद-तलं,तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।8।।
Saraswati Vandana Ravi Rudra Pitahmah Vishnu Nutam Hindi Meaning-सरस्वती वंदना रवि-रुद्र-पितामह अर्थ
ॐ रवि-रुद्र-पितामह-विष्णु-नुतं, हरि-चन्दन-कुंकुम-पंक-युतम्!
मुनि-वृन्द-गणेन्द्र-समान-युतं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।1
रवि(सूर्य), रूद्र(शिव), पितामह(ब्रह्माजी) और विष्णु जी के द्वारा नमस्कृत। हरिचंदन और कुंकुम के लेप से युक्त। मुनियों के समूह और गणेश जी द्वारा सम्मान से युक्त, हे सरस्वती मां मैं आपके चरणों में नमन करता हूं।
शशि-शुद्ध-सुधा-हिम-धाम-युतं, शरदम्बर-बिम्ब-समान-करम्।
बहु-रत्न-मनोहर-कान्ति-युतं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।2
चंद्रमा की शुद्ध चांदनी, हिम के धाम से युक्त, शरद ऋतु के बादल के समान, अनेक मनोहर चरण के समान कांति से युक्त , हे सरस्वती मां मैं आपके चरणों में नमन करता हूं।
कनकाब्ज-विभूषित-भूतिभवं , भव-भाव-विभाषित-भिन्न-पदम्।
प्रभु-चित्त-समाहित-साधु-पदं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।3
स्वर्ण कमल से सुशोभित, धन-संपत्ति प्रदान करने वाली, विभिन्न भाव को उत्पन्न करने वाली ,प्रभु से प्रीति देने वाली , साधुओं में स्थित, हे सरस्वती मां मैं आपके चरणों में नमन करता हूं।
भव-सागर-मज्जन-भीति-नुतं, प्रति-पादित-सन्तति-कारमिदम्।
विमलादिक-शुद्ध-विशुद्ध-पदं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।4
भवसागर में डूबने वालों के लिए सहारा, सन्तान आदि सुखों को देने वाली, श्वेत, शुद्ध, निर्मल हे सरस्वती मां मैं आपके चरणों में नमन करता हूं।
मति-हीन-जनाश्रय-पारमिदं, सकलागम-भाषित-भिन्न-पदम्।
परि-पूरित-विशवमनेक-भवं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।5
मतिहीन लोगों का आश्रय, समस्त वेदादि विद्याओं से विभूषित,विश्व को ज्ञान से परिपूरित करने वाली हे सरस्वती मां मैं आपके चरणों में नमन करता हूं।
परिपूर्ण-मनोरथ-धाम-निधिं, परमार्थ-विचार-विवेक-निधिम्।
सुर-योषित-सेवित-पाद-तमं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।6
उत्तम मनोरथों को पूर्ण करने वाली, परमार्थ प्रदान करने वाली,विवेक की निधि, देवताओं और स्त्रियों द्वारा सेवित आपके चरणों में प्रणाम सरस्वती मां मैं आपको नमन करता हूं।
सुर-मौलि-मणि-द्युति-शुभ्र-करं, विषयादि-महा-भय-वर्ण-हरम्।
निज-कान्ति-विलेपित-चन्द्र-शिवं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।7
देवताओं के मुकुटों की मणियों से सज्जित,विषय वासनाओं के भय को हरने वाले, आपकी कांति शिवजी के चंद्र के समान है हे सरस्वती मां मैं आपके चरणों में नमन करता हूं।
गुणनैक-कुल-स्थिति-भीति-पदं, गुण-गौरव-गर्वित-सत्य-पदम्।
कमलोदर-कोमल-पाद-तलं,तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।8
अनेक गुणों से युक्त, गौरवशाली, सत्यविभूषित, कमल के समान कोमल पैर वाली हे सरस्वती मां मैं आपके चरणों में नमन करता हूं।
Saraswati Vandana Lyrics-रवि-रुद्र-पितामह-विष्णु-नुतं
सरस्वती वंदना को पढ़ने के लाभ
“रवि रूद्र पितामह विष्णु नुतम” ज्ञान, विद्या और बुद्धि की देवी माँ सरस्वती की महिमा का गुणगान है। इस वंदना को नित्य पढ़ने के कई लाभ हैं
- विद्यार्थियों को इस सरस्वती वंदना को नित्य पढ़ने से माँ सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है तथा माँ द्वारा ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है। पढ़ाई में मन लगता है।
- जो संगीत या अन्य कलाओं को सीख रहे हैं या कला के क्षेत्र में है उन्हें भी माँ की कृपा पाने हेतु इस वंदना का पाठ करना चाहिए।
- जिनकी इष्ट माँ सरस्वती हैं वो भी इस वंदना का पाठ कर सकते हैं।
- जिनकी जन्म कुंडली में बुध ग्रह कमजोर है वे लोग भी इस वंदना द्वारा माँ की उपासना कर सकते हैं।
Hindi meaning of this Saraswati vandna please
We will post Hindi meaning soon.
thank you