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Sawan Maas 2023 Ke Vrat Tyohar-सावन मास 2023 के व्रत और त्यौहार

Posted on July 24, 2021August 15, 2023 by santwana

Sawan

सावन का महीना हिन्दू धर्म में  विशेष स्थान रखता है। इस माह को भगवान भोलेनाथ से जोड़कर देखा जाता है। सावन माह में भगवान शिव का पूजन और भक्ति विशेष फलदाई होता है। सावन में आप भोलेनाथ का पूजन करके अपने जीवन के बड़े से बड़े दुर्भाग्य को दूर कर सकते हैं। 

ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में ही भगवान शिव ने समुद्र मंथन में जो हलाहल विष निकला था उसका पान किया था। हलाहल विष की गर्मी को शांत करने के लिए भक्त पूरे श्रावण मास में शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं। पूरे वर्ष भर भगवान शिव की पूजा करके आपको जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है वो कृपा आप केवल श्रावण मास में शिवजी का पूजन करके प्राप्त कर सकते हैं। तपस्या ,साधना और वरदान प्राप्त करने के लिए यह मास बहुत शुभ है। 

विषय-सूचि
  1. Sawan 2023 Vrat Aur Tyohar-2023 सावन मास के व्रत और त्योहार लिस्ट
  2. Sawan Maas Ke Vrat Aur Tauhar-सावन मास के व्रत और त्योहार
    • Shiv Ji Ka Vrat-शिव जी का व्रत 
    • Mangal Gauri Vrat-मंगला -गौरी पूजन और व्रत 
    • Pradosh Vrat-प्रदोष व्रत 
    • Naag Panchmi-नाग पंचमी 
    • Raksha Bandhan-रक्षा-बंधन (श्रावणी पूर्णिमा )
  3. Sawan Maas Ke Jyotishy Upay-सावन मास विशेष ज्योतिषीय उपाय 

Sawan 2023 Vrat Aur Tyohar-2023 सावन मास के व्रत और त्योहार लिस्ट

वर्ष 2023 में सावन मास या श्रावण मास का आरम्भ 4 जुलाई से होगा। 18 जुलाई से 16 जुलाई तक अधिक श्रावण मास रहेगा तथा 31 जुलाई को श्रावण मास की समाप्ति होगी।

सावन माह प्रारम्भ 4 जुलाई
अधिक सावन प्रारम्भ 18 जुलाई
अधिक सावन समाप्ति 16अगस्त
सावन मास समाप्ति31 अगस्त
सावन सोमवार व्रत 10 जुलाई, 17 जुलाई ,24 जुलाई, 31 जुलाई, 7अगस्त, 14 अगस्त, 21 अगस्त, 28 अगस्त
मंगला गौरी व्रत 04 जुलाई , 11 जुलाई ,18 जुलाई, 25 जुलाई, 1 अगस्त, 8 अगस्त, 15 अगस्त, 22 अगस्त, 29 अगस्त
प्रदोष व्रत 14 जुलाई ,30 जुलाई, 13 अगस्त, 28 अगस्त
हरियाली तीज19 अगस्त
नाग पंचमी 21 अगस्त
रक्षा बंधन 30 अगस्त

Sawan Maas Ke Vrat Aur Tauhar-सावन मास के व्रत और त्योहार

सावन में  3 प्रकार के व्रत आप प्रारम्भ कर सकते हैं । 

Shiv Ji Ka Vrat–शिव जी का व्रत 

सावन के समस्त सोमवार के दिन यह व्रत किया जाता है। प्रत्येक सोमवार को गणेश ,शिव पार्वती ,कार्तिकेय तथा नंदी जी की पूजा की जाती है। जल ,दूध ,दही,शहद ,घी शर्करा ,जनेऊ ,चन्दन ,रोली ,बेल -पत्र ,भांग धतूरा ,धूप ,दीप आदि से भगवान भोलेनाथ का पूजन किया जाता है। 

यदि विवाह के लिए व्रत कर रहें हो तो तांबे के लोटे में जल के साथ गंगाजल या किसी पवित्र नदी का जल मिलकर शिवजी का अभिषेक करें और उन्हें सफ़ेद फूल ,चावल ,चन्दन ,बेलपत्र ,भांग ,धतूरा ,धूप और फल चढ़ाएं। उपवास रखें और नमक का सेवन न करें। माँ पार्वती को पुष्प भेंट करें।

Mangal Gauri Vrat-मंगला -गौरी पूजन और व्रत 

मंगला -गौरी का व्रत श्रावण मास में जितने भी मंगलवार आते है ,रखा जाता है। इस दिन गौरी जी का पूजन किया जाता है। यह व्रत मंगलवार को किया जाता है इसलिए इसे मंगला गौरी व्रत कहते हैं। यह व्रत स्त्रियां करती हैं। 

Parvati ji Magla Gauri Sawan

सुहागिन स्त्रियां इस व्रत को जहाँ अपने परिवार की सुख समृद्धि और अखंड सौभाग्य के लिए रखती हैं वहीं कुंवारी कन्याएं इस व्रत को अच्छे वर की प्राप्ति और माँ गौरी का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु रखती हैं।अधिक जानकारी के लिए निम्न लेख पढ़ें।

Mangala Gauri Vrat 2023-मंगला-गौरी पूजन और व्रत 

Pradosh Vrat-प्रदोष व्रत 

वैसे तो प्रदोष व्रत हर माह में दो बार पड़ता है।हर मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है।  परन्तु यदि आप सावन मास में प्रदोष व्रत रखते तो वह बहुत शुभ होता है। यदि आप भगवान शिव की विशेष कृपा चाहते हैं तो आपको कम से कम सावन मास में प्रदोष का व्रत अवश्य करना चाहिए। यदि आप प्रभु से  किसी विशेष फल की प्राप्ति या वरदान चाहते हैं तो संकल्प लेकर पूरे एक वर्ष तक प्रदोष व्रत रखें। 

Naag Panchmi-नाग पंचमी 

श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी कहते हैं। इस दिन नागों की पूजा की जाती है। गरुण पुराण  में ऐसा कहा गया है कि नाग पंचमी के दिन घर के दोनों बगल में नाग देवता की मूर्ति खींचकर अनन्तर प्रमुख महानागों का पूजन किया जाय। 

पंचमी नागों की तिथि है ,ज्योतिष के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं। इसलिए शेष आदि सर्पराजों का पूजन पंचमी को होना चाहिए। सुंगंधित पुष्प तथा दूध सर्पों को अति प्रिय हैं। गाँवो में इस दिन को नागचैयां भी कहते हैं। इस दिन ग्रामीण लड़कियां किसी जलाशय में गुड़ियों का विसर्जन करती हैं। ग्रामीण बच्चे तैरती हुई इन निर्जीव गुड़ियों को पीटते हैं। तत्पश्चात बहन उन्हें रुपयों की भेंट तथा आशीर्वाद देती हैं। अधिक जानकारी के लिए निम्न लेख पढ़ें।

Nag Panchami Katha Aur Mahatva -नाग पंचमी

Raksha Bandhan-रक्षा-बंधन (श्रावणी पूर्णिमा )

यह त्यौहार सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधने वाला त्यौहार है। इस दिन बहन भाई के हाथ में रक्षा बांधती हैंतथा मस्तक पर टीका लगाती है। रक्षा बंधन का अर्थ है किसी को अपनी रक्षा के लिये बांध लेना। 

राखी बाँधते समय बहन के मन में यह भाव होता है कि भाई उसकी रक्षा करेगा। 

रक्षा बंधन का एक प्रसंग महाभारत से आता है। एक बार श्री कृष्ण भगवान के हाथ में चोट लग गयी तथा उनके हाथ से खून बहने लगा। जब द्रौपदी ने देखा तो तुरंत अपनी धोती का कोर फाड़ कर भाई के हाथ में बाँध दिया। इसी बंधन के ऋणी श्री कृष्ण ने दुःशाशन द्वारा द्रौपदी का चीर हरण करने पर द्रौपदी की लाज रखी थी। 

मध्यकालीन इतिहास में एक ऐसी घटना मिलती है जिसमें चित्तौड़ की हिन्दू रानी कर्मवती ने दिल्ली के मुग़ल बादशाह हुमायुँ को अपना भाई मानकर उसके पास राखी भेजी थी। हुमायुँ ने राखी स्वीकार कर ली और उसकी सम्मान रक्षा के लिए गुजरात के बादशाह से युद्ध किया था। अधिक जानकारी के लिए निम्न लेख पढ़ें।

Raksha Bandhan 2023 Mahtava -रक्षा बंधन (श्रावणी पूर्णिमा) कथा

Sawan Maas Ke Jyotishy Upay-सावन मास विशेष ज्योतिषीय उपाय 

  • जिन लोगों का किसी भी कारण से विवाह नहीं हो पा रहा है चाहे स्त्री हो या पुरुष उन्हें माँ पार्वती सहित शिव जी का पूजन करना चाहिए। 
  • यदि संतान प्राप्ति में बाधा हो तो पति-पत्नी साथ में पारद या स्फिटिक के शिवलिंग पर जल या  गाय के दूध से अभिषेक करें साथ में नमः शिवाय मंत्र की पांच माला करें। धतूरा अर्पण करें। 
  • जिनकी कुंडली में आयु भाव कमजोर हो या गंभीर बीमारियां हो उन्हें सावन में भगवान शिव की पूजा से अच्छी सेहत और आयु का वरदान अवश्य मिलता है। 
  • यदि आप शनि की बुरी दशा या साढ़े साती से परेशान हो तो सावन में यदि आप शनि देव की पूजा करें बहुत अच्छा परिणाम मिलता है। 
  • सावन के महीने में आप अपनी कुंडली के दोषों जैसे काल सर्प दोष ,राहु दोष ,गुरु चाण्डाल दोष के लिए शिव जी की पूजा करें तो विशेष लाभ होता है। 
  • सर्पों का पूजन वर्ष में केवल श्रावण मास में ही होता है। 
  • यदि संभव तो किसी एक सोमवार या प्रदोष को रुद्राभिषेक करवाएं।
  • शिव रुद्राष्टकम और शिव तांडव स्तुतियों का नियमित पाठ करें।
  • पूरे सावन भर प्रदोष काल की पूजा अवश्य करें।
Category: Sprituality Hindi, Festival

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