

जन्माष्ठमी व्रत और पूजन विधि वर्ष 2025
सर्वप्रथम भगवान श्रीकृष्ण का 5252वाँ जन्मोत्सव कब और कैसे मनाएं
हिंदू धर्म में जन्माष्टमी व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र और वृष राशि के चंद्रमा में हुआ था. इसलिए शास्त्रों में इस दिन व्रत रखने का नियम है. जन्माष्टमी के व्रत को बच्चे, जवान, वृद्ध सभी लोग कर सकते हैं. भारतवर्ष के कुछ प्रांतों में जन्माष्टमी का व्रत सूर्य उदय कालीन अष्टमी तिथि को तथा कुछ जगहों पर तत्काल व्यापिनी अर्धरात्रि में पडने वाली अष्टमी तिथि को किया जाता है. सिद्धांत रूप से अगर देखा जाए तो इसकी मान्यता अधिक है. जिन लोगों ने खास विधि विधान के साथ वैष्णव संप्रदाय की दीक्षा ग्रहण की है वह लोग वैष्णव कहलाते हैं. बाकी अन्य सभी लोग स्मार्त कहलाते हैं, पर इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि यह सभी लोग भगवान विष्णु की पूजा अर्चना नहीं कर सकते हैं. सभी लोग समान रूप से भगवान विष्णु की पूजा उपासना कर सकते हैं. लोक व्यवहार के अनुसार वैष्णव संप्रदाय के साधु संत उदय कालीन एकादशी तिथि को जन्माष्टमी का व्रत करते हैं.
अष्टमी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 15, 2025 को 11:49 बजे तक
अष्टमी तिथि समाप्त – अगस्त 16, 2025 को 09:34 बजे तक
पूजा का समय – मध्यरात्रि 12:04 से 12:47 तक
पारण : 17अगस्त प्रातः 05:51
रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ – अगस्त 17, 2025 को 04:38 बजे तक
रोहिणी नक्षत्र के बिना जन्माष्टमी
पारण के दिन अष्टमी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी।
रोहिणी नक्षत्र समाप्त – अगस्त 18, 2025 को 03:17 बजे तक

जन्माष्टमी व्रत में क्या खाएं क्या नहीं और व्रत का पालन कैसे करें ?
जन्माष्टमी व्रत तीन तरह से रखा जाता है:
■ निर्जला
■ निराहार
■ फलाहार
● निर्जला – यानि कि व्रत वाले दिन सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक बिना जल, फल के।
● निराहार – यानि कि सुबह पूजा के बाद पानी, चाय, दूध, दही, जूस आदि लिक्विड चीजें ग्रहण करके।
● फलाहार – यानि कि सुबह पूजा के बाद फल और ड्राई फ्रूट्स खा पीकर।
● व्रत कोई भी हो किसी की देखा-देखी में आकर व्रत नहीं करना चाहिए, व्रत सदैव अपने शरीर की शक्ति के अनुसार इनमें से किसी भी तरह रख सकते हैं, क्योंकि न करने से कुछ करना सदैव लाभकारी व हितकारी ही रहा है।
● जन्माष्टमी के व्रत में आप फलाहार ले सकते हैं लेकिन अन्न को ग्रहण नहीं करना चाहिए, कई लोग इस व्रत को रात 12 बजे के बाद ही खोलते हैं तो कई इस व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करते हैं।

जन्माष्टमी पूजन विधि :-
- जन्माष्टमी के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के पश्चात व्रत करने का संकल्प करें.
संकल्प:-
“हे भगवान, मैं आपकी विशेष कृपा पाने के लिए व्रत करने का संकल्प लेता हूं. हे परमेश्वर आप मेरे द्वारा किए गए सभी पापों और बुरे कर्मों का नाश करें.”
- इसके पश्चात पूरा दिन और पूरी रात निराहार व्रत करें. अगर आप व्रत करने में सक्षम नहीं है तो आप दिन में फलाहार और दूध भी ले सकते हैं.
- व्रत के दिन पूरा दिन और पूरी रात भगवान बालकृष्ण का ध्यान, जप, पूजा, भजन, कीरतन आदि करें.
- जन्माष्टमी के दिन भगवान के दिव्य स्वरूप का दर्शन करें और उनकी कथा सुनाएं. अपनी क्षमता अनुसार ब्राह्मणों और गरीब लोगों को दान दें.
- जन्माष्टमी की पूजा करने के लिए एक लाल कपड़े पर बालकृष्ण और देवकी माता की मूर्ति की स्थापना करें. आप अपनी क्षमता के अनुसार सोने, चांदी, पीतल, मिट्टी की मूर्ति की स्थापना कर सकते हैं.
- भगवान श्री कृष्ण के आसपास गांव, कालिया नाग मर्दन, गिरिराज धरण, बकासुर वध,अघासुर वध, पूतना वध, गज, मयूर, अद्भुत चित्रकृत्य से सुंदर झांकी सजाए.
- माता देवकी और बालकृष्ण की षोडशोपचार द्वारा पूजन करें. पूजा करने के बाद नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें.
ओम नमो देवी श्रिये
- पंचामृत से लड्डू गोपाल का अभिषेक करके भगवान को नए वस्त्र अर्पित करें और लड्डू गोपाल को श्रद्धा पूर्वक झूला झुलाए.
- पंचामृत में तुलसी के पत्ते डालकर माखन मिश्री और धनिया की पंजीरी बनाकर भगवान का भोग लगाएं. इसके पश्चात आरती करके सभी भक्तों को प्रसाद बांटे. इस दिन चंद्रमा की पूजा करना भी शुभ माना जाता है.

जन्माष्टमी व्रत का महत्व :-
- शास्त्रों में जन्माष्टमी व्रत को व्रत राज कहा गया है. भविष्य पुराण में बताया गया है कि जिस घर में यह व्रत किया जाता है वहां पर अकाल मृत्यु, गर्भपात, वैधव्य, दुर्भाग्य और कलह आदि का भय समाप्त हो जाता है.
- जो भी मनुष्य एक बार इस व्रत को करता है वह इस संसार के सभी सुखों को भोग कर मृत्यु के पश्चात वैकुंठधाम में निवास करता है.
- जन्माष्टमी के दिन असत्य ना बोले. इस तरह से सभी शारीरिक इंद्रियों को सैयम में रखकर किया गया व्रत मनोवांछित फल देता है.
- सिर्फ एक इंद्रियों का संयम अर्थात केवल अन्न का त्याग कर देने से तथा अन्य इंद्रियों को संयम में ना रखने से किसी भी उपवास का पूरा फल प्राप्त नहीं होता है. इसलिए जहां तक संभव हो सके नियम पूर्वक और संयम पूर्वक व्रत करना चाहिए.
- जो लोग पूजा करने में समर्थ नहीं है या अस्वस्थ हैं उन्हें सिर्फ भगवान् कृष्ण का पूजन करके भोजन ग्रहण कर लेना चाहिए.
- जो लोग व्रत कर सकते है उन्हें रात्रि 12:00 बजे भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाना चाहिए. अगले दिन सुबह स्नान करने के पश्चात भगवान श्री कृष्ण की पूजा करके व्रत का पारण करना चाहिए.
- अगर कोई पहले ही भोजन करना चाहता है तो रात्रि में भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव मनाकर प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात भोजन कर सकता है.
- भगवान कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत सभी पापों का नाश करता है. श्रद्धा और नियम पूर्वक जन्माष्टमी का व्रत करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

जन्माष्टमी व्रत के लाभ :-
जन्माष्टमी व्रत का लाभ पाने के लिए आप भगवान कृष्ण को कुछ विशेष चीजें अर्पित कर सकते हैं. आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें श्रीकृष्ण अर्पित करने से आप लाभ प्राप्त कर सकते हैं.
- धन लाभ पाने के लिए जन्माष्टमी के दिन भगवान राधा कृष्ण के मंदिर में जाकर भगवान कृष्ण और राधा को पीले फूलों की माला अर्पित करें.
- जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण की खास कृपा पाने के लिए विधि विधान से पूजा करने के पश्चात भगवान श्री कृष्ण को सफेद मिठाई, साबूदाने या फिर चावल की खीर का भोग लगाएं. ऐसा करने से आपको भगवान श्री कृष्ण की विशेष कृपा मिलेगी.
- माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने और धन लाभ पाने के लिए जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण को दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर स्नान कराएं.
- अगर बार-बार आपके काम में रुकावट आ रही है तो जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के मंदिर में जाकर एक जटा वाला नारियल और 11 बादाम अर्पित करें. ऐसा करने से आपके कार्य में आ रही रुकावट दूर हो जाएगी.
- मनचाही नौकरी प्राप्त करने के लिए जन्माष्टमी के दिन चावल की खीर बनाकर भगवान कृष्ण को भोग लगाएं. और बाद में छोटी कन्या में वितरित करें.
- जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने के पश्चात पूजा स्थल से ₹1 का सिक्का उठा कर अपने पर्स में रखें. ऐसा करने से आपका पर्स हमेशा भरा रहेगा.
- भगवान श्री कृष्ण का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जन्माष्टमी के दिन रात्रि 12:00 बजे भगवान श्री कृष्ण का दूध से अभिषेक करें.
- वैवाहिक जीवन की समस्याओं को दूर करने के लिए जन्माष्टमी के दिन पीली चीजों का दान करें.
- विद्या लाभ प्राप्त करने के लिए जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण को मोर पंख अर्पित करें.
- अगर आप स्वास्थ्य लाभ पाना चाहते हैं तो जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के मंत्र का जाप करें.
ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः
