Ucch Neech Mooltrikona Rashi
ग्रह हमेशा गतिमान रहते हैं और विभिन्न राशियों में गोचर करते रहते हैं। हर ग्रह को अपने स्वाभाव के अनुसार कुछ राशियां प्रिय होती हैं जैसे- ग्रह की उच्च ,मूलत्रिकोण, स्वराशि और मित्र राशि। वहीं कुछ राशियां ऐसी भी होती हैं जिनमें ग्रह सहज नहीं होता जैसे – किसी ग्रह की नीच और शत्रु राशि।
इस लेख के द्वारा हम किसी ग्रह की उच्च(exalted), नीच(debilitated) ,मूलत्रिकोण और स्वराशि(own sign) को समझने का प्रयास करेंगे।
- Ucch Neech Mooltrikona Rashi Chart-उच्च नीच मूलत्रिकोण राशि चार्ट
- Ucch Rashi-उच्च राशि
- Neech Rashi-नीच राशि
- Mooltrikona Rashi-मूलत्रिकोण राशि
- Swarashi-स्वराशि
- ग्रहों की उच्च ,मूलत्रिकोण और स्वराशि में अंतर
- Rahu Ketu Ki Ucch Neech Rashi-राहु केतु की उच्च नीच और स्वराशि
- ग्रहों के उच्च नीच मूलत्रकोण राशि में परिणाम
- Reference Books-संदर्भ पुस्तकें
Ucch Neech Mooltrikona Rashi Chart-उच्च नीच मूलत्रिकोण राशि चार्ट
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Ucch Rashi-उच्च राशि
किसी ग्रह की उच्च राशि वह राशि होती है जिसमें वह ग्रह सबसे अच्छे परिणाम देता है। जैसे सूर्य मेष राशि में उच्च का होता है। जब कोई ग्रह उच्च का होता है तो उसके कारकत्व में वृद्धि होती है। इसका अर्थ है कि जातक को उस ग्रह से जुड़े कारकत्व आसानी से मिलेंगे।
जैसे यदि सूर्य उच्च का हुआ तो सरकार से पिता से सहयोग प्रसद्धि आदि।
जब कोई ग्रह उच्च का का होता है तो उसे स्थान बल के अंतर्गत उच्च बल में पूरे अंक प्राप्त होते हैं।
Neech Rashi-नीच राशि
किसी ग्रह की नीच राशि वह राशि होती है जहाँ पर कोई ग्रह सबसे ज्यादा ख़राब परिणाम देता है। जैसे सूर्य तुला राशि में नीच का होता है। जब कोई ग्रह नीच का होता है तो उसके कारकत्व में कमी होती है।
इसका अर्थ है कि जातक को उस ग्रह से जुड़े कारकत्व आसानी से नहीं मिलेंगे। जैसे यदि सूर्य नीच का हो तो सरकार और पिता का सहयोग नहीं मिलेगा , प्रसद्धि मिलने में कठिनाई होगी आदि।
Mooltrikona Rashi-मूलत्रिकोण राशि
हम जानते हैं कि सूर्य और चन्द्रमा के अलावा हर ग्रह को दो राशियां प्राप्त है। परन्तु उन दो राशियों में से भी कोई एक राशि उस ग्रह को ज्यादा प्रिय होती है इसे ही उस ग्रह की मूलत्रिकोण राशि कहते हैं। यह किसी ग्रह के लिए दूसरी सबसे अच्छी स्थिति है।
Swarashi–स्वराशि
जब कोई ग्रह अपनी स्वयं की राशि में होता है तो उसे स्वराशि का कहते हैं। सूर्य और चंद्र को छोड़ कर प्रत्येक ग्रह की दो राशियां होती हैं। जैसे सूर्य की अपनी राशि सिंह है तो सूर्य सिंह राशि में स्वराशि के होंगे।
स्वराशि में भी ग्रह सहज होता है क्योंकि वह खुद अपने घर में होता है। यह किसी ग्रह के लिए तीसरी सबसे अच्छी स्थिति है।
ग्रहों की उच्च ,मूलत्रिकोण और स्वराशि में अंतर
यूँ तो कोई ग्रह अपनी उच्च ,मूलत्रिकोण और स्वराशि तीनों में ही अच्छे परिणाम देता है। फिर तीनों में क्या अंतर है ?
इसको इस प्रकार से समझा जा सकता है कि स्वराशि मेरा अपना घर है मैं अपने घर में बहुत सहज हूँ इसलिए मैं यहाँ पर अच्छा महसूस करूंगा। साथ ही मेरे अंदर मेरे घर से जुड़े गुण -धर्म अच्छे से दिखाई देंगे क्योंकि मैं स्वयं अपने घर में हूँ।
मूलत्रकोण राशि को इस प्रकार से समझे मेरे पास दो घर हैं या एक ही घर है तो भी मेरे घर में कोई स्थान होगा जो मुझे अत्यंत प्रिय होगा और वहाँ पर रहना मुझे ज्यादा अच्छा लगता होगा।
जबकि उच्च राशि वह राशि है जहाँ पर कोई ग्रह सबसे ज्यादा अच्छे परिणाम देता है। अब मेरी कार्य क्षमता कहाँ पर सबसे ज्यादा अच्छी होगी यह मेरे स्वाभाव पर निर्भर करता है।
जैसे बुध स्वयं अपनी राशि में उच्च होता है तो मंगल देव अपने शत्रु शनि देव की राशि में उच्च के होते हैं।
Rahu Ketu Ki Ucch Neech Rashi-राहु केतु की उच्च नीच और स्वराशि
यूँ तो राहु केतु की अपनी कोई राशि नहीं क्योंकि राहु केतु को ज्योतिष शास्त्र में छाया ग्रह कहा जाता है। परन्तु जैसा की कहा जाता है की “शनिवत राहु कुंजवत केतु” जिसका तात्पर्य है कि राहु शनि के समान और केतु मंगल के समान व्यवहार करता है।
इस आधार पर कुम्भ को राहु और वृश्चिक को केतु की राशि माना जाता है।
वहीं जहाँ तक राहु केतु की उच्चता व नीचता की बात करें तो विद्वानों में मतांतर मिलता है। जहाँ कुछ विद्वान राहु को वृषभ राशि में उच्च का मानते हैं वहीं कुछ लोग इसे मिथुन राशि में उच्च का मानते हैं।
इसी प्रकार से कुछ विद्वान् केतु को धनु राशि में उच्च का मानते है तो कुछ वृश्चिक में।
वैसे राहु केतु जिस घर में बैठते हैं वहां का आधिपत्य प्राप्त कर लेते हैं और उसके हिसाब से भी फल देते हैं।उदहारण के लिए यदि राहु कन्या राशि में बैठा हो तो उसे कन्या राशि का आधिपत्य प्राप्त हो जायेगा।
ग्रहों के उच्च नीच मूलत्रकोण राशि में परिणाम
ग्रह अपनी उच्च राशि में पूर्ण फल देते हैं, मूलत्रिकोण में पूर्ण से कम और स्वराशि में मूलत्रिकोण से कम फल देते हैं। ग्रह अपनी नीच और शत्रु राशि में शून्य या बुरे परिणाम देते हैं।
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