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Upachaya Bhava

Upachaya Bhava/ Upachayasthanas-उपचय भाव  क्या होते हैं

Posted on March 14, 2023February 27, 2024 by santwana
विषय-सूचि
  1. Upachaya Bhava/Upachaya Sthana-उपचय भाव 
  2. Four Upachaya Houses-चार उपचय भाव
    • Third House-तीसरा भाव 
    • Sixth House-छठा भाव 
    • Tenth House-दशम भाव 
    • Eleventh House-ग्यारहवां भाव 
  3. Upachaya Bhava Ka Mahatva-उपचय भाव की उपयोगिता
  4. Upachaya Bhava Se Banane Wale Yog-उपचय भाव द्वारा बनने वाले योग 
    • Vasuman Yoga-वसुमान योग 
    • Amla Yoga-अमला योग
  5. Reference Books-संदर्भ पुस्तकें

Upachaya Bhava/Upachaya Sthana-उपचय भाव 

जन्म कुंडली के 3,6,10,11 भाव को उपचय स्थान कहते हैं। उपचय स्थान – संस्कृत शब्द उपचय से लिया गया है जिसका अर्थ है वृद्धि करना या समय के साथ बढ़ना।उपचय भाव में बैठे हुए ग्रह समय के साथ वृद्धि करते हैं या बढ़ते हैं। 

उदहारण के लिए यदि किसी व्यक्ति का तीसरे भाव का स्वामी उपचय स्थान में हो तो उम्र बढ़ने के साथ उसकी कम्युनिकेशन स्किल्स बढ़ेंगी। यदि किसी व्यक्ति का लग्नेश उपचय भाव में हो तो समय के साथ उसका व्यक्तित्व बढ़ेगा अर्थात अच्छा होगा। 

उपचय भाव यह दर्शाते हैं कि हम जीवन में पराक्रम ,संघर्ष और कर्म को करते हुए लाभ को प्राप्त कर कर सकते हैं। 

उपचय भाव में बैठे ग्रह समय के साथ बढ़ते है अर्थात ये ग्रह किसी व्यक्ति को प्रयास करने के लिए कहते हैं। जब व्यक्ति निरंतर प्रयास करता है तो वह जीवन में विशेष उपलब्धि हासिल कर सकता है।
उपचय भाव में क्रूर ग्रह अच्छे परिणाम देते हैं क्योंकि यह ग्रह व्यक्ति को कठिन परिश्रम करने की शक्ति प्रदान करते हैं। तीसरे व छठे भाव में क्रूर ग्रह अच्छे होते है। दशम व एकादश भाव में शुभ ग्रह भी अच्छे परिणाम देते हैं।

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Four Upachaya Houses-चार उपचय भाव

Upachaya Bhava
Upachaya Bhava in Kundali

Third House-तीसरा भाव 

तीसरे भाव को पराक्रम का भाव भी कहा जाता है। यह जन्म कुंडली का अत्यंत महत्वपूर्ण भाव है क्योंकि यह भाव यह दर्शाता है कि व्यक्ति कितना प्रयास करेगा। तीसरा भाव व्यक्ति के कौशल(skills), सम्प्रेषण क्षमता (communication skills) का भी होता है। 

 तीसरे भाव में क्रूर ग्रह- राहु, शनि, सूर्य, मंगल अच्छे माने जाते हैं क्योंकि यह व्यक्ति को संघर्ष और प्रयास करने की शक्ति देते हैं।  ऐसे व्यक्ति अपने प्रयास और परिश्रम के द्वारा स्वयं अपने भाग्य का निर्माण करते हैं क्योंकि तीसरे भाव में यदि कोई ग्रह होगा तो उसकी सप्तम दृष्टि नवम भाव (भाग्य स्थान ) पर होगी। 

वही यदि तीसरे भाव में शुभ ग्रह जैसे -चन्द्रमा, बृहस्पति, शुक्र हो तो व्यक्ति को कम प्रयास में सफलता हासिल हो जाती है। 

Sixth House-छठा भाव 

छठा भाव व्यक्ति के शत्रुओं और बाधाओं का होता है। तीसरे भाव से जहाँ व्यक्ति जीवन में प्रयास करता है तो उसके सामने जो बधाएं आती हैं उनका सामना करने की शक्ति व्यक्ति को छठे स्थान से मिलती है। तीसरा भाव जहाँ व्यक्ति के कौशल का होता है वहीं छठा भाव नौकरी का होता है जहाँ पर व्यक्ति उस कौशल का प्रयोग करता है। 

Tenth House-दशम भाव 

दशम भाव को कर्म स्थान की संज्ञा प्राप्त है। हम अपने जीवन में जो भी कर्म करते हैं उनका विचार दशम भाव से किया जाता है। व्यक्ति द्वारा किये गए कर्मों के द्वारा उसके भाग्य को पोषण मिलता है। दशम भाव व्यक्ति की प्रशासनिक क्षमता , ख्याति को भी दर्शाता है। जब व्यक्ति अपने पराक्रम का प्रयोग करते हुए मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करता हुआ आगे बढ़ता है तो उसे जीवन में अधिकार व ख्याति प्राप्त होती है। 

दशम भाव के कारक ग्रह शनि, बृहस्पति, मंगल व सूर्य हैं। 

Eleventh House-ग्यारहवां भाव 

ग्यारहवां भाव लाभ का स्थान है। व्यक्ति को अपने किये गए कर्मों का लाभ ग्यारहवां भाव  से प्राप्त होता है। इसलिए ग्यारहवां भाव  आय का भी है। 

एकादश भाव के स्वामी को शास्त्रों के अनुसार अच्छा नहीं माना जाता है क्योंकि भावात भावम के नियमानुसार एकादश भाव छठे से छ्ठा होता है और द्वादश से द्वादश होता है। अतः भले ही ग्यारवां भाव आर्थिक उन्नति के लिए अच्छा हो परन्तु यदि यदि ग्यारहवें भाव का स्वामी लग्न या लग्नेश को पीड़ित करे तो यह स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा नहीं होता।
परन्तु यदि एकादशेश यदि उपचय स्थान में ही हो तो यह ख़राब परिणाम नहीं देता है।

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Upachaya Bhava Ka Mahatva-उपचय भाव की उपयोगिता

हम ज्योतिष शास्त्र में अक्सर मुक्त इच्छाशक्ति(free will) के विषय में बात करते हैं। हमारी कुंडली कुछ चीजें तो निश्चित होती हैं जिन्हें हम बदल नहीं सकते पर कुछ चीजें हमारी मुक्त इच्छाशक्ति पर निर्भर करती हैं। उपचय भाव इसी को दर्शाते हैं। उपचय भाव का सही प्रकार से प्रयोग करके हम अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। 

उपचय भाव वाले व्यक्ति स्वयं अपने भाग्य के निर्माता होते हैं। जिन व्यक्तियों की कुंडली में उपचय भाव प्रबल होता है वो स्वयं अपने परिश्रम के द्वारा अपने भाग्य का निर्माण करते हैं। जिन व्यक्तियों के त्रिकोण (1,5,9) भाव के स्वामी प्रबल होते हैं वो जीवन में आसानी से उपलब्धियाँ हासिल करते हैं। 

परन्तु जिन व्यक्तियों की कुंडली में उपचय भाव प्रबल होते हैं वो कठिन परिश्रम और संघर्ष के द्वारा जीवन में सफलता हासिल करते हैं। 

त्रिषडाय(3,6,11) भाव की गिनती जहाँ अशुभ भावों में होती है वही 10वां भाव केंद्र स्थान में आता है। (3,6,11) भाव को त्रिषडाय भाव कहते हैं जिनके स्वामी को अशुभ माना जाता है। त्रिषडाय भाव के स्वामी में बढ़ते हुए क्रम में अशुभता बढ़ती जाती है तात्पर्य यह है कि तीसरे भाव के स्वामी से ज्यादा अशुभ छठा भाव के स्वामी, और छठे के स्वामी से ज्यादा ग्यारहवां भाव के स्वामी अशुभ होता है।

Upachaya Bhava Karakas
Upachaya Bhava Karakas

उपचय भाव में अर्थ त्रिकोण के दो भाव और काम त्रिकोण के दो भाव आते हैं। अतः उपचय भाव सांसारिक और आर्थिक उन्नति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण भाव हैं। वहीं यदि कालपुरुष की कुंडली के हिसाब से देखा जाय तो तीसरे और छठे भाव का स्वामी बुध तथा दशम और एकादश भाव का स्वामी शनि होता है। बुध जहाँ बुद्धि का कारक ग्रह है वहीं शनि कर्म का कारक ग्रह है। तात्पर्य यह है कि उपचय भाव यह दर्शाते हैं कि यदि बुद्विमता के साथ जीवन में कर्म किये जाये तो सफलता निश्चित है। 

Upachaya Bhava Se Banane Wale Yog-उपचय भाव द्वारा बनने वाले योग 

Vasuman Yoga-वसुमान योग 

फलदीपिका के अनुसार – 

यदि लग्न या चन्द्रमा से गिनने पर समस्त शुभ ग्रह(बृहस्पति,शुक्र,बुध) उपचय स्थान में हो तो वसुमान योग निर्मित होता है। वसुमान योग में जन्मे व्यक्ति सदैव अपने घर में रहता है और उसके पास बहुत द्रव्य होता है। 

Amla Yoga-अमला योग

फलदीपिका के अनुसार – यदि लग्न या चन्द्रमा से दशम स्थान में शुभ ग्रह हो तो अमला योग निर्मित होता है। इस योग में उत्पन्न हुआ जातक भूमि का स्वामी, नीतिज्ञ , पुत्र और संपत्ति से युक्त होता है। 

पराशर ऋषि के अनुसार- जिस जातक की जन्म कुंडली में अमला योग हो वह राजा/सरकार द्वारा सम्मानित होता है, सुखों से परिपूर्ण ,दानी ,दूसरों की मदद करने वाला और सदाचारी होता है।

Reference Books-संदर्भ पुस्तकें

  • Brihat Parashara Hora Shastra –बृहत पराशर होराशास्त्र
  • Phaldeepika (Bhavartha Bodhini)–फलदीपिका
  • Saravali–सारावली
  • Laghu Parashari–लघु पाराशरी
Category: Astrology Hindi

6 thoughts on “Upachaya Bhava/ Upachayasthanas-उपचय भाव  क्या होते हैं”

  1. saurabh Kamthan says:
    April 28, 2023 at 8:35 pm

    Good piece of information, well explained.

    Reply
    1. santwana says:
      April 29, 2023 at 10:52 am

      Thanks for appreciation

      Reply
  2. Yatendra Singh says:
    May 31, 2023 at 10:37 pm

    उपचय भाव का संक्षेप में विस्तार बहुत सुन्दर व्याख्या

    Reply
    1. santwana says:
      June 1, 2023 at 4:14 am

      यतेन्द्र जी बहुत बहुत धन्यवाद।

      Reply
  3. विवेक says:
    February 26, 2024 at 10:02 pm

    त्रिशदय भाव कब उपचय होंगे, व कब त्रिषदय ये clear नही है,

    Reply
    1. santwana says:
      February 27, 2024 at 5:04 am

      (3,6,11) भाव को त्रिषडाय भाव कहते हैं जिनके स्वामी को अशुभ माना जाता है। उपचय भाव में (3,6,11) भाव के अतिरिक्त 10 भाव भी सम्मिलित होता है।

      Reply

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