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varg kundali

Varg Kundali(Divisional Charts) Aur Unse Banne Wale Yoga-वर्ग कुंडली क्या होती है

Posted on April 21, 2023March 7, 2024 by santwana

Varg Kundali/Divisional Charts

हम जानते जन्म कुंडली के विविध भाव के द्वारा हम जीवन के विभिन्न पहलुओं का अध्धयन कर सकते हैं। जैसे यदि हमें किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में विचार करना हो तो हम उस व्यक्ति के प्रथम भाव या लग्न और उसके लग्नेश की स्थिति पर विचार करेंगे। इसी प्रकार यदि धन और कुटुम्ब आदि का विचार करना हो तो द्वितीय भाव का विचार करेंगे।

इसी प्रकार से पराक्रम और छोटे भाई के लिए तृतीय भाव, माता, मकान और वाहन सुख के लिए चतुर्थ भाव; संतान और बुद्धि के लिए पंचम; रोग, रिपु, ऋण के लिए षष्ठम; जीवनसाथी, पार्टनरशिप के लिए सप्तम; आयु के लिए अष्टम; पिता और भाग्य के लिए नवम; कार्य क्षेत्र, प्रसिद्धि आदि के लिए दशम; आय के लिए एकादश और व्यय के लिए द्वादश भाव  और उनके स्वामियों पर विचार करेंगे। 

विषय-सूचि
  1. Varg Kundali/Divisional Charts-वर्ग कुंडली
  2. Varg Kundali Ke Prakar-वर्ग कुंडली के प्रकार
    • Shodash Varg-षोडशवर्ग
    • Sadvarg Aur Saptvarg-षड्वर्ग और सप्तवर्ग
    • Dashvarg-दशवर्ग
  3. Varg Kundali Ka Mahatva-वर्ग कुंडली का महत्व
    • Vibhinn Vargon Me Shubh Vargon Dwara Banne Wale Yog-शुभ वर्गों द्वारा बनने वाले योग
    • Vargottam Grah-वर्गोत्तम ग्रह
  4. Reference Books-संदर्भ पुस्तकें

लग्न कुंडली से हमें व्यक्ति के जीवन की कई बातें ज्ञात हो सकती हैं परन्तु यदि हमें किसी जीवन के किसी पहलु पर ज्यादा गहराई से विचार करना हो तो हम वर्ग कुंडलियों पर विचार करना चाहिए।

Varg Kundali/Divisional Charts-वर्ग कुंडली

यदि हमें किसी भाव और गहनता या सूक्ष्मता से अध्धयन करना हो तो वर्ग कुंडलियों को देखना चाहिए। जिस प्रकार से विभिन्न भाव जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते है उसी प्रकार से विभिन्न वर्ग कुंडलियां भी जीवन के किसी विशेष पहलु के बारे में और सूक्ष्मता से बताती हैं।जैसे नवांश कुंडली द्वारा जीवनसाथी का विचार किया जाता है।

नवांश कुंडली में प्रत्येक राशि के नौ भाग किए जाते हैं। नवांश कुंडली के द्वारा जीवनसाथी और भाग्य का विचार किया जाता है। इसी प्रकार से राशि के दो भाग, तीन भाग, चार भाग, सात भाग , दस भाग , बारह भाग, सोलह भाग से लेकर साठ भाग तक किए जाते हैं जिन्हें क्रमशः होरा, द्रेष्काण, चतुर्थांश, सप्तमांश,दशमांश, द्वादशांश, षोडशांश, षष्टयांश कुंडली कहा जाता है। 

Varg Kundali Ke Prakar-वर्ग कुंडली के प्रकार

पराशर ऋषि ने बृहत पराशर होराशास्त्र में वर्गभेद बताएं हैं। षड्वर्ग, सप्तवर्ग, दशवर्ग और षोडशवर्ग ये चार भेद बताएं हैं। 

Shodash Varg-षोडशवर्ग

षोडश अर्थात सोलह वर्ग कुंडलियों के विषय में बताया है जो निम्न हैं –
1) जन्म/राशि कुंडली , 2)होरा, 3)द्रेष्काण, 4)चतुर्थांश, 5)सप्तमांश, 6)नवमांश, 7)दशमांश, 8)द्वादशांश, 9)षोडशांश, 10)त्रिशांश, 11)चतुर्विशांश, 12)सप्तविशांश, 13)त्रिंशदशांश, 14)खवेदांश/चत्वार्यांश , 15)अक्षवेदांश/ पंच चत्वार्यांश, 16)षष्टियांश

Varg Kundali-Shodash Varg
Varg Kundali-Shodash Varg

होरा में एक राशि के दो भाग किए जाते हैं। अतः यदि 30° के राशि के दो भाग करें तो प्रत्येक भाग 15° का होगा। अतः एक राशि में दो होरा होंगे होंगे और कुल 24 होरा होंगे। इसी प्रकार से द्रेष्काण में एक राशि के 3 भाग किए जाते है। अतः प्रत्येक भाग 10° का होगा और कुल 36 द्रेष्काण्ड होंगे।
नवमांश में एक राशि के नौ भाग किए जाते हैं। प्रत्येक भाग 3°20′ का होता है और कुल 108 नवांश होते हैं। इसी प्रकार से हम अन्य वर्ग कुंडलियों के भाग भी ज्ञात कर सकते हैं।

Sadvarg Aur Saptvarg-षड्वर्ग और सप्तवर्ग

जब केवल छः वर्गों राशि, होरा, द्रेष्काण, नवांश , द्वादशांश और त्रिशांश का विचार किया जाता है तो उसे षड्वर्ग कहते हैं।  इसी प्रकार षड्वर्ग के साथ सप्तमांश का भी विचार किया जाए तो उसे सप्तवर्ग कहते हैं। 

varg kundali-sapt varg
varg kundali-shadvarg

Dashvarg-दशवर्ग

दशवर्ग में राशि, होरा, द्रेष्काण, त्रिशांश,सप्तमांश, नवांश , दशमांश, द्वादशांश, षोडशांश और षष्ट्यंश पर विचार किया जाता है। 

Dash Varg

Varg Kundali Ka Mahatva-वर्ग कुंडली का महत्व

यदि कोई ग्रह राशि कुंडली में अच्छी स्थिति में हो परन्तु वर्ग कुंडलियों में उतनी अच्छी स्थिति में न हो तो वह ग्रह उतने अच्छे परिणाम नहीं देता जितना शुभ वह राशि कुंडली में लग रहा था। इसके विपरीत यदि कोई ग्रह राशि कुंडली में ख़राब स्थिति में हो परन्तु नवांश कुंडली तथा अन्य वर्ग कुंडली में  अच्छी स्थिति में हो तो वह अशुभ परिणाम नहीं देता है। 

बृहत पराशर होराशास्त्र के अनुसार जो ग्रह अपनी उच्च राशि में, मूलत्रिकोण राशि में, अपनी राशि में और आरूढ़ लग्न से केन्द्रपतियों के वर्ग में हो उसे शुभ लेना चाहिए। इसी प्रकार यदि कोई ग्रह अस्त हो, युद्ध में पराजित हो, नीच हो, शयनादि दुर्बल अवस्था में हो उनका वर्ग अशुभ होता है। 

Vibhinn Vargon Me Shubh Vargon Dwara Banne Wale Yog-शुभ वर्गों द्वारा बनने वाले योग

यदि षड्वर्ग में कोई ग्रह दो वर्गों में  शुभ हो तो उसे किंशुक, तीन में व्यंजन , चार में चामर, पांच में छत्र और छः वर्ग में शुभ हो तो कुंडल कहते हैं। सात वर्ग में शुभ होने पर उसे मुकुट कहते हैं। 

दशवर्ग में 2 वर्ग के संयोग से पारिजात, 3 से उत्तम, 4 से गोपुर, 5 से सिंहासन, 6 से पारावत, 7 से देवलोक ,8 से ब्रह्मलोक, 9 से शक्रवाहन, 10 से श्रीधाम योग होता है। 

षोडशवर्ग में 2 वर्ग के संयोग से भेदक, 3 से कुसुम, 4 से नागपुष्प, 5 से कंदुक, 6 से केरल, 7 से कल्पवृक्ष  ,8 से चंदनवन, 9 से पूर्णचन्द्र, 10 से उच्चैःश्रवा, 11 से धन्वन्तरि, 12 से सूर्यकान्त, 13  से विद्रुम, 14  से सिंहासन, 15  से गोलोक, 16 से श्रीवल्लभ योग होता है। 

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Vargottam Grah-वर्गोत्तम ग्रह

जब कोई ग्रह जन्म कुंडली और नवांश कुंडली में एक ही राशि में हो तो उसे वर्गोत्तम कहते है। शास्त्रों के अनुसार वर्गोत्तम ग्रह बहुत अच्छा फल देता है। जैसे यदि कोई ग्रह जन्म कुंडली में मेष राशि में हो और नवांश में भी मेष राशि में हो तो उसे वर्गोत्तम कहेंगे।

Reference Books-संदर्भ पुस्तकें

  • Brihat Parashara Hora Shastra –बृहत पराशर होराशास्त्र
  • Phaldeepika (Bhavartha Bodhini)–फलदीपिका
  • Saravali–सारावली
Category: Astrology Hindi

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