Vimshopak Bal-विंशोपक बल
विंशोपक बल ग्रहों के बल(शक्ति) को नापने का एक तरीका है। जिस प्रकार से षड्बल द्वारा ग्रहों के बल को निकाला जाता है उसी प्रकार विंशोपक बल से भी ग्रहों के बल को निकाला जाता है। षड्बल निकलने का तरीका जहां काफी जटिल और लम्बा है वहीं विंशोपक बल ग्रहों का बल निकालने का छोटा और अपेक्षाकृत आसान तरीका है।
अतः विम्शोपक बल ग्रहों की शक्ति निकालने का तरीका है जिसमें ग्रहों की विभिन्न वर्गों में स्थिति में आधार पर 20 अंकों में से अंक प्रदान किए जाते हैं। जिस ग्रह को जितना अधिक अंक मिलता है वह उतना ही बली होता है।
विंशोपक शब्द विंशति से बना है। विंशतिः संस्कृत का शव्द है जिसका अर्थ 20 होता है। जिस प्रकार से किसी चीज का 100वां भाग प्रतिशत कहलाता है उसी प्रकार 20 को इकाई मानकर उसका भाग करना विंशोपक या विश्वा(बिस्वा) कहलाता है।
Vibhinn Vargon Me Vimshopak Bal -विभिन्न वर्गों में विंशोपक बल
बृहत पराशर होरा शास्त्र में विभिन्न वर्गों षड्वर्ग, सप्तवर्ग, दशवर्ग और षोडश वर्ग के लिए विंशोपक बल निकालना गया बताया है। विभिन्न वर्गों के महत्व के अनुसार उन्हें निम्न प्रकार बल प्रदान किए जाते हैं-
षड्वर्ग में राशि कुंडली के बाद सबसे अधिक महत्व नवमांश और उसके बाद द्रेष्काण कुंडली को महत्व दिया जाता है।षड्वर्ग में विंशोपक बल का मान क्रम से 6 ,2, 4, 5, 2, 1 होता है।यहाँ यह देखने योग्य बात है कि लग्नन कुंडली (D1)के पश्चात् सबसे ज्यादा महत्व नवमांश कुंडली(D9 ) को दिया जाता है।
सप्तवर्ग में इनका मान क्रम से 5, 2, 3, 2.5, 4.5, 2, 1, होता है।सप्तवर्ग में भी लग्न कुंडली के पश्चात सबसे ज्यादा महत्व नवमांश को देते हैं।
दशवर्ग में ग्रह का 3, षष्ट्यंश का 5 और शेष सभी का डेढ़ विम्शोपक बल होता है।
षोडश वर्ग में होरा का 1, त्रिंशांश का 1, द्रेष्काण का 1, षोडश 2, नवमांश का 3, ग्रह का डेढ़(1.5), षष्ट्यंश का 4 और शेष सभी का आधा (0.5) वर्गविश्वा होता है।षोडश वर्ग में भी लग्न कुंडली के पश्चात सबसे ज्यादा महत्व नवमांश को देते हैं।
Vimshopak Bala Ki Ganna-विंशोपक बल की गणना
विम्शोपक बल की गणना के लिए सर्वप्रथम ग्रहों की विभिन्न वर्गों में स्थिति को देखा जाता है। यदि हम षड्वर्ग में किसी ग्रह का बल निकालें तो हमें राशि कुंडली, होरा, द्रेष्काण, नवमांश, द्वादशांश और त्रिंशांश कुंडली में उसकी स्थिति को देखना होगा कि वह स्वराशि है या मित्र या शत्रु की राशि में।
किसी ग्रह के विभिन्न वर्गों में होने को निम्न प्रकार से महत्व दिया गया है –
स्वराशि(20) > अतिमित्र(18) > मित्र(15) > सम(10) > शत्रु(7) > अतिशत्रु (5)
यदि कोई ग्रह स्ववर्ग में हो तो उसे 20 , अतिमित्र में हो तो 18, मित्र में हो तो 15 , सम में हो तो 10, शत्रु के वर्ग में हो तो 7 और अतिशत्रु के वर्ग में हो तो 5 विश्वा बल मिलता है। इन्हें वर्ग विश्वा कहते हैं।
विम्शोपक बल = (स्वविश्वा *वर्ग विश्वा) /20
वर्ग के विश्वा को उस वर्ग के कुल बल से गुणा करके 20 से भाग देने पर वर्ग का विंशोपक बल पता चलता है। इस प्रकार से किसी ग्रह का सभी वर्गों के विंशोपक बल निकाल कर जोड़ने पर उस ग्रह का कुल विम्शोपक बल ज्ञात किया जा सकता है।
Udaharan-उदहारण
उदाहरण कुंडली में हम शनि के षड्वर्ग के लिए विम्शोपक बल की गणना करेंगे। उपरोक्त कुंडली में राशि कुंडली में शनि मकर राशि है अतः इसका वर्ग विश्वा 20 है। अतः 6*20/20 =6 विश्वा बल होगा।
होरा में शनि चंद्र की होरा में है। अतः शत्रु राशि में होने के कारण इसका वर्ग विश्वा 7 है। अतः 2*7/20= 0.7 विश्वा बल होगा।
द्रेष्काण में शनि मकर राशि में है। अतः स्वराशि होने के कारण इसका वर्ग विश्वा 20 है। अतः 4*20/20 =4 विश्वा बल होगा।
नवांश में शनि कुम्भ राशि में है। अतः स्वराशि होने के कारण इसका इसका वर्ग विश्वा 20 है। अतः 5* 20/20 =5 विश्वा बल होगा।
द्वादशांश में शनि मीन राशि में है। अतः सम होने के कारण इसका इसका वर्ग विश्वा 10 है। अतः 2*10 /20 =1 विश्वा बल होगा।
त्रिंशांश में शनि कन्या राशि में है। अतः स्वराशि होने के कारण इसका इसका वर्ग विश्वा 15 है। अतः 1*15/20 =0.75 विश्वा बल होगा।
अतः उपरोक्त कुंडली में शनि का विम्शोपक बल =6+0.7+4+5+1+0.75 =17. 45 विश्वा होगा।
इसी प्रकार से सप्तवर्ग, दशवर्ग और षोडश वर्ग के लिए भी किसी ग्रह का विम्शोपक बल निकाला जा सकता है।
Vimshopak Bal Ka Upyog-विंशोपक बल का उपयोग
विम्शोपक बल का उपयोग ग्रहों की शक्ति निकालने में किया जाता है।यदि किसी ग्रह का विंशोपक बल 5 से कम हो तो वह परिणाम देने में असमर्थ होता है, यदि 5-10 के बीच विम्शोपक बल हो तो वह अल्प फल देने वाला, यदि 10-15 के बीच विंशोपक बल हो तो वह मध्यम फल देने वाला, यदि 15-20 के बीच विम्शोपक बल हो तो वह पूर्ण फल देने वाला होता है।
विम्शोपक बल का प्रयोग करके हम यह ज्ञात कर सकते हैं कि किसी ग्रह की दशा या अन्तर्दशा जातक को किस प्रकार के परिणाम देगी।