Saraswati Ashtottara Shatanama Stotram
सरस्वती अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र में देवी सरस्वती के 108 नामों को बताया गया है। यह बहुत ही शक्तिशाली स्तोत्र है तथा इसके पाठ द्वारा विद्या, ज्ञान और कला की देवी सरस्वती को प्रसन्न किया जा सकता हैं। इस वसंत पंचमी पर माँ सरस्वती की कृपा पाने हेतु इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।
- Saraswati Ashtottara Shatanama Stotram-सरस्वती अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र
- Saraswati Ashtottara shatanama Stotram Hindi Arth-सरस्वती अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र हिंदी अर्थ
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Saraswati Ashtottara Shatanama Stotram-सरस्वती अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र
ॐ महादेव्यै च विद्महे। ब्रह्मपत्न्यै च धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात।
ॐ सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा।
सरस्वति महाभद्रा महामाया वरप्रदा ।
श्रीप्रदा पद्मनिलया पद्माक्षी पद्मवक्त्रगा ।।1।।
शिवनुजा पुस्तकभृत् ज्ञानमुद्रा रमा परा ।
कामरूपा महाविद्या महापातकनाशिनी ।।2।।
महाश्रया मालिनी महाभोगा महाभुजा ।
महाभागा महोत्साहा दिव्याङ्गा सुरवन्दिता ।।3।।
महाकाली महापशा महाकारा महाङ्कुशा ।
पीता च विमला विश्वा विध्युन्माला च वैष्णवी ।।4।।
चन्द्रिका चन्द्रवदना चन्द्रलेखाविभूषिता ।
सावित्री सुरसा देवी दिव्यालंकारभूषिता।।5।।
वाग्देवी वसुधा तीव्रा महाभद्रा महाबला।
भोगदा भारती भामा गोविन्दा गोमती शिवा।।6।।
जटिला विध्यवासा च विन्ध्याचलविराजिता।
चण्डिका वैष्णवी ब्राह्मी ब्रह्मज्ञानैकसाधना।।7 ।।
सौदामिनी सुधामूर्तिस्सुभद्रा सुरपूजिता।
सुवासिनी सुनासा च विनिद्रा पद्मलोचना।।8।।
विद्यारूपा विशालाक्षी ब्रह्मजाया महाफला।
त्रयीमूर्तिः त्रिकालज्ञा त्रिगुणा शास्त्ररूपिणी।।9।।
शुम्भासुरप्रमथिनी शुभदा च स्वरात्मिका।
रक्तबीजनिहन्त्री च चामुंडा चाम्बिका तथा।।10।।
मुण्डकायप्रहरणा धूम्रलोचनमर्दना।
सर्वदेवस्तुता सौम्या सुरासुरनमस्कृता।।11।।
कालरात्रि कलाधारा रूपसौभाग्यदायनी।
वाग्देवी च वरारोहा वाराही वारिजासना।।12।।
चित्राम्बरा चित्रगंधा चित्रमाल्यविभूषिता।
कान्ता कामप्रदा वन्द्या विद्याधरसुपूजिता।।13।।
श्वेतानना नीलभुजा चतुर्वर्गफलप्रदा।
चतुराननसाम्राज्या रक्तमद्या निरञ्जना।।14।।
हंसासना नीलजङ्घा ब्रह्मविष्णुशिवात्मिका
एवं सरस्वतीदेव्या नाम्नामअष्टोतरं शतं।।15।।
इति श्री सरस्वती अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम सम्पूर्णं।
Saraswati Ashtottara shatanama Stotram Hindi Arth-सरस्वती अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र हिंदी अर्थ
ॐ सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा।
हे देवी सरस्वती ! हे वर को प्रदान करने वाली ! कामना की मूर्ति रूप ! मैं अब अपनी विद्या का आरम्भ करता हूँ जिसमें मुझे सदैव सफलता मिले।
सरस्वति महाभद्रा महामाया वरप्रदा ।
श्रीप्रदा पद्मनिलया पद्माक्षी पद्मवक्त्रगा ।।1
सरस्वती वो है जो1) सदा बहने वाला ज्ञान है , 2)जो बहुत शुभ हैं , 3)जो महान माया हैं ,4)जो वर को प्रदान करने वाली हैं ,5)जो सम्पन्नता प्रदान करने वाली हैं ,6)जो कमल दल में निवास करती हैं ,7)जिनके कमल के नेत्र और 8)कमल के समान चेहरा है।
शिवनुजा पुस्तकभृत् ज्ञानमुद्रा रमा परा ।
कामरूपा महाविद्या महापातकनाशिनी ।।2
वह वो है 9)जो भगवान शिव के बाद उत्पन्न हुई,10)जो ज्ञान रूपी पुस्तक को हाथ में धारण किये हैं,11) जो ज्ञान का अवतार हैं,12) जो समृद्धि का मूर्त रूप है,13)जो सबसे परे हैं,14)जो कामनाओं का मूर्त रूप हैं, 15)जो महान ज्ञान हैं, 16)जो सभी पापों का नाश करने वाली हैं
महाश्रया मालिनी महाभोगा महाभुजा ।
महाभागा महोत्साहा दिव्याङ्गा सुरवन्दिता ।।3
17)जो सबको आश्रय देने वाली, 18)जो महान वंदनीय हैं, 19)जो महान सुखों का कारण हैं,20)जिनकी भुजाएं महान कार्य करने की सामर्थ्य रखते हैं, 21)जो अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, 22)जो महान उत्साह का अवतार हैं,23)जो कि दिव्य हैं और24) देवताओं द्वारा वंदनीय हैं।
महाकाली महापशा महाकारा महाङ्कुशा ।
पीता च विमला विश्वा विध्युन्माला च वैष्णवी ।।4
25) महाकाली(जो सभी जगह व्याप्त अंधकार हैं), 26)महपाशा(जो सबको बांधकर रखती हैं), 27)महकारा(जिनके विशाल आकार है),28)महाङ्कुशा (जो सबको नियंत्रित रखती हैं), 29)जो बुद्धि में व्याप्त हैं,30) जो स्वच्छ हैं, 31)जो ब्रह्माण्ड का अवतार हैं,32)जो बिजली की श्रृंखला के समान हैं,33)जो सब जगह व्याप्त हैं
चन्द्रिका चन्द्रवदना चन्द्रलेखाविभूषिता ।
सावित्री सुरसा देवी दिव्यालंकारभूषिता।।5
34)चन्द्रिका(जो चन्द्रमा का अवतार हैं), 35)चन्द्रवदना (जिनका चन्द्रमा के समान दीप्तिमान चेहरा है), 36)चन्द्रलेखविभूषिता(जिन्होंने अर्धचंद्र को सजाया हुआ है),37)सावित्री (जो सबकी जननी हैं),38) जो सभी शुभताओं का सार हैं,39)जो उत्कृष्ट हैं,40) जिन्होंने दिव्य आभूषण धारण किए हुए हैं
वाग्देवी वसुधा तीव्रा महाभद्रा महाबला।
भोगदा भारती भामा गोविन्दा गोमती शिवा।।6
41)जो वाक् की देवी हैं,42)जो संसार का भरण पोषण करती हैं,43)जो उग्र हैं, 44)जो शुभता का अवतार हैं,45) जो बहुत बलवान हैं, 46)जो सुखों को प्रदान करती हैं,47) जो प्रतिभा में आनंदित होती हैं,48)जो प्रकाश/प्रभा का अवतार हैं,49) जो सभी इन्द्रियों को वश में रखती हैं, 50)जो इन्द्रियों का साकार रूप हैं, 51)जो शुभता का अवतार हैं
जटिला विध्यवासा च विन्ध्याचलविराजिता।
चण्डिका वैष्णवी ब्राह्मी ब्रह्मज्ञानैकसाधना।।7
52)जो महान संगम हैं,53)जिनका विंध्य पर्वत पर निवास है,54)जो विंध्य पर्वत की चोटी पर चमकती हैं,55)जो उग्र स्वाभाव वाली हैं,56)जो भगवन विष्णु की स्त्री रूप की अभिव्यक्ति हैं,57)जो सर्वव्यापी हैं,58)जो ब्रह्मज्ञान को प्राप्त करने का साधन हैं
सौदामिनी सुधामूर्तिस्सुभद्रा सुरपूजिता।
सुवासिनी सुनासा च विनिद्रा पद्मलोचना।।8
59)जो बिजली का स्वरुप हैं,60)जो दिव्य मधु स्वरूपा हैं, 61)जो सौभाग्यशाली और सुन्दर हैं, 62)जो सुरों द्वारा पूजनीय हैं, 63)जो अपने निवास को सौभाग्य से भर देती हैं, 64)जिनकी सुन्दर नासिका है,65) जो निद्रा रहित हैं, 66)जिनके कमल के समान सुन्दर नेत्र हैं।
विद्यारूपा विशालाक्षी ब्रह्मजाया महाफला।
त्रयीमूर्तिः त्रिकालज्ञा त्रिगुणा शास्त्ररूपिणी।।9
67)जो ज्ञान का साकार रूप हैं,68) जिनके विशाल सुन्दर नेत्र हैं, 69)जो ब्रह्मा की संगिनी(पत्त्नी) हैं, 70)जो महान फलों को देने वाली हैं, 71)जो त्रिमूर्ति की अभिव्यक्ति हैं, 72)जो भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों को जानने वाली हैं, 73)जो तीनों गुणों में विद्यमान हैं,74) जो शास्त्रों का साकार रूप हैं।
शुम्भासुरप्रमथिनी शुभदा च स्वरात्मिका।
रक्तबीजनिहन्त्री च चामुंडा चाम्बिका तथा।।10
75)जिन्होंने शुम्भ नामक असुर को पराजित किया, 76)जो शुभता प्रदान करती हैं, 77)जो स्वरों का साकार रूप हैं, 78)जिन्होंने रक्तबीज को पराजित किया,79) वो देवी जिन्होंने चण्ड मुंड को पराजित किया,80) जो जगत की जननी हैं।
मुण्डकायप्रहरणा धूम्रलोचनमर्दना।
सर्वदेवस्तुता सौम्या सुरासुरनमस्कृता।।11
81)जिन्होंने मुंड असुर के शरीर का विनाश किया, 82)जिन्होंने राक्षस धूम्रलोचन को पराजित किया,83) जो सभी देवताओं द्वारा वन्दित हैं, 84)जो सौम्य हैं, 85)जो सुर असुर दोनों द्वारा पूजित हैं।
कालरात्रि कलाधारा रूपसौभाग्यदायनी।
वाग्देवी च वरारोहा वाराही वारिजासना।।12
86)जो रात्रि का अंधकार हैं, 87)जो चन्द्रमा की कला हैं,88) जो सुंदरता और सम्पन्नता प्रदान करती हैं,89) जो स्वर की देवी हैं, 90)जो सौभाग्य प्रदायनी हैं,91) जो वाराही देवी का स्वरुप हैं, 92)जो कमल पर विराजित हैं।
चित्राम्बरा चित्रगंधा चित्रमाल्यविभूषिता।
कान्ता कामप्रदा वन्द्या विद्याधरसुपूजिता।।13
93)जिन्होंने सुन्दर वस्त्र धारण किये हुए हैं,94) जो अद्भुत सुगंध को बिखेर रहीं हैं,95) जो विभिन्न सुन्दर मालाओ को धारण किये हुए हैं, 96)जो नारीत्व का स्वरुप हैं, 97)जो सभी कामनाओं को पूरा करती हैं, 98)जो सबके द्वारा पूजनीय हैं, 99)जिन्हें ब्रह्मा जी स्वयं पूजते हैं।
श्वेतानना नीलभुजा चतुर्वर्गफलप्रदा।
चतुराननसाम्राज्या रक्तमद्या निरञ्जना।।14
100)जो श्वेत मुख वाली हैं, 101)जिनकी नीली भुजाएं हैं, 102)जो चारों प्रकार के फल को प्रदान करने वाली हैं, 103)जो ब्रह्मा का निवास हैं, 104जो चंचल हैं, 105)जो दोषरहित हैं।
हंसासना नीलजङ्घा ब्रह्मविष्णुशिवात्मिका
एवं सरस्वतीदेव्या नाम्नामअष्टोतरं शतं।।15
106)जो हंस पर विराजमान,107) जिनकी नीली जंघा हैं, 108)जो ब्रह्मा, विष्णु और शिव का साकार रूप हैं ये देवी सरस्वती के 108 नाम हैं।