Karaka
कारक शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है- करने वाला। कारक क्रिया को करने के लिए भूमिका निभाता है। किसी के द्वारा सौंपे गए कार्य को उनके लिए , उनकी ओर से उनकी तरह ही पूरा करने वाले को भी कारक कहते हैं। कारकत्व (Karakatva)उस गुण या अधिकार को कहते हैं जिसे कारक को सौंपा गया है।
ज्योतिष शास्त्र में किसी भाव के स्वामी की तरह ही उस भाव के कार्य को करने वाले या फल देने वाले ग्रह को उस भाव का कारक कहते हैं।
Char Karaka-चर कारक
सात ग्रहों (सूर्य से शनि तक) को अंशात्मक आधार पर आरोही क्रम में रखने पर जो ग्रह किसी राशि में अधिकतम अंशों को पार कर लेता है उसे आत्म कारक कहते हैं।
आत्मकारक अन्य सभी कारकों में प्रधान है। यह राजा के समान होता है। अन्य सभी कारक आत्मकारक के वश में होते हैं। यदि आत्मकारक अनुकूल हो तो अन्य कारक भी अच्छे फल देते हैं परन्तु यदि आत्मकारक ही प्रतिकूल हो जाए तो अन्य कारक भी शुभ फल नहीं दे पाते हैं।
आत्म कारक(Atam Karaka) से न्यून अंश वाला ग्रह अमात्यकारक कहलाता है। उससे न्यून वाला भ्रातकारक, उससे न्यून मातृकारक, उससे न्यून पुत्रकारक कहलाता है। पुत्रकारक से न्यून अंश वाला ग्रह ज्ञातिकारक तथा उससे न्यून अर्थात सबसे कम अंश वाला ग्रह दाराकारक कहलाता है।
Sthir Karaka-स्थिर कारक
Surya-सूर्य
सूर्य आत्मा, शक्ति, बल, प्रभाव, गर्मी, अग्नि तत्व, धैर्य, राजा , कटुता, आक्रामकता, पिता, अभिरुचि, ज्ञान, हड्डी, प्रताप, पाचन शक्ति, उत्साह, वन प्रदेश, आंख, वन भ्रमण, पित्त, नेत्ररोग, शरीर, लकड़ी, मन की पवित्रता, शासन, रोगनाश, देश, सर के रोग, गंजापन, लाल उन, पर्वतीय प्रदेश, पत्थर, प्रदर्शन की भावना, नदी का किनारा, मूँग, लाल चन्दन, चिकित्सा विज्ञान, सोना, ताम्बा, शस्त्र प्रयोग, दवा, समुद्रपार की यात्रा, हृदय आदि का कारक(Sthir Karaka) है।
Chandrma-चन्द्रमा
चन्द्रमा कविता, फूल, खाने के पदार्थ, मणि, चाँदी, शंख, मोती, नमकीन पानी, वस्त्राभूषण, स्त्री, घी, तेल, नींद, बुद्धि, रोग, आलस्य, कफ, प्लीहा, मनोभाव, सुख, जलीय पदार्थ, चावल,यात्रा, कुआं, सर्दी से होने वाले रोग, सफ़ेद रंग, शरद ऋतु, मन, चंचलता, प्रसन्नता, माता, खून की शुद्धता, दूध आदि का कारक ग्रह है।
Mangal-मंगल
शूरता, वीरता, पराक्रम, आक्रामकता, युद्ध, शास्त्र उठाना, शत्रु, लाल रंग, क्रोध, षड्यंत्र, बीमारी, दुर्घटना, गर्मी, घाव, सेनापति, कटुरस, अंग क्षति , मिट्टी के पदार्थ, भूमि, पुरूषत्व, तीखा भोजन, लाल मिर्च, शहद, लाल मसूर, जला हुआ प्रदेश, खून, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, डॉक्टर, पुलिस, नेता, छोटा भाई, चचेरा भाई, वैज्ञानिक, अचल संपत्ति आदि का कारक ग्रह है।
Budh-बुध
बुध बुद्धि, विद्या, तार्किक शक्ति, गणित, लेखन, व्यवसाय, वाक्पटुता, सम्प्रेषण क्षमता, नए वस्त्र, डाकिया, प्रकाशन, दूरभाष, लेखाकार, ज्योतिषी, बैंकिंग सेवा, शिल्पकला, नृत्य, नम्रता, मन का संयम, नाभि, पक्षी, मामा , बुआ, बहन, जुड़वापन, वनस्पति, आकर्षण, मित्र , त्वचा, नाक, गला, फेफड़ा, अग्रमस्तिष्क आदि है।
Brihaspati-बृहस्पति
बृहस्पति शुभ कर्म, धर्म, गौरव, महत्व, पोषण, शिक्षा, गर्भाधान, नगर, राष्ट्र, वाहन, आसन, पद, सिंहासन, गृह सुख , पुत्र, अध्यापन, कर्तव्य बोध, संचित धन, मीमांसा शास्त्र, दही, बड़ा शरीर, प्रताप, यश, तर्क, ज्योतिष, उदर रोग, बड़ा भाई, बड़ों का कारक, वरिष्ठ व्यक्तियों का कारक, पवित्र स्थान, सोना(स्वर्ण धातु), राजकीय सम्मान, दान, गुरू , परोपकार, फलदार वृक्ष, नयायधीश, ज्ञानी, धार्मिक प्रचारक, परामर्शदाता आदि का कारक(Sthir Karaka) होता है।
Shukra-शुक्र
शुक्र ग्रह हीरा, मणि, विवाह, प्रेम-प्रसंग, दाम्पत्य सुख, आमदनी, स्त्री, मैथुन सुख और स्वाभाव, खटाई, फूल, यश, यौवन, सुंदरता, काव्य रचना, वाहन, चाँदी, राजसी स्वाभाव, सौंदर्य प्रसाधन का व्यवसाय, गीत-संगीत, अमोद-प्रमोद, तैराकी, रसिकता, भाग्य, आकर्षक व्यक्तित्व, गाय खरीदना और बेचना, जलीय स्थान, सांसारिक सुख, चमकीला सफ़ेद रंग, नाटक, जल-क्रीड़ा, अभिनय, शुक्राणु, यौन रोग, मूत्राशय के रोग आदि का कारक होता है।
Shani-शनि
शनि ग्रह आयु, जीवन, मृत्यु, दुर्भाग्य, संकट, अनादर, जड़ता, आलस्य, बीमारी, गरीबी, आजीविका, अनैतिक और अधार्मिक कार्य, विदेशी भाषा, विज्ञान का शिक्षण, दासता, झूठ बोलना, वात रोग, बुढ़ापा, नसें, पैर , परिश्रम, मजदूरी, अवैध संतति, लंगड़ापन, राख , लोहा, काले धान्य , कृषिगत रोजगार, व्यवसाय, खनिज पदार्थ, तेल, पृथ्वी की गहराई से निकलने वाली वस्तुएं, सेवक-सेविकाएं, नौकरी, चोरी, क्रूर कार्य, वृद्ध व्यक्ति, लोभ, लालच, व्यर्थ घूमना, लकड़ी, सीसा, कुत्ता, भैंसा आदि का कारक (Sthir Karaka) होता है।
Rahu-राहु
राहु ग्रह दादा, कठोर वाणी, झूठ, जुआ, भ्रामक तर्क, अभिनय, गतिशीलता, यात्राएं, विजातीय, विदेशी, सर्प दंश, चोरी, दुष्टता, विधवा, त्वचा सम्बन्धी रोग, खुजली, एक्जिमा, शरीर में तेज दर्द, शरीर में सूजन, जहर, धार्मिक तीर्थ यात्रा, गंगा स्नान, रेंगने वाले कीड़े मौकोड़े , वायु का दर्द, साँस की बीमारी, कुष्ठ रोग, असाध्य रोग आदि का कारक होता है।
Ketu-केतु
केतु ग्रह नाना, सत्यता, मोक्ष, शिवोपासना, डॉक्टरी, दर्द, ज्वर, घाव, शत्रु को नुकसान, जादू-टोना, कुत्ता, सींग वाले पशु, चितकबरे अथवा बहुरंगी पक्षी, काँटा , नुकीली वस्तु , ध्वजा, उदरशूल, वैराग्य, महामारी, बहरापन, दोषपूर्ण वाणी, आंतकृमि, संक्रामक रोग आदि का कारक होता है।
12 Bhavon Ke Karaka Aur Karakatva-12 भावों के कारक और कारकत्व
Pratham Bhava-प्रथम भाव/तनु भाव
जन्म कुंडली के प्रथम भाव द्वारा किसी व्यक्ति की शारीरिक बनावट, चेहरा, व्यक्तित्व, सौभाग्य, स्वाभाव, आत्मसम्मान, आत्मविश्वाश, स्वास्थ्य आदि को देखा जाता है। प्रथम भाव का कारक(Karaka) सूर्य है।
Dwitya Bhava-द्वितीय भाव/ धन भाव
द्वितीय भाव धन भाव या कुटुंब भाव के नाम से भी जाना जाता है। इसके द्वारा किसी व्यक्ति का बैंक बैलेंस, पारिवारिक पृष्ठभूमि, दायीं आँख दाँत, जीह्वा, मुख, वाणी, गहने आदि को देखा जाता है। इस भाव के कारक बृहस्पति देव हैं।
Tritya Bhava-तृतीय भाव पराक्रम भाव
तृतीय भाव को सहज भाव/पराक्रम भाव/भातृ भाव के नाम से भी जाना जाता है। इस भाव के द्वारा छोटे भाई-बहन, सहोदर, सम्बन्धी, रिश्तेदार, पड़ोसी, दायां कान, साहस, बहादुरी, छोटी दूरी की यात्राएं, नाड़ी तंत्र, संचार, सम्प्रेषण, लेखन, पुस्तक संपादन आदि को देखा जाता है। इस भाव के कारक मंगल देव हैं।
Chaturth Bhava-चतुर्थ भाव मातृ भाव
चतुर्थ भाव को मातृ भाव के नाम से भी जानते हैं। इस भाव के द्वारा माता, मन की शांति, वाहन सुख, भूमि, मकान, अचल संपत्ति, शिक्षा, वैवाहिक जीवन का सुख, पारिवारिक वातावरण आदि को देखा जाता है। इस भाव के कारक(Karaka) चंद्र देव होते हैं।
Pancham Bhava-पंचम भाव संतान भाव
पंचम भाव से संतान, बुद्धि, प्रेम सम्बन्ध, पेट, पूर्व पुण्य, आत्मा, हृदय, जीवन स्तर, मनोरंजन आदि को देखा जाता है। इस भाव के कारक बृहस्पति देव हैं।
Shashtham Bhava-षष्ठम भाव रिपु भाव
छठे भाव के द्वारा रोग, रिपु,ऋण, वाद-विवाद, मां-मामी, चोट, दुर्घटना, अधीनस्थ कर्मचारी, सेवा, प्रतिस्पर्धा आदि को देखा जाता है। इस भाव का कारक मंगल है।
Saptam Bhava-सप्तम भाव कलत्र भाव
सप्तम भाव के द्वारा जीवनसाथी, विवाह, यौन सम्बन्ध, प्रतिष्ठा, इच्छाएं, काम शक्ति, दैनिक आय, व्यापार विदेश में प्रभाव, मूत्ररोग, यौन रोग आदि को देखा जाता है। इस भाव के कारक शुक्र देव हैं।
Ashtam Bhava-अष्टम भाव आयु भाव
अष्टम भाव आयु, मृत्यु का प्रकार, दुर्घटना, जनानांग, बाधाएं, पैतृक सम्पति, जुआ, बिना कमाया धन, चोरी, डकैती, चिंता, पेंशन, रुकावट, गूढ़ विद्या, ससुराल, लम्बी बीमारी, रिसर्च आदि का होता है। इसके कारक शनि देव हैं।
Navam Bhava-नवम भाव भाग्य भाव
नवम भाव के द्वारा पिता, पूर्वज, डीएनए, धर्म, भाग्य, गुरु, लम्बी यात्रा, विदेश यात्रा, धार्मिक स्थल, उच्च शिक्षा, दार्शनिक ज्ञान आदि को देखा जाता है। इस भाव के कारक सूर्य देव तथा बृहस्पति देव हैं।
Dasham Bhava-दशम भाव कर्म भाव
दशम भाव से व्यक्ति के कर्म, व्यवसाय, आजीविका का साधन, प्रसिद्धि, सम्मान,सफलता, नेतृत्व, उच्च अधिकारी, अधिकारियों से सम्बन्ध, सरकार से सम्मान, उच्च पद आदि को देखा जाता है। इस भाव के कारक सूर्य, बुध, शनि और मंगल होते हैं।
Ekadash Bhava-एकादश भाव लाभ भाव
एकादश भाव से लाभ, इच्छा पूर्ति, बड़े भाई, दायां कान, परोपकारी संस्थाएं(), समूह, सामाजिक दायरा, मित्र, प्रभवशाली व्यक्तियों द्वारा आय आदि को देखा जाता है। इस भाव के कारक बृहस्पति देव हैं।
Dwadash BHava-द्वादश भाव व्यय भाव
द्वादश भाव के द्वारा व्यय, हानि, जेल, निवेश, अस्पताल का खर्चा, मोक्ष, बायीं आंख, दान, धोखा, विदेश में बसना, निद्रा, शय्या सुख आदि को देखा जाता है। इस भाव के कारक शनि देव हैं।
Karaka se Bhava Tatha Karaka Grah-कारक से भाव तथा कारक ग्रह
जब किसी कारक के बारे में विचार करना हो तो जो ग्रह उसका कारक उससे उसके कारक भाव पर विचार अवश्य करना चाहिए। जैसे यदि पिता का विचार करना हो तो पिता के कारक सूर्य के साथ सूर्य से नवम भाव का विचार करना चाहिए। यदि माता का विचार करना हो तो माता के कारक चन्द्रमा के साथ चन्द्रमा से चतुर्थ भाव का भी विचार करना चाहिए।इसे कारकात भावम भी कहा जाता है।
सूर्य से नौंवा- पिता(पितृकारक)
मंगल से तीसरा- भाई (भातृकारक)
चन्द्रमा से चतुर्थ – माता (मातृकारक)
बुध से छठा – मामा
बृहस्पति से पांचवा – पुत्र (पुत्रकारक)
शुक्र से सातवां – पत्नी (स्त्रीकारक)
शनि से आठवां – मृत्यु (मृत्युकारक)
Reference Books-संदर्भ पुस्तकें
- Brihat Parashara Hora Shastra –बृहत पराशर होराशास्त्र
- Phaldeepika (Bhavartha Bodhini)–फलदीपिका
- Saravali–सारावली
- Laghu Parashari–लघु पाराशरी