सूर्य वैदिक ज्योतिष का अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रह है। ज्योतिष शास्त्र में इसे राजा की पदवी प्राप्त है। सूर्य आत्मा, पिता, पद, प्रतिष्ठा, सरकार, हड्डियों, मस्तक, चेहरे पर तेज, आंखों, वाणी में आकर्षण, आत्मबल, अच्छा स्वास्थ्य और आयु का कारक ग्रह है। अतः हमारी जन्म कुंडली में सूर्य का अच्छा होना अत्यंत आवश्यक है। यदि आपकी कुण्डली में सूर्य कमजोर या पीड़ित है तो उसे अच्छा करने के लिए सूर्य देव को नित्य अर्घ्य देना चाहिए तथा आदित्य हृदय स्तोत्र, गायत्री मंत्र या सूर्य देव के नाम का नित्य पाठ करना चाहिए। इस लेख के माध्यम से हम सूर्य देव के 21 नाम की जानकारी देंगे।
Surya Dev Ke 21 Naam-सूर्य देव के 21 नाम
ॐ विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोकप्रकाशकः श्रीमान् लोकचक्षुर्महेश्वरः।।
लाेकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।
तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः।।
गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः।
विकीर्तन(सभी संकटों का नाश करने वाला), विवस्वान(अपने प्रकाश से समस्त पदार्थों को प्रकाशित करने वाले), मार्तंड(जो सोने के अंडे से प्रकट हुआ हो), भास्कर(प्रकाश बनाने वाला), रवि(जो गरजता है), लोकप्रकाशक(संसार को प्रकाशित करने वाला), श्रीमान(शोभा से युक्त), लोकचक्षु(संसार का नेत्र), ग्रहेश्वर(सभी ग्रहों का अधिपति), लोकसाक्षी(संसार का साक्षी), त्रिलोकेश(तीन लोकों का स्वामी),कर्ता(निष्पादन करने वाला),हर्ता(संघार करने वाला),तमिस्त्रहा(अंधकार को खत्म करने वाला),तपन(जो गर्म करता है), तापन(जो जलाता है), शुचि(जो पवित्र है), सप्ताश्ववाहन(जिस के रथ को सात घोड़े की खींचते हैं), गभस्तहस्त(जिसके हाथ किरण के समान है), ब्रह्मा(संसार की रचना करने वाला), सर्वदेवनमस्कृत(सभी देवों द्वारा पूजनीय)।
सूर्य देव के 21 नाम के पाठ के लाभ
- जो व्यक्ति नित्य सूर्य देव के 21 नाम का पाठ करता है उसके आत्म बल में वृद्धि होती है।
- सूर्य अच्छे स्वास्थ्य का कारक ग्रह है अतः जिस किसी को स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी हो उसे भी सूर्य देव के 21 नाम पाठ करना चाहिए।
- जिस व्यक्ति अच्छे कार्य करने के पश्चात भी प्रशंसा नहीं मिलती, अपमान मिलता है ऐसे लोगों को भी इसका पाठ करने से लाभ होता है।
- जिन लोगों को सरकारी नौकरी या उच्च पद की प्राप्ति की इच्छा हो उन्हें भी सूर्य देव के नाम का पाठ करना चाहिए।