केतुपञ्चविंशतिनामस्तोत्रम्-Ketu 25 Names Stotra केतु: काल: कलयिता धूम्रकेतुर्विवर्णक:।लोककेतुर्महाकेतु: सर्वकेतुर्भयप्रद: ।।1।। रौद्रो रूद्रप्रियो रूद्र: क्रूरकर्मा सुगन्ध्रक्।पलालधूमसंकाशश्चित्रयज्ञोपवीतधृक् ।।2।। तारागणविमर्दो च जैमिनेयो ग्रहाधिप:।पंचविंशति नामानि केतुर्य: सततं पठेत् ।।3।। तस्य नश्यंति बाधाश्चसर्वा: केतुप्रसादत:।धनधान्यपशूनां च भवेद् व्रद्विर्नसंशय: ।।4।। केतुपञ्चविंशतिनामस्तोत्रम् हिंदी अर्थ-Ketu 25 Names Stotra केतु: काल: कलयिता धूम्रकेतुर्विवर्णक:।लोककेतुर्महाकेतु: सर्वकेतुर्भयप्रद: ।।1।। केतु देवता जो काल(मृत्यु/समय) का प्रतीक है,कलयिता (हिसाब लगाने वाले),…
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10 Best Astrology Books For Beginners In Hindi-ज्योतिष की प्रारंभिक पुस्तकें
जिन लोगों की ज्योतिष शास्त्र में रूचि होती है अक्सर उनके मन में यह जिज्ञासा रहती है कि शुरुवात कहाँ से करें। ज्योतिष शास्त्र एक जटिल विषय है,खासकर जब आप इसमें नए हों। कौन सी पुस्तक(Astrology Books For Beginners) से शुरुवात करें यह प्रश्न सबसे ज्यादा कॉमन होता है।
Chandrama Se Banne Wale Yoga-चन्द्रमा से बनने वाले योग
चन्द्रमा द्वारा बनने वाले प्रमुख योग (Yogas Formed By Moon) हैं -सुनफा योग, अनफा योग, दुरधरा योग , केमद्रुम योग, गजकेसरी योग, अमल योग, पुष्कल योग ।
Top 15 Classical Astrology Books-शास्त्रीय ज्योतिष ग्रन्थ
Classical Astrology Books वैदिक ज्योतष को वेदांग में स्थान प्राप्त है।ज्योतिषशास्त्र को वेदों का चक्षु कहा जाता है। यूँ तो वेदों , पुराणों और अनेक प्राचीन ग्रंथों में ग्रह और नक्षत्रों आदि का जिक्र आता है परन्तु हमारे ऋषियों और मुनियों द्वारा कुछ ग्रन्थ विशेष रूप से ज्योतिष शास्त के ऊपर लिखे गए है, जिन्हें…
Rahu Stotram-राहु स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित
Rahu Stotram Hindi Meaning
राहुर्दानव मन्त्री च सिंहिकाचित्तनन्दनः ।
अर्धकायः सदाक्रोधी चन्द्रादित्यविमर्दनः ॥ १ ॥
राहु ग्रह के दानव मन्त्री, सिंहिका के चित्त को आनंदित करने वाले, अर्धकाय (आधे शरीर वाले होने वाला), सदा क्रोधी, चंद्र और आदित्य (सूर्य) का विनाश करने वाले॥
Rinmochan Mangal Stotram-ऋण मोचन मंगल स्तोत्र हिंदी अर्थ
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः ।
स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः ॥1॥
मङ्गल , भूमिपुत्र(धरती का पुत्र), ऋणहर्ता (कर्ज का नाश करने वाले), धनप्रद(धन को प्रदान करने वाले), स्थिरासन(अपने स्थान पर स्थिर रहने वाले), महाकाय (बड़े शरीर वाले), सर्वकर्मविरोधक(समस्त तरह की कार्य बाधा को हटाने वाले)
Shani Sadesati Kya Hai Aur Upay-शनि साढ़ेसाती और उपाय
शनि की साढ़ेसाती शनि का साढ़ेसात साल का काल खंड होता है जिसमें जातक के ऊपर शनि ग्रह का ज्यादा प्रभाव होता है।शनि के Sadesati का विचार आते ही ज्यादातर लोगों के मन में नाकारात्मक विचार आने लगते हैं। ज्यादातर लोगों को यह लगता है कि शनि की साढ़ेसाती में जीवन में परेशानियां, आर्थिक संकट, मानसिक परेशानियां आदि का सामना करना पड़ेगा। परन्तु ऐसा हमेशा शनि की साढ़ेसाती बुरी नहीं होती।
Vakri Graha|Grah Kab Vakri Hote Hai-वक्री ग्रह क्या होते हैं
जब कोई ग्रह अपनी सामान्य गति की दिशा से उल्टा चलता हुआ प्रतीत होता है तो उसे वक्री ग्रह कहते हैं। सूर्य और चन्द्रमा को छोड़ शेष सभी ग्रह वक्री होते हैं। राहु-केतु हमेशा वक्री होते हैं।
Karaka Aur Karakatva- ज्योतिष शास्त्र में कारक और कारकत्व
ज्योतिष शास्त्र में किसी भाव के स्वामी की तरह ही उस भाव के कार्य को करने वाले या फल देने वाले ग्रह को उस भाव का कारक कहते हैं।
Rashi Swabhav Aur Lakshan- राशियों के स्वाभाव और लक्षण
Rashi
नक्षत्रों के समूह को राशि कहते हैं। आकाश में अनेक तारों के समूह दिखाई देते हैं। उन्ही तारों के समूह को हमारे ऋषियों ने आकाश में एक विशेष आकृति बनाते हुए देखा। उन्हीं आकृतियों के आधार पर ऋषियों ने राशियों का नामकरण किया। राशियों की संख्या 12 है।