Vasudev Sutam Devam
वसुदॆव सुतं दॆवं कंस चाणूर मर्दनम् ।
दॆवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दॆ जगद्गुरुम् ॥1॥
Vasudev Sutam Devam
वसुदॆव सुतं दॆवं कंस चाणूर मर्दनम् ।
दॆवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दॆ जगद्गुरुम् ॥1॥
Ekadashi Vrat Ka Khana
हिंदू पञ्चाङ्ग की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं। यह तिथि मास में दो बार आती है – पूर्णिमा में उपरान्त कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के उपरान्त शुक्ल पक्ष की एकादशी इन दोनों प्रकार की एकादशियोँ का हिन्दू धर्म में बहुत महत्त्व है।
एकादशी के दिन व्रत रखना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन अन्न का निषेध होता है विशेषकर चावल का। जो लोग व्रत नहीं भी रखते हैं उन्हें भी इस दिन चावल नहीं खाना चाहिए।
ऊँ स्मरामि देवदेवेशं वक्रतुण्डं महाबलम । षडक्षरं कृपासिन्धुं नमामि ऋणमुक्तये ।।1।।
मैं घुमावदार सूंड वाले और अत्यंत शक्तिशाली देवी-देवताओं के भगवान को याद करता हूँ। मैं ऋण मुक्ति के लिए छह अक्षरों वाले दया के सागर को प्रणाम करता हूं।
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः ।
स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः ॥1॥
मङ्गल , भूमिपुत्र(धरती का पुत्र), ऋणहर्ता (कर्ज का नाश करने वाले), धनप्रद(धन को प्रदान करने वाले), स्थिरासन(अपने स्थान पर स्थिर रहने वाले), महाकाय (बड़े शरीर वाले), सर्वकर्मविरोधक(समस्त तरह की कार्य बाधा को हटाने वाले)
शनि की साढ़ेसाती शनि का साढ़ेसात साल का काल खंड होता है जिसमें जातक के ऊपर शनि ग्रह का ज्यादा प्रभाव होता है।शनि के Sadesati का विचार आते ही ज्यादातर लोगों के मन में नाकारात्मक विचार आने लगते हैं। ज्यादातर लोगों को यह लगता है कि शनि की साढ़ेसाती में जीवन में परेशानियां, आर्थिक संकट, मानसिक परेशानियां आदि का सामना करना पड़ेगा। परन्तु ऐसा हमेशा शनि की साढ़ेसाती बुरी नहीं होती।
Osho Quotes
“यदि आपको कोई फूल पसंद है तो उसे तोड़ो मत ।
क्योंकि यदि आप इसे तोड़ते हैं तो यह मर जाता है और यह वह नहीं रह जाता जिसे आप पसंद करते हैं।
इसलिए यदि तुम्हें एक फूल से प्रेम है, तो उसे रहने दो।
प्यार में अधिकार नहीं है प्यार में सराहना होती है।”
-ओशो
गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय॥
कबीर दास जी कहते हैं कि यदि हमारे सामने गुरु और गोविन्द (भगवान) दोनों एक साथ खड़े हों तो मन में दुविधा होती है कि किसके चरण स्पर्श करें। क्योंकि गुरु के द्वारा मिले ज्ञान से ही हमें भगवान की प्राप्ति होती है इसलिए गुरु की महिमा भगवान से भी ऊपर है और हमें गुरु के चरण स्पर्श करने चाहिए।
“अपने दिमाग में कभी यह न सोचें कि केवल आपका विश्वास ही सच्चा है और बाकी सभी झूठे हैं। यह निश्चय जान लो कि निराकार ईश्वर भी सत्य है और साकार ईश्वर भी सत्य है। फिर जो भी विश्वास तुम्हें आकर्षित करे, उसे दृढ़ता से थामे रहो।”
-रामकृष्ण परमहंस
बंदउँ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि।
महामोह तम पुंज जासु बचन रवि कर निकर ॥
मैं उन गुरु महाराज के चरणकमल की वंदना करता हूं, जो कृपा के समुद्र और नर रूप में श्री हरि ही हैं और जिनके वचन महामोह रूपी घने अंधकार का नाश करने के लिए सूर्य किरणों के समूह हैं॥
भारतीय संस्कृति में सूर्य अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। हमारे कई महत्वपूर्ण त्यौहार सूर्य के ऊपर आधारित हैं। जैसे मकर संक्रांति का पर्व सम्पूर्ण उत्तर भारत में अत्यंत हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव उत्तरायण होते हैं। मकर संक्रांति को ही भारत के अन्य हिस्सों जैसे तमिलनाडु में पोंगल; कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में संक्रांति ,बिहार के कुछ जिलों में यह पर्व ‘तिला संक्रांत’ कहा जाता है। मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहते हैं। उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी भी कहा जाता है।