आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या पंद्रह दिन पितृपक्ष(Pitru Paksha) के नाम से विख्यात है। इन पंद्रह दिनों में लोग अपने पितरों (पूर्वजों) को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर पार्वण श्राद्ध करते हैं। माता- पिता, दादा-दादी आदि पारिवारिक मनुष्यों की मृत्यु के पश्चात् उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किए जाने वाले कर्म को पितृ श्राद्ध कहते हैं।
कहीं-कहीं पर पितृ पक्ष को कनागत के नाम से भी जाना जाता है जो कन्यार्कगत का अपभ्रंश है। कन्यार्कगत जिसका अर्थ है सूर्य का कन्या राशि में होना। पितृ पक्ष में सूर्य कन्या राशि में होते हैं। इस समय में पितृ लोक भूलोक के सबसे करीब होता है।
Shraadh Kya Hota Hai-श्राद्ध क्या होता है
श्रद्धया इदं श्राद्धम् (जो श्र्द्धा से किया जाय, वह श्राद्ध है।) तात्पर्य है पित्तरों के निमित्त, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक जो अर्पित किया जाए वह श्राद्ध है।अतः पितरों के निमित्त जो भी हम करते हैं उसमें हमारी भावना अत्यंत महत्वपूर्ण है। पितृ पक्ष(Pitru Paksha) में तीन पीढ़ी तक पिता पक्ष और माता पक्ष को जल दिया जाता है।
पार्वण श्राद्ध
यमस्मृति, गरुड़ पुराण और भविष्य पुराण में 12 प्रकार के श्राद्धों का वर्णन है । ये हैं नित्यश्राद्ध , नैमित्तिक , काम्य श्राद्ध , नान्दीमुख , पार्वण , सपिंडी , गोष्ठी श्राद्ध , शुद्धार्थ , करमांग , दैविक , यात्यार्थ और पुष्ट्पर्य श्राद्ध। इन सभी श्राद्धों का महत्व और इन्हें करने का समय अलग है। अश्विन कृष्ण पक्ष में होने वाले श्राद्धों को महालय पार्वण श्राद्ध कहा जाता है ।
Pitru Kaun Hote Hai–पितृ कौन होते हैं
परिवार के वे सदस्य जिनकी मृत्यु हो चुकी है उन्हें पितृ कहते हैं। जब तक किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात् उसका जन्म नहीं होता वह सूक्ष्म लोक में रहते है। वो पितृ सूक्ष्म लोक से हमे आशीर्वाद देते हैं। पितृ पक्ष में पितृ धरती पर आते हैं और अपने परिजनों को आशीर्वाद देते हैं।
पितृ पक्ष में पितृों को याद किया जाता हैऔर उनकी याद में दान पुण्य किया जाता है। पितृ पक्ष में पितरों के निमित तर्पण करते है यह तर्पण या तो घर के बड़े पुत्र या छोटे पुत्र द्वारा किया जाए तो अच्छा होता है। यदि पुत्र न हो तो यह अधिकार पुत्री के पुत्र को भी प्राप्त होता है। यदि घर में पुरुष सदस्य न हो तो पुत्रियां भी पितरों के निमित्त तर्पण कर सकते हैं।
अग्नि पुराण के अनुसार पितरों के तीन स्वरुप होते हैं। पिता वसु स्वरूप होते हैं, दादा रूद्र स्वरूप तथा परदादा आदित्य स्वरूप होते हैं। जिस भी पितृ को जल दे रहे हो उनका ध्यान करके उनको जल प्रदान करें तथा ये भावना करें कि वो तृप्त हों।
Shraadh Tithi-श्राद्ध तिथि
पूर्णिमा श्राद्ध 29 सितम्बर 2023
प्रतिपदा श्राद्ध 29 सितम्बर 2023
द्वितीया श्राद्ध 30 सितम्बर 2023
तृतीया श्राद्ध 1अक्टूबर 2023
चतुर्थी श्राद्ध 2 अक्टूबर 2023
महा भरणी श्राद्ध 2 अक्टूबर 2023
पंचमी श्राद्ध 3 अक्टूबर 2023
षष्ठी श्राद्ध 4अक्टूबर 2023
सप्तमी श्राद्ध 5 अक्टूबर 2023
अष्टमी श्राद्ध 6 अक्टूबर 2023
नवमी श्राद्ध 7 अक्टूबर 2023
दशमी श्राद्ध 8 अक्टूबर 2023
एकादशी श्राद्ध 9 अक्टूबर 2023
मघा श्राद्ध 10 अक्टूबर 2023
द्वादशी श्राद्ध 11 अक्टूबर 2023
त्रयोदशी श्राद्ध 12 अक्टूबर 2023
चतुर्दशी श्राद्ध 13 अक्टूबर 2023
सर्वपित्रु अमावस्या /पितृ विसर्जन 14 अक्टूबर 2023
Pitru Paksha Kya Karen–पितृ पक्ष में क्या करें
- पितृ पक्ष में पितरों के निमित्त तर्पण करें। जल देते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके दोपहर के समय मिट्टी या तांबे के पात्र में काला तिल, जौ, अक्षत, हलकी सुगंध वाले श्वेत पुष्प दाल कर तर्पण करें। कुशा के सहारे पितरों को जल प्रदान करें।
- पितृदोष के निवारण के लिए गुप्त दान करें। यदि संभव हो सके तो रोजाना पितरों के नाम से जरुरतमंदो को अन्न का दान दें।
- रोजाना गाय, कुत्ते, कौए का ग्रास निकालें। प्रथम ग्रास कौवे का होता है क्योंकि ये मान्यता है कौए के रूप में पितृ भोजन को ग्रहण करने आते हैं।
- गाय के लिए चारे की व्यवस्था कराएं यदि न संभव हो तो गुड़ रोटी आदि खिलाएं।
- यदि कुंडली में पितृ दोष का निर्माण हो रहा हो तो रोजाना पितरों के लिए शिव मंदिर शिवलिंग के पास में देशी घी का आंटे का दीपक जलाएं। शिव जी से पितरों की शांति की कामना करें तथा अपने द्वारा हुए अपराध की भी क्षमा मांगें।
- नित्य श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करें।
- रोजाना एक जल से भरे पात्र में सरसों के तेल का दीपक रखकर दक्षिण के ओर मुख करके जलाएं जिसे घर के मुख्य द्वार पर रखें।
- पितृ पक्ष के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करें। प्याज लहसुन का प्रयोग न करें।
- श्राद में उपरांत ब्राह्मणों और जरुरतमंदो को भोजन कराएं तथा उन्हें अपनी सामर्थ्य के अनुसार वस्त्रादि का दान दें। कर्ज लेकर श्राद न करें। पितरों के प्रति हमारी भावना महत्वपूर्ण है।
- यदि कुंडली में पितृ दोष है तो पितृ विसर्जनी अमावस्या को यज्ञ करें। यज्ञ के पश्चात नारियल, हल्दी की गांठ रूपये का दान करें। इस यज्ञ में परिवार के सभी सदस्यों को सम्मिलित होना चाहिए।
- पितृ विसर्जनी अमावस्या के दिन गौ, कुत्ते और कौए का भोजन निकलने के पश्चात ब्राह्मण को भोजन कराएं भोजन में पूरी और खीर अवश्य रखें। उसके उपरांत पितरों को धन्यवाद और क्षमा मांगने के पश्चात उन्हें अपने लोक को विदा करें तथा उनसे परिवार पर कृपा बनाएं रखने की प्रार्थना करें।
Shraad Ki Mahatvapurn Din–श्राद्ध की महत्वपूर्ण तारीखें
पंचमी श्राद्ध- जिन पितरो की मृत्यु पंचमी तिथि को हुई हो या अविवाहित स्थिति में हुई है तो उनके लिए पंचमी तिथि का श्राद्ध किया जाता है।
नवमी श्राद्ध – नवमी तिथि को मातृनवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि पर श्राद्ध करने से कुल की सभी दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध हो जाता है।
चतुर्दशी श्राद्ध- इस तिथि उन परिजनों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो
सर्वपितृ अमावस्या- जिन लोगों के मृत्यु के दिन की सही-सही जानकारी न हो, उनका श्राद्ध अमावस्या को किया जाता है।
कौए को पितरों का वाहक रूप माना जाता है। मान्यता है कि श्राद्ध ग्रहण करने के लिए हमारे पितर के लिए वाहक बन कौए नियत समय पर घर पर आते हैं। अगर उन्हें श्राद्ध नहीं मिलता है तो वह रूष्ट हो जाते हैं और श्राप देकर चले जाते हैं इसलिए श्राद्ध का प्रथम अंश कौओं के लिए निकाला जाता है।