शिव पंचाक्षर स्तोत्र-Shiv Panchakshar Stotra Lyrics
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै न काराय नमः शिवाय।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र-Shiv Panchakshar Stotra Lyrics
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै न काराय नमः शिवाय।
केतुपञ्चविंशतिनामस्तोत्रम्-Ketu 25 Names Stotra केतु: काल: कलयिता धूम्रकेतुर्विवर्णक:।लोककेतुर्महाकेतु: सर्वकेतुर्भयप्रद: ।।1।। रौद्रो रूद्रप्रियो रूद्र: क्रूरकर्मा सुगन्ध्रक्।पलालधूमसंकाशश्चित्रयज्ञोपवीतधृक् ।।2।। तारागणविमर्दो च जैमिनेयो ग्रहाधिप:।पंचविंशति नामानि केतुर्य: सततं पठेत् ।।3।। तस्य नश्यंति बाधाश्चसर्वा: केतुप्रसादत:।धनधान्यपशूनां च भवेद् व्रद्विर्नसंशय: ।।4।। केतुपञ्चविंशतिनामस्तोत्रम् हिंदी अर्थ-Ketu 25 Names Stotra केतु: काल: कलयिता धूम्रकेतुर्विवर्णक:।लोककेतुर्महाकेतु: सर्वकेतुर्भयप्रद: ।।1।। केतु देवता जो काल(मृत्यु/समय) का प्रतीक है,कलयिता (हिसाब लगाने वाले),…
देवउठान एकादशी के दिन श्री हरि के शालिग्राम रूप के साथ तुलसी विवाह संपन्न कराया जाता है। इस विवाह को पूरे विधि-विधान के साथ के साथ किया जाता है। जो भी इस दिन शालिग्राम के साथ तुलसी जी के साथ कराता है उसपर सदैव भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।
Vedic astrology has a place in Vedanga. Astrology is called the eye of the Vedas. Although there is mention of planets and constellations etc. in Vedas, Puranas, and many ancient texts, some texts have been written by our sages and sages specifically on astrology, which we also call classical texts of astrology like – Brihat…
Through this article, we have given you a list of best Vedic Astrology Books (Jyotish Book) from which you can start astrology.
पितृ स्तोत्र(Pitra Stotra) मार्कण्डेय पुराण में वर्णित पितरों की स्तुति है। इसका पाठ पितृ पक्ष के दौरान और अमावस्या को करना चाहिए। Pitra Stotra With Hindi Meaning–पितृ स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम् ।। रूचि बोले – जो सबके द्वारा पूजित, अमूर्त, अत्यन्त तेजस्वी, ध्यानी तथा दिव्यदृष्टि सम्पन्न हैं,…
पितृ दोष(Pitra Dosh) ज्योतिष शास्त्र के चर्चित बुरे योगों में से एक है हो यदि कुंडली में उपस्थित हो तो जीवन को अत्यंत कठिन बना देता है क्योंकि यदि किसी जातक की जन्म पत्रिका में यह दोष उपस्थित हो तो जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है तथा कुछ भी आसानी से नहीं…
आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या पंद्रह दिन पितृपक्ष(Pitru Paksha) के नाम से विख्यात है। इन पंद्रह दिनों में लोग अपने पितरों (पूर्वजों) को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर पार्वण श्राद्ध करते हैं।
जब भी हम कोई ख़ास स्वप्न देखते हैं तो हमारे मन में यह विचार उत्पन्न होते हैं कि ये स्वप्न(sapno ka arth) क्यों आया। सपनों का हमारे स्वास्थ्य से सीधा संबंध होता है।
महारानी कुन्ती(Kunti Krishna Stuti) कहती हैं- विपदः सन्तु नः शश्वत्तत्र तत्र जगद्गुरो।भवतो दर्शनं यत्स्यादपुनर्भवदर्शनम्।। हे जगद्गुरु! हमारे जीवन में हमेशा जहां-जहां हम जाएं, विपत्तियां आती रहें,जिससे आपके दर्शन हों और इस संसार का, भव का दर्शन नहीं हो, जन्म-मृत्यु के चक्र में नहीं पड़ना पड़े।