आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा भारतवर्ष की महान गुरु शिष्य परम्परा को समर्पित पर्व है। यह दिन गुरु और शिष्य दोनों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस दिन शिष्य अपने गुरु का पूजन और वंदन कर उनके द्वारा प्रदान किए ज्ञान के प्रति आभार प्रकट करते हैं।
Author: santwana
Karaka Aur Karakatva- ज्योतिष शास्त्र में कारक और कारकत्व
ज्योतिष शास्त्र में किसी भाव के स्वामी की तरह ही उस भाव के कार्य को करने वाले या फल देने वाले ग्रह को उस भाव का कारक कहते हैं।
Rashi Swabhav Aur Lakshan- राशियों के स्वाभाव और लक्षण
Rashi
नक्षत्रों के समूह को राशि कहते हैं। आकाश में अनेक तारों के समूह दिखाई देते हैं। उन्ही तारों के समूह को हमारे ऋषियों ने आकाश में एक विशेष आकृति बनाते हुए देखा। उन्हीं आकृतियों के आधार पर ऋषियों ने राशियों का नामकरण किया। राशियों की संख्या 12 है।
Dashmansh Kundali (D-10 Chart)- दशमांश कुंडली
दशमांश कुंडली जातक की जन्म कुंडली के दशम भाव का विस्तार होता है। इसके द्वारा किसी जातक के कर्मों और करियर का निर्धारण किया जा सकता है। इस कुंडली का प्रयोग जातक की सामाजिक स्थिति, सम्पन्नता, शक्ति आदि जानने के लिए किया जाता है।
Dreshkan Kundali (D3) Ko Jane-द्रेष्काण कुंडली को जाने
द्रेष्काण्ड कुंडली अत्यंत मत्वपूर्ण वर्ग कुंडली है तथा इसे षड्वर्ग में स्थान प्राप्त है। इसका प्रयोग जातक का पराक्रम, भाई-बहनों का सुख देखने के लिए किया जाता है।
द्रेष्काण्ड तीसरे भाव का विस्तार होता है। तीसरा भाव छोटे भाई -बहन, कम्युनिकेशन, छोटी दूरी की यात्रा, लिखने, सुनने, हाथ, मित्रों, पराक्रम, साकारत्मक सोच, कठिन परिश्रम और साहस का होता है।
Navmansh Kundali(D-9) Kaise Banaye-नवमांश कुंडली कैसे बनाएं
नवमांश कुंडली में एक राशि के 9 भाग किए जाते हैं जिसके प्रत्येक भाग का मान 3°20′ का होता है। उसके प्रत्येक भाग को नवमांश कहते हैं तथा इस प्रकार से प्राप्त कुंडली को नवमांश कुंडली कहते हैं।
विंशोपक बल कैसे निकालें-Vimshopak Bal Kya Hai
विम्शोपक बल ग्रहों की शक्ति निकालने का तरीका है जिसमें ग्रहों की विभिन्न वर्गों में स्थिति में आधार पर 20 अंकों में से अंक प्रदान किए जाते हैं। जिस ग्रह को जितना अधिक अंक मिलता है वह उतना ही बली होता है।
Importance Of Shodash Varga Kundali-षोडश वर्ग कुंडली
षोडश वर्ग के अंतर्गत सोलह वर्ग कुंडलियां आती हैं-
1) राशि कुंडली(D-1) , 2)होरा(D-2), 3)द्रेष्काण(D-3), 4)चतुर्थांश(D-4), 5)सप्तमांश(D-7), 6)नवमांश(D-9), 7)दशमांश(D-10), 8)द्वादशांश(D-12), 9)षोडशांश(D-16), 10)त्रिशांश(D-30), 11)चतुर्विशांश(D-24), 12)सप्तविशांश(D-27), 13)त्रिंशदशांश(D-30), 14)खवेदांश/चत्वार्यांश(D-40) , 15)अक्षवेदांश/ पंच चत्वार्यांश(D-45), 16)षष्टियांश(D-60)
Sri Suktam With Hindi Meaning-श्री सूक्तम् हिन्दी अर्थ सहित
हरिः ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह॥1॥
स्वर्ण के समान आभा वाली, सुन्दर, स्वर्ण और रजत आभूषण से सुसज्जित, चन्द्रमा के समान स्वर्ण आभा वाली, हे जातवेदो (यग्न की वह पवित्र अग्नि जिसमें आहुति दी जाती है) मैं उन देवी लक्ष्मी का आवाहन करता हूँ।
Varg Kundali(Divisional Charts) Aur Unse Banne Wale Yoga-वर्ग कुंडली क्या होती है
यदि हमें किसी भाव और गहनता या सूक्ष्मता से अध्धयन करना हो तो वर्ग कुंडलियों को देखना चाहिए। जिस प्रकार से विभिन्न भाव जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते है उसी प्रकार से विभिन्न वर्ग कुंडलियां भी जीवन के किसी विशेष पहलु के बारे में और सूक्ष्मता से बताती हैं।जैसे नवांश कुंडली द्वारा जीवनसाथी का विचार किया जाता है।